मंत्रियों की मनमानी
राज्य के दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के जाते ही अतिरेक में प्रदेश के मंत्री अचानक फिर से बेलगाम हो चुके हैं। श्रम मंत्री एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शर्मनाक बयान देते हैं। तो वहीं शिक्षा मंत्री जम्बुरी में जमकर थिरकते कैमरे में कैद हो गए। प्रदेश में ये कोई नई बात नहीं है। राज्य के तमाम मंत्री अब तक कई बार ऐसे गैरजिम्मेदाराना बयान दे चुके हैं। अपने रायपुर प्रवास के दौरान ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक रसूखदार मंत्री को तीन बार झिड़का था। हालांकि ये बात अमित शाह के लिए नई हो सकती है, मगर प्रदेश के लिए तो कतई नहीं। अपने निर्वाचन के समय से लेकर आज तक ये मंत्री जी विवादों में ही रहे हैं। वही हाल शिक्षा मंत्री का भी है। जिनकी पत्नी की परीक्षा उनकी साली दे रही थी। पकड़ी गई तो अधिकारियों ने ईमानदारी दिखाते हुए उसको वहां से चलता कर दिया। तो वहीं रायपुर के एक कोचिंग की वो बच्ची जिसको सौ तक पहाड़ा आता है। उसकी शिक्षिका को इन्हीं मंत्री ने कहा था कि अगर तुम महिला न होती तो तुमको यहां से उठवाकर बाहर फेंक देते। शिक्षा की गुणवत्ता का साल जिस साल मनाया गया। उसी साल सामने आया कि यहां के अधिकांश बच्चों को बीस तक पहाड़ा नहीं आता। शुध्द हिंदी लेखन की तो बात ही छोड़ दीजिए। स्कूलों और हॉस्टल्स में बेटियों के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है, संभवत: किसी को भी बताने की जरूरत नहीं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देकर लगता है कि सरकार भूल गई है। महिलाओं की रक्षा के लिए तमाम आयोग, तमाम संस्थाएं राज्य सरकार के रजिस्टर्स में कार्य कर रही हैं, मगर मौके पर एक भी संस्था सामने नहीं दिखाई देती है। अलबत्ता अगर कहीं पैसे मिलने की उम्मीद हो तो वहां पहले से ऐसी एजेंसियां कतार में खड़ी होती हैं। मांदर की थाप पर थिरकने वाले मंत्री को कम से कम छत्तीसगढ़ मदर के दर्द को तो समझना जरूरी था। यहां मंत्रियों के व्यवहार को देखकर कतई नहीं लगता कि उनकी कार्यशैली में कोई बदलाव आया है। अलबत्ता जैसे -जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा है। इनके व्यवहार और भी ज्यादा रूखे और बेलगाम होते जा रहे हैं। अगर भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में चौथी बार रमन सिंह की सरकार बनानी है तो इसके लिए अभी से तैयारियां करनी होंगी। नहीं तो कहीं वो हालात न हो जाएं कि- माना कि त$गालुफ न करोगे लेकिन, खा$क हो जाएंगे हम तुमको $खबर होने तक।
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