अस्पतालों के बिस्तर पर थर-थर कांपता बस्तर


कारण माओवाद नहीं मलेरिया....!

  बस्तर के अधिकांश अस्पतालों में बिस्तर  भरे पड़े हैं। इनमें ज्यादातर मरीज मलेरिया के बताए जा रहे हैं। रह-रह कर लोग थर-थर कांपते हैं। डॉक्टर उनके शरीर का तापमान नापते हैं। जो गांवों में हैं वो जलाकर अलाव तापते हैं। पूछने पर एक आदिवासी ने अनजाने में एक बड़ी बात कह दी। उसने कहा सर...अब हमें माओवाद से नहीं मलेरिया से  डर लगता है। सुनकर एक ओर जहां सरकार की नीतियों और जवानों की बहादुरी पर गर्व हुआ।  तो वहीं अब राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तंद्रा टूट चुकी है। जल्दी ही प्रदेश के डॉक्टर्स का एक दल श्रीलंका मलेरिया से निपटने का प्रशिक्षण लेने जाएगा। बताया जाता है कि पहले वहां भी ऐसी ही समस्या थी, जिसपर वहां की सरकार ने विजय पा लिया है। दूसरी ओर दवाओं का छिड़काव और मच्छरदानी बांटने का काम भी तेजी पर है।


जगदलपुर।

क्या है पूरा मामला-
दरअसल, बात हो रही है नक्सल प्रभावित बस्तर की। जिले में जितना खौफ नक्सलियों से नहीं है, उससे कहीं ज्यादा मलेरिया का है। बस्तर के अलग-अलग इलाकों में मलेरिया के कारण दर्जनों मौतें होती हैं। मलेरिया पीडि़त जबतक अस्पताल पहुंचते हैं, तबतक बहुत देर हो चुकी होती है। साल-दर-साल बढ़ते आंकडों को देखते हुए सरकार द्वारा मलेरिया प्रभावित इलाकों में दवाओं के छिड़काव से लेकर मच्छरदानी बांटने तक का काम बडे पैमाने पर किया गया है।
डॉक्टर की टीम प्रशिक्षण लेने जाएगी श्रीलंका
इस मामले में सरकार ने हरकत में आते हुए एक नयी तैयारी की है। इसके लिए बहुत जल्द बस्तर से दो बीएमओ डॉक्टरों का दल मलेरिया से बचने का प्रशिक्षण लेने श्रीलंका जाएगा। जगदलपुर के सीएमओ देवेन्द्र नाग के मुताबिक बीते कुछ समय पहले श्रीलंका भी मलेरिया के डंक से परेशान था। वहां हुए कुछ प्रयासों ने मलेरिया के डंक को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।
डॉक्टर का दल श्रीलंका जाकर इस बात का पता करेगा कि श्रीलंका को कैसे मलेरिया मुक्त किया गया है। इन पहलुओं का अध्ययन कर बस्तर से मलेरिया का डंक खत्म किया जाएगा। माना जा रहा है कि इस ट्रेनिंग के जरिए बस्तर को मलेरिया मुक्त करने की कवायद शुरू हो सकेगी।
गौरतलब है कि अबतक मलेरिया के डंक से बस्तर का आम जनजीवन प्रभावित होता रहा है तो दूसरी तरफ नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान भी मलेरिया की चपेट में आते रहे हैं। मलेरिया की चपेट में आकर कई जवानों ने अपनी जान भी गंवाई है।
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