जांजगीर के बच्चों ने पेश की नज़ीर


- जांजगीर में 9वीं और 11वीं में पढऩे वाले भाई-बहन ने मिलकर शौचालय से निकलने वाली मीथेन गैस से बिजली बनाने वाले संयंत्र का मॉडल तैयार किया है। इससे एक संयंत्र से 6.6 किलोवॉट बिजली पैदा की जा सकती है, जिससे ढाई सौ घरों को रौशन किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में कहीं से कोई प्रदूषण भी नहीं होगा। स्कूल प्रबंधन इस मॉडल को दिल्ली में आयोजित होने वाले विज्ञान प्रदर्शनी में शामिल कराने की तैयारी में जुट गया है।
शौचालय की मीथेन गैस से बनाएंगे बिजली, ढाई सौ घरों को कर सकते हैं रौशन

 जांजगीर।
क्या है पूरा मामला-
 जिले के एक निजी स्कूल में कक्षा नवमीं और ग्यारहवीं में पढऩे वाले भाई बहन ने मिल कर एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जिससे शौचालय से निकलने वाली मीथेन गैस से बिजली पैदा की जा सकती है।
दोनों छात्रों का दावा है कि अगर इस मॉडल को यंत्र का रूप दिया जाए तो एक सार्वजानिक शौचालय से निकलने वाली मीथेन गैस से इतनी बिजली पैदा की जा सकती है जिससे 200 से 250 घरों को रौशन किया जा सकता है।  नन्हें वैज्ञानिकों के अविष्कार के चर्चे पूरे जिले में हो रही हैं और अब स्कूल प्रबंधन इस मॉडल को दिल्ली में आयोजित होने वाले विज्ञान प्रदर्शनी में शामिल कराने की तैयारी में जुट गया है।
स्कूल में विज्ञान का मॉडल दिखा कर अपने प्रिंसिपल को इस मॉडल का सिद्धान्त समझाते इन नन्हें वैज्ञानिकों का नाम है नईम मंसूरी और अन्नूर फातिमा, नईम और अन्नूर भाई बहन है और जिला मुख्यालय जांजगीर के अलग-अलग निजी स्कुलों में कक्षा नवमीं और ग्यारहवीं की पढ़ाई कर रहे है।
पिता हैं साइकिल मिस्त्री-
पेशे से साइकिल मिस्त्री पिता गुलाम अम्बेया ने मच्छर भगाने के लिए शौचालय के पास जलाई गई एक मशाल ने दोनों छात्रों को विज्ञान का वो सिद्धांत बता दिया जिसकी कल्पना आज तक नहीं की गई है।
कैसे दिमाग में आई बात-
दरअसल गुलाम अम्बेया ने मच्छर भगाने के लिए सैप्टिक टैंक के ओवर फ्लो पाइप के पास मशाल जलाया था।  जलने के कुछ देर बाद ओवर फ्लो पाइप के पास तेज विस्फोट हुआ।  टैंक में हुए विस्फोट की जानकारी गुलाम अम्बेया ने अपने बेटे नईम और बेटी अन्नूर को दी।  तब दोनों होनहार छात्रों को समझते देर नहीं लगी की सैप्टिक टैंक से निकलने वाली मीथेन गैस की वजह से विस्फोट हुआ होगा।
बन सकती है 6.6 किलोवाट बिजली -
सैप्टिक टैंक से निकलने वाली मीथेन गैस की तीव्रता का पता चलते ही नईम और अन्नूर ने इस प्रोजेक्ट पर कार्य करना प्रारम्भ कर दिया और एक महीने की मेहनत के बाद इस प्रोजेक्ट का मॉडल तैयार कर लिया।  अन्नूर और नईम का दावा है कि अगर इस मॉडल को यन्त्र का रूप दिया जाए तो एक सार्वजनिक शौचालय से निकलने वाली मीथेन गैस से 6. 6 किलोवाट बिजली पैदा की जा सकती है, और इतनी बिजली से 200 से 250 घर रौशन हो सकते हैं।
 ऊर्जा का बन सकता है बेहतर विकल्प-
कक्षा नवमीं और ग्यारहवीं में पढऩे वाले भाई बहन के इस मॉडल की खूब चर्चा हो रही है।  स्कूल के प्रिंसिपल सहित पूरा स्टाफ नईम और अन्नूर के इस मॉडल पर गर्व कर रहे है और ये कामना कर रहे नईम और अन्नूर का यह प्रोजेक्ट सफल हो ताकि लोगों को सस्ती दर पर बिजली मिल सके।
बाल वैज्ञानिक नईम मंसूरी और अन्नूर फातिमा अपने इस मॉडल को लेकर काफी उत्साहित हैं और अपने इस प्रोजेक्ट को हर हालात में सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।  अगर नन्हें वैज्ञानिको की मेहनत रंग लाती है तो सैप्टिक टैंक से निकलने वाली मीथेन गैस से बिजली बना कर सस्ती बिजली बनाने का सपना साकार हो सकता है और मीथेन गैस बिजली बनाने के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

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