लापरवाही ने मचाई तबाही



झारखंड के लालमिट्टी इलाके की गोड्डा कोयला खदान अचानक धंस गई। इसमें सात लोगों की मौत हुई और 60 से ज्यादा लोग अभी भी फंसे हुए हैं। स्थानीय विधायक का दावा है कि उसने ईसीएल प्रशासन को इसकी सुरक्षा को लेकर पत्र लिखा था। मगर प्रबंधन ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। बार-बार की लापरवाही एक ही बार भारी पड़ गई। इतने सारे लोगों का जीवन संकट में पड़ गया। अगर समय रहते कोशिश की गई होती तो शायद इस दुर्घटना को टाला जा सकता था। आश्चर्य की बात है कि अभी भी प्रबंधन को इस बात का कोई भान नहीं है कि कितने लोग वहां फंसे हैं और कितने वाहन? इससे उनकी गैरजिम्मेदारियों का पता साफ-साफ चल जाता है। बार-बार खदानों की सुरक्षा को लेकर मॉकड्रिल की जाती रहती है। यहां तो लगता है सुरक्षा को लेकर मॉकड्रिल भी लंबे अरसे से नहीं किया गया था। सुनकर अजीब लगता है कि खदान में कौन आया और कौन गया इसका  कोई सटीक आंकड़ा प्रबंधन के पास नहीं है? इससे तो ये भी जाहिर होता है कि खदान के गेट से मनमाने ढंग से कोयले से लदे वाहनों का परिवहन जाता रहा होगा? जो प्रबंधन अपने उत्पादों की सुरक्षा नहीं कर सकता तो वो भला अपने कर्मचारियों का कितना ध्यान रखता होगा?
जैसे उस राज्य का नाम है झार-खंड यानि जिसको लूटकर खंड-खंड कर दिया गया हो उसे झारखंड कहते हैं। ये जुमला इस पर बिल्कुल सटीक लगता है।
राज्य शासन को चाहिए कि वो खदानों की सुरक्षा को लेकर तमाम तरह की मॉकड्रिल का आयोजन करे।  कैसे इस खतरे से निपटा जाए, इस पर भी गंभीर मंथन करने की आवश्यकता है। इसके अलावा तमाम खदान प्रबंधन को चाहिए कि वो पूरी तरह से चौकस रहें। आदमी का जीवन अमूल्य है। किसी की लापरवाही के चलते अगर किसी का जीवन संकट में पड़ता है, अथवा समाप्त हो जाता है, तो ये वेहद चिंता का विषय है। इसकी भी तत्काल जांच होनी चाहिए।
-----------------------------------------------------------------------------------------------

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव