छत्तीसगढ़ में चौथी बार भी रमन सरकार


    रायपुर। विकास के बेमिसाल 13 साल पूरे करने वाले डॉक्टर रमन सिंह ही प्रदेश के अगले मुखिया होंगे। ऐसे संकेत भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने रायपुर प्रवास के दौरान दिए। इसके लिए मुख्यमंत्री ने बाकायदा जमकर होमवर्क भी किया था। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह ने यहां आकर प्रदेश के मुखिया का जो कमाल देखा उससे दोनों ने निश्चय कर लिया है कि अगली बार भी प्रदेश सरकार की कमान डॉक्टर रमन सिंह ही संभालेंगे। यही कारण है कि श्री शाह जल्दी-जल्दी अपने दौरे को समेटने की फिरा$क में दिखाई दिए। क्योंकि ये बात तो वे दिल्ली से ही तय करके आए थे कि छत्तीसगढ़ में विकास की राह पर दौड़ रही भाजपा संगठन में कोई जोड़-तोड़ नहीं करना है।अपनी यात्रा से इतना तो संदेश साफ-साफ दे ही दिया कि अगला सीएम प्रमुख आदिवासी नेता  रामविचार नेताम, पूर्व राज्यसभा सांसद नंदकुमार साय और केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णुदेव साय में से नहीं ही होगा।
पार्टी और सत्ता के संतुलन से प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष संतुष्ट!
क्या है इसके पीछे का कारण-
13 साल रमन सिंह सरकार के पूरे होने के मौके पर जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आए तो कई नेताओं को इसका अरसे से इंतजार था। सभी ने अपने-अपने हिसाब से दमखम भी दिखाया। पर, वे तो यह तय कर के ही आए थे कि करना क्या है और बोलना क्या है। इसी क्रम में उन्होंने यह भी तय कर दिया कि छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन कब होगा और किसके नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ा जाएगा।
यह तो साफ हो गया था कि अमित शाह इस दौरे को निबटाने के चक्कर में थे और जल्द से जल्द रायपुर से विदा होना चाहते थे। क्योंकि, यहां सबकुछ शांत था। हां, कुछ ओबीसी नेता इस चक्कर में जरूर लगे थे कि किसी भी तरह से नेतृत्व परिवर्तन पर वे कुछ बोलें। पर, सबकुछ पहले से तय कर के चले अमित शाह ने यह साफ कर दिया की चौथी बार भी रमन सिंह के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा। साथ ही यह भी तय कर दिया कि कौन-कौन सीएम नहीं बन सकेगा, यदि भाजपा चौथी बार भी जितती है।
अपने दौरे के समय यह शायद अमित शाह का प्री-माइंड सेट ही था कि उन्होंने तय कर लिया है कि किसे तरजीह देनी है और किसे नहीं। यह उम्मीद जताई जा रही है कि छत्तीसगढ़ भाजपा के कुछ नेताओं को जल्द ही संगठन में ऊपर का पद मिल सकता है। शाह ने यह तो साफ कर दिया है कि चौथी बार भी डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में ही भाजपा चुनाव लड़ेगी।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी का चेहरा रमन ही क्यों
अमित शाह के दौरे में छत्तीसगढ़ बीजेपी में कार्यकर्ताओं के बीच चल रही अंदरूनी कश्मकश पर विराम लगा दिया है। कयास लगाये जा रहे थे कि अगले चुनाव में आदिवासी बहुल राज्य में डॉ. रमन सिंह की जगह किसी आदिवासी नेता को बतौर सीएम प्रमोट किया जा सकता है। दूसरी ओर कुछ ओबीसी वर्ग से संबंध रखनेवाले नेता भी इस दौड़ में आगे थे।
ये थे सीएम पद के संभावित
दावेदारों की लिस्ट में-
सामान्य वर्ग से आने वाले मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के अलावा बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पाण्डेय, कैबिनेट मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल और विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ऐसे बड़े नाम हैं, जिनकी दिल्ली में तूती बोलती है। ओबीसी के तहत कुर्मी समाज से रायपुर सांसद रमेश बैस के अलावा मंत्री अजय चंद्राकर और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी इस रेस में थे।यह स्पष्ट है मुख्यमंत्री सामान्य वर्ग से हैं तो संगठन के अन्य बड़े पदों पर ओबीसी नेताओं को रख कर बैलेंस किया गया है। चूंकि, यह संतुलन ठीक काम कर रहा है तो किसी छेड़छाड़ की जरूरत भी नहीं है। ऐसे में शाह ने यह तय कर दिया कि अगली बार यदि भाजपा जीती तो रमन ही सीएम बनेंगे, कोई और नहीं।
डॉ. रमन सिंह की
सफलता का राज़
रमन सिंह की सफलता इस बात में रही कि उन्होंने शाह को संतुष्ट करके भेजा है। भाजपा से जुड़े सूत्रों की माने तो शाह ने केवल नसीहत दी। कहा कि बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें लेने और चरण-वन्दन जैसी चीजों से बचें।
रामविचार का बढ़ा कद-
आदिवासी सीएम नहीं होगा प्रमोट, रामविचार को मिली ऊँची जगह
अमित शाह इस बात को बखूबी समझते हैं कि रमन सिंह यहां पार्टी का फेस बन चुके हैं। उन्हें हटाना मुश्किल है। ऐसे में उन्होंने सभी को खुश करने की कोशिश की है। ताज़ा उदाहरण है- आदिवासी समुदाय से आनेवाले राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम को फग्गन सिंह कुलस्ते की जगह भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। नेताम लम्बे समय से छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री होने की पैरवी करते रहे हैं। उनकी दिल्ली दरबार पर भी काफी पकड़ है।

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