एक अनाथ की गुहार, मुझे भी पढ़ा दो सरकार
नोटबंदी की मार और माता-पिता को खो चुका एक लाचार बार-बार लगा रहा है यही गुहार कि मुझे भी पढ़ा दो सरकार। जी हां कांकेर के धुर नक्सलवाद प्रभावति कोयलीबेड़ा की ग्राम पंचायत मायापुर का रहने वाला 5वीं का छात्र अभिजीत कुछ ऐसी ही गुहार हर किसी से लगाता दिखाई देता है। रविवार को मजदूरी करके अपने हफ्ते भर के खाने का इंतजाम करता है और उसके बाद पढ़ाई कर रहा है। ऐसे में शिक्षा के अधिकार की बात करने वाली सरकार क्या उस बच्चे को उसका ह$क दिलवा पाएगी?
शिक्षा के अधिकार पर प्रशासनिक चुप्पी बरकरार
कांकेर। क्या है पूरा मामला-
जिले के अतिसंवेदनशील कोयलीबेड़ा के ग्राम पंचायत मायापुर का, जहां एक छात्र पांचवीं की पढ़ाई कर रहा है। इस छात्र के सर पर हाथ रखने वाले माता -पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं।
5 साल पहले छात्र अभिजीत के माता- पिता का देहांत हो गया। उसके बाद से यह छात्र अकेला घर में रहकर साथ ही मजदूरी करते हुए पढ़ाई कर रहा है। इस छात्र की मार्मिक दशा को देखने और सुनने वाला कोई नहीं हैं। सबसे खास बात यह है कि यह छात्र छुट्टी के दिन रविवार को मजदूरी करने जाता है और पूरे सप्ताह भर का राशन एकत्र कर पढ़ाई में जुट जाता है।
बनना चाहता है इंजीनियर-
यह छात्र आगे पढ़ाई करके एक अच्छा इंजीनियर बनना चाहता है। वही इस लाचार छात्र को मिलने वाले राशन कार्ड को सचिव महोदय ने कटवा दिया और इस छात्र को राशन नहीं देने का फरमान जारी कर दिया।
तब से यह लाचार और बेबस छात्र आने वाले लोगों से सिर्फ यही विनती कर रहा है कि साहब मुझे पढ़ा दो। लोगो ने इस छात्र की बेबसी के बारे में बताया, लेकिन किसी भी ने इस छात्र की मदद करने की जहमत नही उठाई
हम आपको बता दें कि यह इलाका घोर नक्सल का गढ़ है और माओवादी ऐसे ही बच्चों को उठाकर अपने साथ ले जाते हैं और संगठन में जोड़ देते हैं।
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शिक्षा के अधिकार पर प्रशासनिक चुप्पी बरकरार
कांकेर। क्या है पूरा मामला-
जिले के अतिसंवेदनशील कोयलीबेड़ा के ग्राम पंचायत मायापुर का, जहां एक छात्र पांचवीं की पढ़ाई कर रहा है। इस छात्र के सर पर हाथ रखने वाले माता -पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं।
5 साल पहले छात्र अभिजीत के माता- पिता का देहांत हो गया। उसके बाद से यह छात्र अकेला घर में रहकर साथ ही मजदूरी करते हुए पढ़ाई कर रहा है। इस छात्र की मार्मिक दशा को देखने और सुनने वाला कोई नहीं हैं। सबसे खास बात यह है कि यह छात्र छुट्टी के दिन रविवार को मजदूरी करने जाता है और पूरे सप्ताह भर का राशन एकत्र कर पढ़ाई में जुट जाता है।
बनना चाहता है इंजीनियर-
यह छात्र आगे पढ़ाई करके एक अच्छा इंजीनियर बनना चाहता है। वही इस लाचार छात्र को मिलने वाले राशन कार्ड को सचिव महोदय ने कटवा दिया और इस छात्र को राशन नहीं देने का फरमान जारी कर दिया।
तब से यह लाचार और बेबस छात्र आने वाले लोगों से सिर्फ यही विनती कर रहा है कि साहब मुझे पढ़ा दो। लोगो ने इस छात्र की बेबसी के बारे में बताया, लेकिन किसी भी ने इस छात्र की मदद करने की जहमत नही उठाई
हम आपको बता दें कि यह इलाका घोर नक्सल का गढ़ है और माओवादी ऐसे ही बच्चों को उठाकर अपने साथ ले जाते हैं और संगठन में जोड़ देते हैं।
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