अफसर बिटिया
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना को एक ओर जहां बैंक के अधिकारी ही चूना लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पूरा देश कतार में खड़ा है और बैंक के अधिकारी कर्मचारी नए नोटों की गड्डियां धन्नासेठों को दे - दे रहे हैं। यही कारण है कि लोगों का आक्रोश भी अब ऐसे अधिकारियों के खिलाफ दिखाई देने लगा है। तो वहीं छत्तीसगढ़ की एक महिला अधिकारी सरगुजा के घने जंगलों में अपनी जान की परवाह किए बिना, दुर्गम इलाकों में जाकर स्वच्छता का संदेश दे रही है। आदिवासियों के गांवों में बेधड़क वो घरों के अंदर जाती हैं और वहां के लोगों को शौचालय निर्माण और उसके फायदे तथा सरकारी नियम-कायदे को बखूबी बताती हैं। इसके साथ ग्रामीणों से ऐसे घुलमिल जाती हैं लगता है कि जैसे वे इसी गांव की रहने वाली हों। ग्रामीण भी अपने अधिकारी के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं। कोशिश भी लगातार रंग ला रही है। नियम भी यही कहता है कि विकास की शुरुआत समाज की आखिरी सीढ़ी पर खड़े आखिरी व्यक्ति से होनी चाहिए। ये अधिकारी संभवत: उसी सिध्दांत पर आगे बढ़ रही हैं।
प्रदेश के मुखिया ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा सफल होता दिखाई दे रहा है। स्वच्छता की मशाल थामें ऐसी बेटियां ही मिसाल बनती हैं। जो दुर्गम रास्तों और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने अदम्य पराक्रम का परिचय देती हैं। इसके साथ ही साथ अपने कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता भी देती हैं। छत्तीसगढ़ की 2.55 करोड़ जनता को अपनी इस अफसर बिटिया पर नाज़ है। इनके कुशल मार्गदर्शन में स्वच्छता कार्यक्रम पूरी तरह से सफल होगा इसमें कोई दो राय नहीं है।
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