अक्खड़ और फक्कड़ अटल





देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का आज 92वां जन्म दिन है। उम्र के इस पड़ाव में भी वे इशारों-इशारों में बातें करते हैं। उनकी जिस दिलकश आवाज की दुनिया दीवानी थी, उसने उनका साथ छोड़ दिया है। अटल जी देश के एक ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिनका आज भी पूरी दुनिया सम्मान करती है। कालजयी कविताओं के रचयिता और प्रखर वक्ता अक्खड़ और  फक्कड़ मिज़ाजी ही उनकी पहचान हुआ करती थी। एक बार संसद में स्तीफा दे देने का फैसला करने के बाद वे तीर की तरह निकले और राष्ट्रपति को स्तीफा सौंपकर ही दम लिया। ये जिद भी कहीं न कहीं उनको राजनीति में स्थापित करती है। जहां कुर्सी के लिए लोग पता नहीं क्या-क्या करने को तैयार रहते हैं।
भंग और चाट के विशेष प्रेमी रहे अटल जी। उनकी एक खासियत ये भी रही कि वे जल्दी किसी को भूलते नहीं । कोलकाता के चित्तरंजन एवेन्यू पर चाट बेंचने वाले को भी उन्होंने दिल्ली बुलाया और उससे भी पूरे सम्मान से मिले। अटल जी वास्तव में अटल ही थे। एक बार ठान लिया कि परमाणु परीक्षण करना है तो फिर कर ही डाला। अमेरिका समेत पूरा विश्व चीखता-चिल्लाता और आंखें तरेरता रह गया। देश की जनता को अपने उन्हीं पूर्व प्रधानमंत्री पर नाज़ है।  भारतीय जनता पार्टी को शून्य से शुरू कर आज शिखर तक पहुंचाने में इनका विशेष योगदान रहा। एक समय हुआ करता था जब भाजपा के मायने ही सिर्फ अटल जी और आडवाणी जी हुआ करते थे। तमाम बड़े निर्णय इन्हीं दोनों की टेबल से हुआ करता था। समय ने करवट ली उसके बाद भाजपा के मायने बदले और राजनाथ भाजपा के नाथ बनकर उभरे। इन्हीं नेताओं के त्याग और पराक्रम का परिणाम है कि भाजपा आज भी देश में सरकार चला रही है।
उम्र के इस पड़ाव में भी देश की जनता का लगाव उनसे कहीं भी कम नहीं हुआ है। लोग आज भी अपने पूर्व प्रधानमंत्री को उतना ही सम्मान देते हैं जितना पहले देते थे। हमारी भी परमात्मा से यही प्रार्थना है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री शतायु हों।

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