ठेकेदारों ने झपटा महानदी पर बनने वाला रपटा



 प्रतापपुर-अंबिकापुर व्हाया खडग़वां मार्ग पर महानदी पर बने पुल के बह जाने के बाद कोयले के परिवहन को जारी रखने के लिए यहां बनाया जा रहा है रपटा। निविदा के नियम कायदे को ठेंगा दिखाकर 3 करोड़ की लागत से बनने वाले रपटे पर यहां के नेता और ठेकेदार झपटे।  आर्डर मिलते ही उसका निर्माण इस तरह किया जा रहा है कि वो एक बारिश भी कायदे से नहीं झेल पाएगा। इस गुणवत्ताहीन निर्माण को लेकर इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। यहां ठेका किसी और ने लिया है तो काम कोई और करवा रहा है। अधिकारी -कर्मचारी भी उन्हीं की पीठ थपथपा रहे हैं। ऐसे में सवाल तो यही है कि ऐसा रपटा आखिर बनवाया ही क्यों जा रहा है?
लगता है कि तीन बारिश भी नहीं झेल पाएगा 3 करोड़ का रपटा
प्रतापपुर ।
क्या है पूरा मामला-
  प्रतापपुर अम्बिकापुर व्हाया खडग़वां मार्ग में केरता के पास महानदी पर करीब अ_ारह वर्ष पूर्व बना विशाल पुल पिछली बारिश में बह गया । इसके बाद यह मार्ग पूरी तरह से बन्द हो गया था । इससे आम लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।  पुल के बहने के बाद इस मार्ग से होने वाला कोल परिवहन भी बन्द हो गया। इसके बाद में प्रतापपुर होकर चालू कराया गया। अधिकारियों ने आपदा और लोगों की मुसीबत के बीच अपना फ़ायदा ढूंढ लिया।  आम लोगों को राहत पहुंचाने तथा कोल परिवहन के नाम से महानदी पर पुल निर्माण से पहले रपटा निर्माण का निर्णय ले लिया गया।
नियम कायदे को रखा गया किनारे-
एसईसीएल ने इसके लिए करीब तीन करोड़ रुपये देने की हामी भरी और निर्माण एजेंसी सेतु निगम अम्बिकापुर को बना दिया गया। चूँकि निर्माण जल्द से जल्द कराना था इसके लिए टेंडर के नियमों में मनमानी ढील देकर और राजनीतिक दबाव में अपने एक चहेते ठेकेदार के नाम से वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया।
नाम किसी और का और आम किसी और का-
हालांकि लोगों की मानें तो नाम किसी का और काम किसी का है। आपदा के नाम पर एसईसीएल,सेतु निगम,ठेकेदार सहित तथाकथित नेताओं को लूट मचाने का मौक़ा मिल गया, जिसके लिए इन्होंने सारे नियमों को ताकत का फ़ायदा उठा शिथिल करा लिया।
हो रहा है स्तरहीन निर्माण-
 अब इसका निर्माण इतना घटिया करा रहे हैं कि यह रपटा पहली बारिश में ही ढेर हो जाएगा। ठेकेदार द्वारा सेतु निगम के सब इंजीनियर की देख रेख में स्तरहीन कार्य कराया जा रहा है।  सेतु निगम के साथ एसईसीएल के अधिकारी भी इस घटिया काम की सराहना कर निकल जाते हैं।
कहां हो सकती है समस्या-
 महानदी बहुत बड़ी नदी है तथा इसमें बालू बहुत ज्यादा गहराई तक है किन्तु इनके द्वारा रपटा के दोनों ओर की दीवार की गहराई मात्र ढाई मीटर रखी जा रही है । वह भी बिना स्टील के,बीच में यह गहराई मात्र सत्तर सेंटीमीटर की जा रही हैं जिसमें पचास सेंटीमीटर बोल्डर और बीस सेंटीमीटर क्रांक्रीट की जा रहा है। अब यह समझा जा सकता है इतनी बड़ी नदी में ढाई मीटर की गहरी दीवार क्या मायने रखती है जबकि नीचे केवल बालू ही बालू हो। जिस दिन भी तेज बारिश होगी पानी बालू के निचले हिस्से को  खोखला करता चला जायेगा और पूरा का पूरा रपटा ढह जाएगा।
वर्जन-
कलेक्टर और वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर तकनीकी जांच कराई जाएगी। रपटा के शुरु हुए काम का बेहतर ढंग से निर्माण कार्य कराया  जाएगा।
जगन्नाथ वर्मा
तहसीलदार
प्रतापपुर
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