संजीवनी ने किया निराश और रिक् शे पर लाश





अच्छे दिनों का दावा करने वाली सुराज की सरकार का ये क्रूर चेहरा जिसने भी देखा सन्न रह गया। जिस  108 एम्बुलेंस का दावा सरकार करती है उसकी सच्चाई यही है कि रायगढ़ जिले की घरघोड़ा तहसील के गांव भेन्द्रा में एक लाश का अस्पताल ले जाने के लिए इन दोनों ही सेवाओं को फोन पर फोन किया जाता रहा मगर 18 घंटों तक इंतजार करवाने के बाद भी ये लोग उस गांव तक नहीं पहुंचे। मजबूरन गांव वालों ने लाश को गठरी में बांधा और रिक् शे पर चारपाई पर लाद कर अस्पताल पहुंचाया। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की ये शर्मनाक तस्वीर जिसने भी देखी देखता ही रह गया। उसके मुंह से अनायास यही निकला कि क्या यही हैं अच्छे दिन?
१- 18 घंटे तक किया 108 का इंतजार, क्या ऐसे ही अच्छे दिन लाएगी सरकार

२- तहसीलदार ने तत्काल अंतिम संस्कार के लिए दी दस हजार की नकद राशि
रायगढ़।
क्या है पूरा मामला-
 घरघोड़ा विकास खण्ड के ग्राम भेण्ड्रा के रामलाल राठिया, उम्र-40 वर्ष, पिता- समारू राम की 13 सितंबर को आकाशीय बिजली गिरने से असामयिक मृत्यु हो गई। जैसे ही जिला प्रशासन को घटना की जानकारी मिली सक्रियता पूर्वक तहसीलदार द्वारा मृतक के परिवार को अंतिम संस्कार के लिए तत्काल शासन की ओर से 10 हजार की राशि उपलब्ध करा दी गई। कलेक्टर  अलरमेलमंगई डी ने दो दिन के अंदर परिवार को 4 लाख रुपए की मुआवजा राशि प्रदान करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। मृतकों के परिजन  समारू लाल राठिया ने  बताया कि संजीवनी एम्बुलेंस को लगातार फोन लगाता रहा मगर वो नहीं आई। एक-दो करते-करते 18 घंटे बीत गए इसके बाद फिर समारू लाल ने आंसू पोंछे और लाश को गठरी में बांध कर रिक् शे पर चारपाई के साथ लादा और अस्पताल ले आए। जहां उसका पोस्टमार्टम किया जाना था।

 पुलिस जांच करने के बाद उनका शव पोस्ट मार्टम करने 14 सितम्बर 2016 को घरघोड़ा ले गए। पोस्टमार्टम होने के बाद उनका दाह संस्कार ग्राम भेण्ड्रा में किया गया। पोस्ट मार्टम के बाद उनके परिजन मृत शरीर को लेकर तत्काल रवाना हो गए। जैसे ही जिला प्रशासन को घटना की जानकारी मिली उन्होंने सक्रियता पूर्वक तहसीलदार को अंतिम संस्कार के लिए तत्काल शासन की ओर से तुरंत 10 हजार की राशि पीडि़त परिवार को उपलब्ध करा दी गई।
फिर सामने आई प्रशासन की संवेदनहीनता-
इस घटना ने एक बार फिर से प्रशासन की संवेदनहीनता को पूर्णरूपेण उजागर किया है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या प्रदेश सरकार का स्वास्थ्य महकमा इतना गैरजिम्मेदार हो गया है? लोग मर जाते हैं कोई देखने तक नहीं जाता। लोगों की लाश भी ले जाने  के लिए न तो कोई शव वाहन है और न एम्बुलेंस? अगर कुछ है तो वो हैं सिर्फ और सिर्फ लंबे -चौड़े दावे।


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