पहलवान का ईमान

खटर-पटर-

निखट्टू-
हमारे गांव में पहले लगा करती थी एक बड़ी दंगल। उसमें बड़ी दूर-दूर से नामी गिरामी पहलवान आते थे। दंगल कमेटी का बटोरा हुआ दूध पीते थे बादाम खाते थे। दो दिनों तक वे गांव में रहते थे और दंगल कमेटी वाले पहलवानों के सारे नखरे सहते थे। एक बार उसी दंगल में घटी एक अजीब घटना। अखाड़े में दंगल के सबसे बड़े पहलवान को तीन फुट का बौना जोर-जोर से पीट रहा था। उस पर जोर-जोर से चिल्ला रहा था। लोगों की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। बौने ने पहलवान के गाल पर जड़े दर्जनों चाटे, उसके हाथ और पैरों में कई जगह दांतों से काटे। पर पहलवान मुस्कराता रहा उसको बच्चा है-बच्चा है कहकर लोगों को बताता रहा। तो वहीं वो बौना बच्चे का वरदान पाकर फूल गया। अपनी सारी औ$कात भूल गया। बौने का बड़ा भाई था डाकू। उसने बौने को चुपके से थमा दिया एक चाकू। बौने ने पहलवान की जांझ में जैसे ही चाकू घुसाया। मामला भीड़ की समझ में आया। बिरादरी के लोगों ने बौने को पकड़कर अखाड़े में घसीटा सब ने मिलकर पटक-पटक कर जमकर पीटा। कुछ लोगों ने उसके उस डाकू भाई को भी पकड़कर किया खत्म तब जाकर टूटा बौने का भरम। इसके बाद बौने को अपनी गलती समझ में आई तो उसने बिरादरी के लोगों से गुहार लगाई मगर बिरादरी ने साफ कर दिया मना। उसका काम यहां नहीं बना। कराहता और डरता बौना बेचारा क्या करता। बिरादरी  वालों के आगे पीछे घूम रहा है। तो वहीं बिरादरी उसके इस कृत्य पर उसको बाहर करने पर तुली है। बिरादरी के लोगों का मानना है कि पहलवान तो हमारी बिरादरी और हमारे समाज की जान है। उसके ऊपर लगातार हमलावार हुआ ये बौना.... ही पाकिस्तान है। तो फिर समझ गए न सर....अब हम भी निकल लेते हंै अपने घर तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब  तक के लिए जय.....जय।

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