विस्फोट की चोट









बलौदाबाजार के रवान और उसके समीपवर्ती गांवों के लोग काफी लंबे अरसे से यहां चल रही पत्थर खदानों में होने वाले विस्फोट से हलाकान हो रहे हैं। यहां दिन में कई-कई बार विस्फोट कराए जाते हैं। इसके पीछे का कारण ये है कि सीमेंट बनाने के लिए यहां खदानों से पत्थरों को निकाल  जाता है। उसके बाद उनको तोड़ा जाता है। तो ये क्रम जमीन के अंदर भी किया जाता है। ऐसे में इनके बीच में बारूद भरकर धमाका करवा दिया जाता है। तो वहीं उनका तो पत्थर टूट जाता है, मगर उससे गरीबों और किसानों का घर तो हिलता और गिरता ही रहता है। अब इनकी फसलें भी इन धमाकों से उडऩे वाली धूल से नष्ट होने लगी हैं। तो वहीं गांव के पंच-सरपंच और खनिज विभाग के अधिकारियों की तिकड़ी ने गांव के सीधेसादे किसानों का जीना मुहाल कर रखा है। लगातार शिकायत के बावजूद भी इन पूंजीपतियों पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती है। तो इनकी ही शह पर यहां खनिज पत्थरों की खदानें और क्रॉसर धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं। तो जिम्मेदार अधिकारियों ने कान में तेल डाल कर रख लिया है।  इन्हीं के चक्कर में फंसे ग्रामीणों की 12 सौ एकड़ की फसल बर्बाद हो चुकी है, अफसोस की बात है कि अब तक उस गांव में कोई भी सरकारी अधिकारी दौरा करने तक नहीं गया। कार्रवाई करना और किसानों की खबर लेना तो दूर।  गांव के तमाम किसान अपना-अपना खेत-बाड़ी बेंचकर यहां से पलायन कर रहे हैं। तो वहीं जानकार बताते हैं कि इन लोगों की पूरी जमीन  खनन माफिया खरीद रहे हैं और  उनके इस काम में मदद दे रहे हैं राज्य सरकार के तमाम काबिल अफसर। इससे इन 5 गांवों में सरकार के प्रति लोगों के मन में नकारात्मक संदेश जा रहा है। दो साल बाद चुनाव है विपक्ष इसको एक मुद्दे के तौर पर इस्तेमाल कर सरकार की जीत की राह में रोड़े अटका सकता है।
ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो किसानों की इस पीड़ा का प्राथमिकता के आधार पर निराकरण करे। तो वहीं उद्योगपतियों को भी इस बात का ध्यान देना होगा कि उन्होंने जो वादे ग्रामीणों से किए थे उनको प्राथमिकता से पूर्ण करें। ऐसा होने से ही प्रदेश के किसानों और आम नागरिकों के अच्छे दिन आने की उम्मीद की जा सकती है।  तो अगर ऐसा नहीं किया गया तो फिर अगले चुनाव में सरकार को मुंह की खानी पड़ेगी इसमें कोई दो राय नहीं है।

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