गुनहगार को पहरेदार कैसे बना रही सरकार. जोगी..

नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर बोले  अजीत जोगी कहा


रायपुर। गुनहगार को पहरेदार कैसे बना रही सरकार। ये बात सोमवार को छजकां जोगी के संस्थापक अजीत जोगी ने हमारी सरकार से कही। दरअसल सुकमा में 12 सरेंडर्ड नक्सलियों को प्रदेश के गृह विभाग द्वारा नगर सैनिक बनाने को लेकर उन्होंने  सरकार पर जमकर सवाल दागे। श्री जोगी ने कहा कि नक्सलवाद पर राज्य सरकार अपनी नीति स्पष्ट करे।क्या ऐसा करके वो प्रदेश के युवाओं को नक्सली बनने का संदेश दे रही है, या फिर वो लोगों को  नक्सलवाद से समाज की मुख्यधारा में जोडऩा चाहती है? और तो और भाजपा सरकार देश की न्याय पालिका की भी अनदेखी कर रही है।
चंबल के तमाम बागियों ने भी सरकार के नेताओं और अधिकारियों के सामने आत्मसर्पण किया था, मगर सभी ने अपनी-अपनी सजाएं जेल में काटी थी। चाहे वो बागी मलखान सिंह, मान सिंह, सतपाल सिंह रहे हों या फिर फूलन देवी इन सभी ने माननीय न्यायालय  द्वारा दी गई सजा काट कर  ही  बाहर आए। उसके बाद वे आज स्वतंत्र घूम रहे हैं, लेकिन नक्सलियों के मामले में ऐसा नहीं किया गया।
अदालतों की अनदेखी क्यों
सवाल तो ये भी उठता है कि जब देश के तमाम बड़े-बड़े अपराधी आत्म समर्पण के बाद अपनी बाकी की सजा जेल में काटते हैं तो फिर इन नक्सलियों ने अपनी सजा क्यों नहीं पूरी की? गुनहगार को सजा देने का काम हमारे देश के माननीय न्यायालयों का है, न कि पुलिस विभाग का? पुलिस उनकी कर्मकुंडली को अदालत में बतौर सुबूत पेश करती है। ये दीगर बात है कि आत्मसमर्पण के बाद अदालत उनके गुनाहों की उतनी सजा नहीं देती जितने के वो ह$कदार होते हैं, मगर सजा तो मिलती ही है।
भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने का प्रयास: पैकरा
प्रदेश के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा इसको कमी नहीं मानते । उन्होंने कहा कि हम समाज के भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के तहत उनको उपकृत किया जा रहा है।  समाज में गलत संदेश जाने की बात पर उनका कहना था कि ये तो अपनी-अपनी सोच है। समझने वाले इसका क्या अर्थ निकालते हैं ये तो वही जानें? तो वहीं न्यायालय की बात करने पर उन्होंने चुप्पी साध ली।     शेष पृष्ठ 5 पर...
इससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश सरकार न्याय पालिका की अनदेखी कर रही है। ये एक गंभीर मामला है।
क्या है पूरा मामला
सुकमा के हाटकचोरा स्थित नगरसेना कार्यालय में आयोजित एक संक्षिप्त कार्यक्रम में पूर्व में सरेण्डर किये नक्सलियों को नगरसेना में शामिल किये जाने की प्रक्रिया पूरी की गयी। पत्रकारों से चर्चा के दौरान एसआरपी. कल्लूरी ने रविवार को कहा कि आज कुल 22 आत्मसमर्पित नक्सलियों व नक्सल पीडि़तों को शासकीय सेवा में शामिल किया गया है। दरअसल समर्पण के बाद उन्होंने समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया, जिसके साथ ही उन्हें सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ मुहैया कराने की पूरी प्रक्रिया की जा रही है। इस दौरान नगरसेना के संभागीय सेनानी आरके पाण्डे, पुलिस अधीक्षक राजेंद्र नारायण दास, क्षेत्रीय न्यायिक फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के संयुक्त संचालक डॉ. बी. सूरीबाबू सहित अन्य मौजूद थे।
इससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश सरकार न्याय पालिका की अनदेखी कर रही है। ये एक गंभीर मामला है।
क्या है पूरा मामला
सुकमा के हाटकचोरा स्थित नगरसेना कार्यालय में आयोजित एक संक्षिप्त कार्यक्रम में पूर्व में सरेण्डर किये नक्सलियों को नगरसेना में शामिल किये जाने की प्रक्रिया पूरी की गयी। पत्रकारों से चर्चा के दौरान एसआरपी. कल्लूरी ने रविवार को कहा कि आज कुल 22 आत्मसमर्पित नक्सलियों व नक्सल पीडि़तों को शासकीय सेवा में शामिल किया गया है। दरअसल समर्पण के बाद उन्होंने समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया, जिसके साथ ही उन्हें सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ मुहैया कराने की पूरी प्रक्रिया की जा रही है। इस दौरान नगरसेना के संभागीय सेनानी आरके पाण्डे, पुलिस अधीक्षक राजेंद्र नारायण दास, क्षेत्रीय न्यायिक फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के संयुक्त संचालक डॉ. बी. सूरीबाबू सहित अन्य मौजूद थे।
7 दिन में सामान्य करें....
 चाहिए, क्योंकि लंबे समय से चल रहे इस संकट में सबसे ज्यादा नुकसान छात्रों का ही हुआ है। गृह मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि दुकानें और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को फिर से खुलवाने की कोशिश की जानी चाहिए। बता दें कि रविवार को कश्मीर में हुई दो अलग-अलग मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और तीन आतंकवादियों को भी मार गिराया गया। अधिकारियों ने राजनाथ को कश्मीर घाटी के मौजूदा हालात से अवगत कराया।
गौरतलब है कि आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद से घाटी में अशांत है। प्रदेश में अब 75 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।


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