गणपति के साथ आदर्शों और एनजीटी के आदेशों का विसर्जन
देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार रायपुर में रेंगता यातायात और उसके बीच कुछ झांकियां। झांकियों के पीछे बजते डीजे और सामने शराब के नशे में धुत्त नाचते लोग। कहीं आपस में धक्का-मुक्की तो कहीं गाली-गलौज से लेकर मारपीट तक के कारनामें। अधिकारियों की फाइलों में बंद रखा नेशनल ग्रीन ट्रायब्युनल का आदेश। तो वहीं टांगें पसार कर सोते पर्यावरण प्रदूषण संरक्षण विभाग के अधिकारी। सवाल तो ये है कि आखिर किस वेद में कहा गया है कि हम भगवान का विसर्जन करें तो शराब के नशे में नाचते हुए? इनको देखकर लग रहा है गोया हम गणपति के साथ-साथ अपने आदर्शों और एनजीटी के आदेशों का भी विसर्जन करने जा रहे हैं।
रायपुर। एक ओर भगवान विश्वकर्मा लोगों को घरों-कल-कारखानों और दुकानों में पधारे तो गणपति ने अपने गांव की ओर प्रस्थान कर गए। ऐसे में वैदिक नियम कायदे तो लोगों को याद भी हैं या नहीं। अलबत्ता कुछ लोगों ने इसके लिए नए-नए नियम कायदे गढ़ डाले। इसके कारण आम-अवाम की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। तो वहीं सरकार एनजीटी के आदेशों का परिपालन करने की बजाय तमाशबीन बनी बैठी है।
ध्वनि और धुएं से लोग हो रहे हलाकान-
देश के छठवें सबसे प्रदूषित शहर रायपुर की हालत तो पहले से ही खराब थी। अब उस पर ये हाईपॉवर डीजे और ताशा पार्टियों की धमाल के चक्कर में राजधानी के हार्ट के रोगियों की तकलीफें बढ़ती जा रही है। तमाम चेतावनियों को अनदेखा कर शासन-प्रशासन के लोग भी इनकी मदद करने में लगे हैं। कानफोड़ूं पटाखे और दूसरी आतिशबाजिओं से निकलने वाले धुएं के चलते सांस के रोगियों को सांस लेने तक में दिक्कतें हो रही हैं।
कैसे-कैसे डीजे-
जानकारों ने बताया कि शहर में 50 हजार से लेकर 5 लाख वॉट तक के शेष पृष्ठ 5 पर...
डीजे उपलब्ध हैं। इनका उपयोग करने वाले बताते हैं कि हार्ट का पेशेंट अगर इनके बगल पांच मिनट भी रुक जाए तो उसका काम तमाम समझिए। इसकी ध्वनि तो बेहद तेज होती ही है। रेडिएशन की मात्रा भी काफी तेज होती है।
झगड़े होने के पीछे का कारण-
ऐसे मौकों पर अक्सर देखा जाता है कि लोग झगड़े फसाद से लेकर मारपीट तक पर उतर आते हैं। इसका कारण है वहां होने वाला रेडिएशन। आमतौर पर 3 माइक्रोसीवर्ट तक का रेडिएशन तो आदमी किसी तरह बर्दाश्त कर लेता है। ऐसे मौकों पर ये रेडिएशन 10 माइक्रोसीवर्ट के आसपास तक पहुंच जाता है। इसके कारण लोगों को तनाव आना साधारण सी बात है। इसके अलावा ध्वनि की तरंगे भी दिमाग की नसों को उत्तेजित कर देती हैं।
इसके कारण भी लोग कई बार बीमार भी हो जाते हैं।
पुलिस के हौसले पस्त-
नेशलन ग्रीन ट्रायब्युनल ने राज्य सरकार को प्रदूषण और कचरे का संधारण करने के आदेश जारी किए। तो वहीं राज्य सरकार माननीय अदालत के आदेश की धज्जियां सरेआम उड़ा रही है। उसके इस काम में उसका बराबर का साथ दे रही है राज्य की पुलिस। हेलमेट पर आम जनता को चौक-चौराहों पर रोकने वाली पुलिस के हाथ, कानून को हाथ में लेने वाले लोगों पर कार्रवाई करने में कांप रहे हैं। थानों के सामने से होकर तेज आवाज वाले डीजे और पटाखे फोड़ते लोग शराब के नशे में मदमस्त होकर नाच रहे हैं और पुलिस और प्रशासन धर्म के नाम पर उनकी सुरक्षा करने में लगा है।
किस वेद में लिखा है कि ऐसे करें विसर्जन-
धर्म के जानकार लोगों का मानना है कि ऐसा तो किसी भी वेद में नहीं लिखा है कि भगवान को डीजे का साउंड बजाते और तेज आवाज वाले पटाखों को फोड़ते और शराब पीकर नाचते हुए विसर्जित किया जाए? हमारा धर्म शास्त्र इस बात की कतई इजाजत नहीं देता। अलबत्ता हम राजनेताओं की बात नहीं करते। ये किसी को कुछ भी करने की इजाजत दे सकते हैं।
राजनीतिक पार्टियों के इशारे पर हो रहा काम-
ये डीजे और ताशा पार्टियों की तेज आवाजें और पटाखों का शोर तथा शराब पीकर नशे में धुत्त होकर नाचने वालों के पीछे किसी न किसी सियासी पार्टी के नेताओं का हाथ है। इन्हीं की आड़ में ये सारा खिलवाड़ चल रहा है। सियासी पार्टियों के इस राजनीतिक सितम के शिकार बन रहे हैं राजधानी के तमाम वे लोग जिनको अस्थमा और हृदय रोग की शिकायत है। इसके अलावा भी तमाम उन लोगों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है जो कहीं न कहीं अपने धर्म का ज्ञान रखते हैं। ऐसे तमाम लोगों की धर्मिक भावनाएं आहत की जा रही हैं। डीजे उपलब्ध हैं। इनका उपयोग करने वाले बताते हैं कि हार्ट का पेशेंट अगर इनके बगल पांच मिनट भी रुक जाए तो उसका काम तमाम समझिए। इसकी ध्वनि तो बेहद तेज होती ही है। रेडिएशन की मात्रा भी काफी तेज होती है।
झगड़े होने के पीछे का कारण-
ऐसे मौकों पर अक्सर देखा जाता है कि लोग झगड़े फसाद से लेकर मारपीट तक पर उतर आते हैं। इसका कारण है वहां होने वाला रेडिएशन। आमतौर पर 3 माइक्रोसीवर्ट तक का रेडिएशन तो आदमी किसी तरह बर्दाश्त कर लेता है। ऐसे मौकों पर ये रेडिएशन 10 माइक्रोसीवर्ट के आसपास तक पहुंच जाता है। इसके कारण लोगों को तनाव आना साधारण सी बात है। इसके अलावा ध्वनि की तरंगे भी दिमाग की नसों को उत्तेजित कर देती हैं। इसके कारण भी लोग कई बार बीमार भी हो जाते हैं।
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