राम भरोसे छात्रावास
राज्य के छात्रावासों की दशा दिनोंदिन खराब होती जा रही है। यहां आलम ये है कि इनकी दुर्दशा पर कोई कुछ बोलने तक को तैयार नहीं है। नया मामला सूरजपुर जिले के ओडग़ी ब्लॉक के छात्रावास का है जहां 24 से भी ज्यादा छात्र-छात्राओं को चेचक की बीमारी हो चुकी है। इसके बावजूद भी न तो छात्रावास की साफ-सफाई की जा रही थी और न ही उनका किसी योग्य चिकित्सक से इलाज करवाया जा रहा था। छात्रावास की अधीक्षिका वहीं पास के एक गांव से एक झाडफ़ूंक करवाने वाले से इनका इलाज करवा रही थीं। उन्होंने छात्रावास का दौरा करने पहुंचे दो किसान नेताओं के सामने ये दावा किया कि इस बीमारी का इलाज तो सिर्फ झाडफ़ूंक ही है। ऐसे में डॉॅक्टर्स के पास जाने से इसका कोई भी हल निकलने वाला नहीं है। सवाल तो ये है कि ऐसे लोगों के ज्ञान पर तरस आता है। तो वहीं दूसरी ओर उनको जो कुछ भी शिक्षा दी गई थी उसकी गुणवत्ता पर भी तरस आता है। दुनिया कहां से कहां चली गई मगर ये लोग इतने जिम्मेदार पद पर बैठने के बावजूद भी पुरानी मान्यताओं पर अड़े हुए हैं। तो वहीं एक दूसरे छात्रावास में तीसरी कक्षा का एक बालक बुखार से तड़प रहा था और उसके अधीक्षक को पता तक नहीं था। इन छात्रावासों के बच्चे नाले का पानी पीते हैं। उसी के पानी से नहाते और उसी को निस्तारी के काम में लाते हैं। ऐसे में उनका बीमार होना तो स्वभाविक है। अच्छे सुशासन का दावा करने वाली सुराज की सरकार का ये असली चेहरा है। सरकार के तमाम अहलकार दिल्ली जाकर केंद्र सरकार को झूठी दिलासा देकर पैसे बटोर कर लाते हैं और उसको दूसरे कामों में खर्च कर रहे हैं। ऐसे में समस्या जहां थी वहीं खड़ी रह जाती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि कम से कम वो जिस चीज के लिए पैसा मांग कर लाती है। उसको उसी मद में खर्च किया जाए। इससे न सिर्फ आदिवासियों का भला होगा बल्कि देश और राज्य की भी हालत में सुधार आएगा।
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