झाडफ़ूंक के भरोसे सूरजपुर का छात्रावास -
शिक्षित लोग भी तमाम जागरूकताओं के बावजूद किस तरह तंत्र-मंत्र और झाडफ़ूंक पर भरोसा करते हैं, इसका नजारा किसान मोर्चा के दो नेताओं ने जिले के ओडग़ी ब्लॉक के धरसेड़ी गांव में मौजूद छात्रावास में देखा। यहां दो दर्जन से ज्यादा छात्राएं चेचक से पीडि़त हैं, तो वहीं आश्रम अधीक्षिका उनका इलाज झाडफ़ूंक से करवा रही हैं। उनका दावा है कि झाडफ़ूंक ही इसका बेहतरीन इलाज है। लगे हाथ उन्होंने ये भी दावा किया कि यहां कोई भी डॉक्टर इलाज के लिए नहीं आता। छात्रावास के बच्चे नाले का पानी पीते हैं। तो वहीं बैजनाथपुर के छात्रावास में तीसरी कक्षा का एक छात्र बुखार से तड़प रहा था और उसके अधीक्षक को इसकी जानकारी तक नहीं थी। नेताओं ने इस मामले को लेकर छात्रावास के अधीक्षक को जमकर लताड़ लगाई। सवाल तो ये है कि क्या ये लोग गरीबों के बच्चों को जानवर समझते हैं? यदि ऐसा नहीं है तो उनके साथ बार-बार ऐसा बर्ताव क्यों? सरकार क्यों नहीं लेती ऐसे लोगों के खिलाफ संज्ञान?
चेचक की बीमारी से ग्रस्त छात्र-छात्राओं का अधीक्षिका करवा रही थीं झाडफ़ूंक करने वाले से उपचार, गंभीर होने पर भेज देती हैं घर, न डॉक्टर और न ही दवाएं
सूरजपुर। वैसे तो आदिवासी विकास विभाग के द्वारा संचालित छात्रावासो में कमीशनखोरी के आलम में मासूमो के निवालों पर डाका समेत मनमानी पूर्वक संचालन जग जाहिर है। कुछ इसी तरह का मामला आज सोमवार को ओडग़ी ब्लाक के ग्राम धरसेडी से सामने आया है।
दो दर्जन बच्चियों को चेचक की समस्या-
मिली जानकारी के अनुसार किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष अरविन्द दुबे समेत जिला पंचायत के उपाध्यक्ष गिरीश गुप्ता ओडग़ी क्षेत्र के प्रवास के दौरान अचानक ग्राम धरसेड़ी स्थित कन्या आश्रम पहुंच गए। जहां अव्यवस्था देख वे हतप्रभ थे। 50 सीटर इस कन्या आश्रम में तमाम अव्यवस्थाएं थी, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात जो थी वो यह कि यहां की करीब दो दर्जन से अधिक बच्चियों में चेचक की शिकायत है। जिनका इलाज कराने की बजाए झाडफूंक कराया जा रहा है।
अधीक्षिका बता रहीं झाडफ़ूंक को बेहतर इलाज-
इन नेताओं की मानें तो बड़ी बेबाकी से छात्रावास अधीक्षिका ने बताया कि झाडफूंक से इसका इलाज संभव है। इसलिए किसी चिकित्सक के पास जाने का कोई मतलब नहीं है। चेचक के इलाज के लिए झाडफ़ूंक कोई और नहीं बल्कि क्षेत्र के एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि कर रहे हैं। नेताओं के समक्ष अधीक्षिका ने बताया कि जनपद सदस्य द्वारा किए गए झाडफ़ूंक से कुछ बच्चियां ठीक हुई हैं। कुछ की हालत ज्यादा खराब थी जिन्हें घर भेज दिया गया है। इस आश्रम के करीब 20 से 25 छात्राओं को इसकी शिकायत है।
यहां नहीं आता कोई भी चिकित्सक-
धरसेड़ी आश्रम की अधीक्षिका के अनुसार महीनों से यहां कोई चिकित्सक या नर्स नही आए हैं। जबकि कायदे से आश्रम, छात्रावास में नियमित बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के निर्देश हैं और नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक जाकर उनका परीक्षण करेंगे। इतना ही नहीं छात्रावासों में तो एनएम की नियुक्ति की ही बात थी।
दो माह से खराब है सोलर पंप-
इस आश्रम में बिजली के लिए सौर उर्जा की व्यवस्था की गई है। वही पानी के लिए सोलर पम्प लगाए गए हैं जो दो महीने से खराब पड़ा है।
नाले का पानी पीते हैं बच्चे-
पानी के लिए बच्चों को ढोड़ी व नाले पर आश्रित होना पड़ रहा है। बच्चों ने बताया कि नित्य क्रिया के साथ ही पीने के पानी के लिए भी वे रोज नाले तक की जद्दोजहद करते हंै। अधीक्षिका ने बताया कि वे सम्बंधित उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दे चुकी हंै, पर सुधार की दिशा में कोई पहल नही हुई जिससे बच्चों को निश्चित रूप से दिक्कतें हो रही हैं।
बुखार में तप रहा था तीसरी कक्षा का छात्र-
इधर दूसरी ओर नेताद्वय भैयाथान ब्लॉक के ग्राम बैजनाथपुर के छात्रावास का हाल जानने भी पहुंचे तो वहां भी अव्यवस्था का आलम था। यहां तो तीसरी का बीरबल नामक छात्र बुखार से तड़प रहा था और अधीक्षक को इस बात की हवा ही नहीं थी। नेताओं ने जब बच्चों का हाल देखा और अधीक्षक से बात की तो वे खुद आश्चर्य में थे। उन्हें तो यह भी नहीं मालूम था कि बच्चा कब यहां आया है। बाद में इस बच्चे को नेताओं के पहल पर उपचार के लिए अस्पताल भिजवाया गया है।
नेताओं ने लगाई अधीक्षक को फटकार -
> नेताद्वय ने अधीक्षक के साथ साथ निरीक्षण की जानकारी लगते ही मौके पर पहुंचे मण्डल संयोजक को भी इन अव्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए जमकर लताड़ लगाई और कहा कि वे अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करें। जिससे शासन की योजनाओं का लाभ लोगों को मिल सके। इस तरह की अव्यवस्थाओं से सरकार की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
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