नेताओं के गले की हड्डी

-कटाक्ष-

निखट्टू-

इस देश में सपनों को बेचने और खरीदने का खेल काफी दिनों से चलता आ रहा है। पहले सपने दिखाओ फिर उसको बेच दो। कुल मिलाकर इन लोगों को सपनों का सौदागर कहना ज्यादा मुनासिब लगता है। देश को ऐसा ही सपना एक बड़े नेता ने दिखाया। सपना था हर किसी के खाते में 15 करोड़ आने का। अच्छे दिन लाने का। देश में चारों ओर अमन चैन और खुशहाली का। ये वादे इस देश के सबसे बड़े चौकीदार ने बड़ी-बड़ी जनसभाओं में जनता से किए थे। जनता ने उनको देश की कमान क्या सौंपी बुचवा राजा हो गए। किसी की ओर घूम कर देखने का वक्त नहीं है बस विदेशों के दौरे पर दौरे किए जा रहे हैं। देश में समस्याएं पालथी मार कर बैठी हैं और प्रधानमंत्री जी विदेश यात्रा पर हैं। गरीब खाने के लिए मर रहा है और हमारे प्रधानमंत्री अमेरिका के ह्वाइट हाउस में बराक ओबामा के साथ अमेरिकी व्यंजन उड़ा रहे हैं। तो यहां उनके सहयोगी संसद की कैंटीन में देश का सबसे अच्छा भोजन सबसे सस्ती दर पर कर रहे हैं।   ये उसी जनता को कोस रहे हैं जिसकी कमाई वहां संसद में भकोस रहे हैं। ऊपर से बढ़ा हुआ वेतन और भत्ता भी ले रहे हैं। अब उन्हीं के एक कद्दावर मंत्री के दिमाग में ये बात आई के अच्छे दिन तो सरकार की गले की हड्डी बनने वाले हैं। तो उन्होंने इस हड्डी को ट्विटर के गले में लटका दिया। उसकी रस्सी का दूसरा किनारा प्रधानमंत्री के एकाउंट में अंटका दिया। अच्छे दिन की आस देकर देश के गरीबों का पैसा ये लोग भच्छे जा रहे हैं। टैक्स, रेल किराया से लेकर महंगाई तक आसमान पर चली गई है। देश की जनता सवाल पर सवाल कर रही है कि क्या यही हैं अच्छे दिन? अब जब जवाब नहीं सूझा तो इसको गले की हड्डी बता रहे हैं। अरे हुजूर आपके गले की हड्डी ने तो गरीबों की चड्डी उतारने की नौबत ला दी है। वो किसको बताएं? इसलिए अब बड़ी-बड़ी डींगें थोड़ा कम हांकिए और कुछ काम भी कीजिए, क्यों समझ गए न सर.... तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर तो फिर कल आपसे फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए जय....जय।

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