कूटनीति का जोरदार प्रहार
भारत की पाकिस्तान को सबक सिखाने वाली नीति के तहत उसको कूटनीति से कूटने और सैन्य नीति से सबक सिखाने वाली राजनीति कारगर साबित हुई है। यूएन में नवाज़ शरीफ के संबोधन से ठीक पहले अमेरिका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने पाक को जमकर लताड़ा। उन्होंने चीन को भी सचेत करते हुए कहा कि देश छिपकर वार करने से बाज आएं वर्ना आतंकवाद उन्हें भी भस्म कर देगा। इसके ठीक 12 घंटे के अंदर ही व्हाइट हाउस में पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने का बिल पेश कर दिया गया। ऐसे में नवाज़ को दोहरा झटका लगा है। भारत की कामयाब कूटनीति का नतीजा है कि एक ओर जहां उसको रूस ने सैन्य साजोसामन देने से मना कर दिया तो वहीं अफगानिस्तान और बांग्लादेश ने उसके यहां होने वाले असियान सम्मेलन का बहिष्कार करने की भी घोषणा कर दी। फ्रांस और जर्मनी ने भारत के साथ रहने की बात कहकर उसको जोरदार झटका दिया। कुल मिलाकर पाकिस्तान का ये दांव उन्हीं पर उल्टा पड़ गया। तो वहीं सेना ने उरी सेक्टर में घुसपैठ की नाकाम कोशिश कर रहे आतंकवादियों को भी मार गिराया। इसके अलावा पाकिस्तान के बार्डर का दौरा भी कमांडर्स ने किया है। इसके बाद से वहां हड़कंप मचा हुआ है। अगर ये बिल अमेरिकी संसद में पास हो जाता है तो नि:संदेह पाकिस्तान को विश्व के तमाम देशों से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी मिलनी बंद हो जाएगी। उसके अनन्य मित्र चीन ने भी बदलते हालात को देखकर चुप्पी साध ली है। अब उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि वो क्या करे? मौका पाकर ओबामा ने चीन को छिपी चेतावनी भी दे डाली है। ऐसे में काफी हद तक पाकिस्तान पर भारतीय कूटनीतिक विजय होती दिखाई दे रही है। अभी हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान के काले कारनामों का पूरा चि_ा खोलने के लिए वहां पहुंच चुकी हैं। इस मामले में एक अहम बात ये भी देखने को मिली कि नवाज शरीफ से कोई भी बड़ा नेता मिलने तक को तैयार नहीं है। इससे झल्लाए नवाज शरीफ ने अपने सैन्य अफसरों से बात की है। तो वहीं भयभीत पाक सेना के अधिकारी हमारी हर गतिविधियों पर पैनी निगाह रखे हुए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर हमारी विदेश नीति इसी तरह आगे बढ़ती रही तो हम पाकिस्तान को सबक सिखाने में जरूर कामयाब होंगे । तो वहीं बार्डर पर भी उसको करारी चोट मिलेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है।
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