कुम्हारों की छूट पर रसूखदारों की लूट


 कुम्हारों को मिली छूट पर इन दिनों जांजगीर के रसूखदार टूट पड़े हैं। जिले में हजारों की तादाद में अवैध ईंट भ_े संचालित किए जा रहे हैं। इनको न तो खनिज न वन और न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कुछ बोलता है। भाठा जमीन की मिट्टी, जंगलों से अवैध कटाई और तस्करी कर लायी गई लकडिय़ां और चोरी का कोयला इनके इस काले कारोबार में नई जान फूंक रहा है। यही कारण है कि यहां लाल ईंटों का काला कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है।बरसात खत्म होने वाली है तो एक बार फिर से ईंट के अवैध कारोबारी अपनी दुकान सजाने की कोशिश में लग गए हैं। ऐसे में सवाल तो यही कि आखिर इन पर कब लगाम कसेगा प्रशासन?
लाल ईंटों के काले कारोबार का कड़वा सच, कमाई की आड़ में चल रहा खिलवाड़






 जांजगीर।  जिले में इन दिनों अवैध ईंट भ_ों की बाढ़ आई हुई है।  कुम्हार जाति को मिले छूट का लाभ रसूखदार लोग उठा रहें हैं और लाल ईंट का अवैध निर्माण कर मोटी कमाई करने में जुटे हैं। इतना ही नहीं इन ईंट भ_ों में चोरी का कोयला और अवैध रुप से जंगल से काटी गई लकडिय़ों का उपयोग भी खुलेआम किया जा रहा है।  खास बात यह है कि जांजगीर जिले में ईंट बनाने के लिए एक भी भ_े को मंजूरी नही दी गई है वावजूद इसके खुलेआम ईंट भ_े संचालित है और इन भ_ों से निकले ईंट का उपयोग निज़ी के साथ-साथ शासकीय भवन बनाने में भी किया जा रहा है।
कहां-कहां हैं ईट के अवैध भ_े-
डारन, संजय नगर, पीथमपुर, केरा, पटौद, कपिस्दा, कांशीनगर, जैजैपुर और ओडेकेरा के अलावा तमाम दूसरे इलाकों में भी इस तरह  के भ_े चलाए जा रहे हैं। सीधी बात करें तो जिले में एक भी गांव या क़स्बा ऐसा नहीं है जहां लाल ईंटों का क़ाला करोबार ना किया जा रहा हो।
कैसे कमा रहे मुनाफा-
र्इंट बनाने के लिए मिट्टी का अवैध उत्खनन तो किया ही जा रहा है, साथ ही ईंट माफिया ईंट को पकाने के लिए चोरी का कोयला और हरे भरे जंगल की लकडिय़ों के उपयोग से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। जानकारों और ईंट के व्यपारियों से जुड़े लोगों का मानना है कि ईंट के व्यवसाय में काफी मुनाफा है और ईंट के धंधे में हजार से लाख और लाख से दस लाख बनते देर नहीं लगती है यही कारण है कि सारे नियम कानून को ताक पर रख कर अवैध ईंट का भ_ा संचालित किया जा रहा है।  अवैध ईंट भ_ों के चलते शासन को राजस्व नुकसान हो रहा है।
कम लागत में ज्यादा मुनाफा-
 लाल ईंटों का काला सच ये है कि  भ_ा संचालक ज्यादा कमाई के लिए सभी नियमों को ताक पर रखने से भी परहेज़ नहीं कर रहे हैं और इनके संरक्षक बन कर बैठे खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों को दिन के उजाले मे भी यह नजर नहीं आ रहा है । जब ईंट बनाने की अनुमति ही नहीं है  तो फिर ये ईंटें कहां से और कैसे आ रही हैं ? यह जानने की फुर्सत खनिज विभाग को नहीं है।
धुएं से लोग हो रहे बीमार-
इन भ_ों से निकलने वाले काले धुएं की चपेट में आकर लोग बीमार भी हो रहे हैं। यहां के लोगों में अस्थमा, टीवी और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां फैल रही हैं।
प्रदूषण संरक्षण बोर्ड ने साधी चुप्पी-
लगातार हो रहे पर्यावरण के नुकसान पर भी पर्यावरण प्रदूषण विभाग बिलासपुर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि आखिर प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी किसकी है? अगर ये वास्तव में जिम्मेदार हैं तो फिर ये अपना काम पूरी ईमानदारी से क्यों नहीं कर रहे हैं?
वर्जन-
आप एक शिकायत पत्र हमारे कार्यालय में डलवा दें, हम इस पर तत्काल कार्रवाई करेंगे।
अमर प्रकाश सावंत
तकनीकी और वैज्ञानिक सेक् शन के विशेषज्ञ
रायपुर।

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