बटोरन बाबा का हृदय परिवर्तन
खटर-पटर-
निखट्टू
हमारे मोहल्ले के बटोरन बाबा के 7 बेटे हैं, अच्छा भला परिवार है। रक्षाबंधन के दिन उनके घर में सन्नाटा पसरा देख मुझे आश्चर्य हुआ। उधर घर के अंदर टीवी पर बार -बार हरियाणा की बेटी साक्षी की सफलता को दिखाया जा रहा था। मोहल्ले की सभी बेटियां अपने -अपने भाइयों को राखी बांध चुकी थीं। बटोरन बाबा बैठे-बैठे कुछ बड़ी गंभीरता से सोच रहे थे। मैंने पूछा कि बाबा क्यों आज इतने गंभीर मुद्रा में बैठे हो? रोज तो बड़ी तेज आवाज में दहाड़-दहाड़ कर बेटों की प्रशंसा के पुल बांधा करते थे? बटोरन बाबा की आंखों में आंसू आ गए। बोले निखट्टू जी मैं बहुत बड़ा गुनहगार हूं। आज मुझे मेरे किए पर पश्चाताप हो रहा है। मेरे सातों बेटे आप लोगों के आशीर्वाद से सरकारी नौकरी में हैं। दहेज भी मैंने कम नहीं लिया। अरे बटोरन है हमारा नाम। जिसने भी मेरे बेटों से रिश्ता जोडऩे की कोशिश की भरपूर कीमत वसूली मैंने मगर अफसोस कि उन सातों की सूनी कलाई देखकर मुझे अपनी करनी पर पश्चाताप हो रहा है। ये कहते -कहते बटोरन बाबा रो पड़े। मैंने उनको ढांढस बंधाया, तो वे जिद कर बैठे- बोले आज के दिन मैं अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते हैं। मैं कुछ समझा नहीं तब उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के पेट में पल रही छह बेटियों का गर्भपात करवा दिया था। आज उसी की सजा भोग रहे हैं। मैंने कहा बाबा अगर आप प्रायश्चित करने का मन बना चुके हैं तो मुझे आधे घंटे का वक्त दीजिए मैं व्यवस्था करता हूं। मैंने तत्काल एक अनाथ आश्रम की संचालिका को फोन लगाया और कहा कि आप सात बच्चियों को भेज दीजिए। संचालिका खुद बच्चियों समेत आ गईं। बटोरन बाबा ने अपने सातों बेटों को एक-एक बेटी से राखी बंधवाई और फिर संचालिका की ओर देखकर बोले बहन जी हम क्या खाली हाथ रहेंगे। उन्होंने हंसते हुए एक राखी बटोरन बाता की कलाई में बांध दी। बटोरन बाबा ने उसी वक्त संचालिका को लिखित में आश्वासन दिया कि उन बच्चियों की शादी अच्छे घरों में करवाई जाएगी और उनका खर्च उनके भाई उठाएंगे। बटोरन बाबा ने भी आंसू पोछते हुए कहा बहन अब से ये घर तुम्हारा है आती रहना...पीछे से सातों बेटों और बहुओं की आवाज एक साथ आई ... बुआ जी फिर कब आ रही हैं। संचालिका ने कहा जल्दी ही मेरे बच्चों। तो हमारे बटोरन बाबा आज गए सुधर और अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।
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निखट्टू
हमारे मोहल्ले के बटोरन बाबा के 7 बेटे हैं, अच्छा भला परिवार है। रक्षाबंधन के दिन उनके घर में सन्नाटा पसरा देख मुझे आश्चर्य हुआ। उधर घर के अंदर टीवी पर बार -बार हरियाणा की बेटी साक्षी की सफलता को दिखाया जा रहा था। मोहल्ले की सभी बेटियां अपने -अपने भाइयों को राखी बांध चुकी थीं। बटोरन बाबा बैठे-बैठे कुछ बड़ी गंभीरता से सोच रहे थे। मैंने पूछा कि बाबा क्यों आज इतने गंभीर मुद्रा में बैठे हो? रोज तो बड़ी तेज आवाज में दहाड़-दहाड़ कर बेटों की प्रशंसा के पुल बांधा करते थे? बटोरन बाबा की आंखों में आंसू आ गए। बोले निखट्टू जी मैं बहुत बड़ा गुनहगार हूं। आज मुझे मेरे किए पर पश्चाताप हो रहा है। मेरे सातों बेटे आप लोगों के आशीर्वाद से सरकारी नौकरी में हैं। दहेज भी मैंने कम नहीं लिया। अरे बटोरन है हमारा नाम। जिसने भी मेरे बेटों से रिश्ता जोडऩे की कोशिश की भरपूर कीमत वसूली मैंने मगर अफसोस कि उन सातों की सूनी कलाई देखकर मुझे अपनी करनी पर पश्चाताप हो रहा है। ये कहते -कहते बटोरन बाबा रो पड़े। मैंने उनको ढांढस बंधाया, तो वे जिद कर बैठे- बोले आज के दिन मैं अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते हैं। मैं कुछ समझा नहीं तब उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के पेट में पल रही छह बेटियों का गर्भपात करवा दिया था। आज उसी की सजा भोग रहे हैं। मैंने कहा बाबा अगर आप प्रायश्चित करने का मन बना चुके हैं तो मुझे आधे घंटे का वक्त दीजिए मैं व्यवस्था करता हूं। मैंने तत्काल एक अनाथ आश्रम की संचालिका को फोन लगाया और कहा कि आप सात बच्चियों को भेज दीजिए। संचालिका खुद बच्चियों समेत आ गईं। बटोरन बाबा ने अपने सातों बेटों को एक-एक बेटी से राखी बंधवाई और फिर संचालिका की ओर देखकर बोले बहन जी हम क्या खाली हाथ रहेंगे। उन्होंने हंसते हुए एक राखी बटोरन बाता की कलाई में बांध दी। बटोरन बाबा ने उसी वक्त संचालिका को लिखित में आश्वासन दिया कि उन बच्चियों की शादी अच्छे घरों में करवाई जाएगी और उनका खर्च उनके भाई उठाएंगे। बटोरन बाबा ने भी आंसू पोछते हुए कहा बहन अब से ये घर तुम्हारा है आती रहना...पीछे से सातों बेटों और बहुओं की आवाज एक साथ आई ... बुआ जी फिर कब आ रही हैं। संचालिका ने कहा जल्दी ही मेरे बच्चों। तो हमारे बटोरन बाबा आज गए सुधर और अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।
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