छत्तीसगढ़ में बना तिरंगे का तमाशा
-जनता जिनसे रखती है विकास और कल्याण की आशा, वहीं बना रहे है हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का तमाशा। दस से ज्यादा बार पोल से गोल हो चुका है देश का सबसे ऊंचा तिरंगा। अक्सर ही दिखाई देता है उसका पोल नंगा। तो वहीं राज्य के आबकारी मंत्री की गाड़ी पर भी लटका मिला था उल्टा तिरंग। इसके बाद फिर बस्तर की ललकार रैली में हजारों की तादाद में जमीन पर पड़े मिले तिरंगे ने जनता की चिंता को और भी गहरा बना दिया। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या छत्तीसगढ़ की अफसरशाही और मंत्रियों ने तिरंगे का तमाशा बनाने की कसम खा रखी है?
रायपुर। जगदलपुर में शनिवार की ललकार रैली में राष्ट्रीय ध्वज का जिस तरह से मजाक उड़ाया गया उसने पूरी प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। इतने संगीन मामले को लेकर जगदलपुर के कलेक्टर और एसपी दोनों ही गंभीर नहीं है। उनकी कार्यशैली देखकर लगता है जैसे कुछ हुआ ही न हो।
आबकारी मंत्री की गाड़ी पर लगा था उल्टा तिरंगा-
प्रदेश के आबकारी मंत्री की गाड़ी पर दो बार उल्टा तिरंगा लटका हुआ मिला था। इस मामले को लेकर भी सरकार ने चुप्पी साध ली थी। अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सवाल तो ये है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है?
दस बार नीचे आया सबसे ऊंचा ध्वज-
देश के सबसे ऊंचे तिरंगे का तो इतनी बार अपमान हुआ कि कुछ कहा ही नहीं जा सकता। अक्सर हल्के से भी आंधी तूफान आने के बाद ही उसका पोल खाली ही दिखाई देता है। तकरीबन दस से ज्यादा बार ये पोल से गोल हो चुका है। तो वहीं नगर निगम के जिम्मेदार इसको लेकर बहाने पर बहाने बताने दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सवाल तो यही है कि प्रदेश में तिरंगे के नाम पर ऐसा मजाक क्यों किया जा रहा है?
क्या है पूरा मामला-
शनिवार को 50 एनजीओ और तमाम विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने मिलकर नक्सलवाद के खिलाफ ललकार रैली का आयोजन किया था। इसमें जिले के कलेक्टर अमित कटारिया और पुलिस अधीक्षक आर.एन. दास के अलावा बड़ी तादाद में जिले के अधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम के समापन के बाद स्कूल के मैदान में हजारो की तादाद में तिरंगे जमीन पर पड़े मिले।
राष्ट्रीय ध्वज का अपमान गंभीर अपराध-
राष्ट्रीय ध्वज की आचार संहिता में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी दशा में हमारे राष्ट्रीय ध्वज की अवमानना नहीं होनी चाहिए। तो वहीं छत्तीसगढ़ में एक पर एक राष्ट्रीय ध्वज की अवमानना के मामले सामने आने के बावजूद भी इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या सरकार राष्ट्रीय ध्वज का ऐसे ही अपमान करवाने पर तुली है?
कलेक्टर लगे रहे जनदर्शन में-
सोमवार को हमारी सरकार के संवाददाता ने जब कलेक्टर अमित कटारिया से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उनके पीए ने बताया कि साहब जनदर्शन में व्यस्त हैं। इससे पूर्व भी कलेक्टर से दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश की गई थी, मगर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था।
मोदी के सामने गए थे काला चश्मा लगाकर-
ये वही कलेक्टर अमित कटारिया हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने काला चश्मा पहन कर गए थे। इसके बार उनकी जमकर किरकिरी हुई थी।
पुलिस अधीक्षक ने दी छिपे तौर पर धमकी-
इस मामले पर जब जगदलपुर के पुलिस अधीक्षक से हमारी टीम ने बात करनी चाही तो उनका बात करने का तरीका ऐसा था गोया वो किसी नक्सली या फिर आतंकवादी से बात कर रहे हों। जाहिलों वाले अंदाज में उन्होंने संवाददाता को परोक्ष रूप से धमकी तक दे डाली। सवाल तो यही है कि क्या तिरंगे की अवमानना क्यों हुई ये जानना किसी पत्रकार का अधिकार नहीं है? अगर वो किसी पुलिस अधीक्षक का पक्ष जानना चाहता है तो उसके साथ इस तरह का बर्ताव क्यों किया गया? क्या वो कोई अपराधी है? लब्बोलुआब ये कि पुलिस अधीक्षक ने मामले को दबाने की नाकामयाब कोशिश की। उनकी बात करने की शैली सुनने पर कोई भी उनकी वाचिक शैली को जायज नहीं ठहरा सकता । आश्चर्य है कि इतने के बावजूद भी प्रदेश की पुलिस के आला अधिकारी राज्य में पुलिस और पत्रकारों के बीच मित्रता की बात करते हैं। सवाल है कि यदि इनका ये बर्ताव है तो फिर ये मित्रता कैसे संभव है? जब किसी पत्रकार के साथ ये ऐसा व्यवहार करते हैं तो फिर आम जनता को भला क्या समझते होंगे?
बेहद गंभीर मामला है जांच होनी चाहिए: सिंहदेव-
विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष टीएस.सिंह देव ने हमारी सरकार के पत्रकार के साथ हुए इस दुव्र्यवहार की निंदा की। उन्होंने कहा कि ये एक बेहद गंभीर मामला है। इसके लिए हम प्रशासन को पत्र लिखेंगे। तो वहीं उन्होंने तिरंगे की अवमानना पर भी गहरा क्षोभ व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए और जो भी इसका दोषी हो उसको कठोर से कठोर सजा दी जानी चाहिए।
हम करवाएंगे इसकी जांच: गृहमंत्री-
प्रदेश के गृहमंत्री ने कहा कि ये एक बेहद गंभीर मामला है । हम इसकी जांच करवाएंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने भी हमारी सरकार के प्रतिनिधि से हुए इस वाचिक दुव्र्यवहार की कठोर शब्दों में निंदा की है और उन्होंने पुलिस अधीक्षक से इसकी कैफियत मांगी है।
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