यथा दुग्धम तथा मंत्री
कटाक्ष-
निखट्टू
प्रदेश की एक मंत्री कल हेलीकॉप्टर से उतरते वक्त लडख़ड़ाकर गिर पड़ीं। कुछ दिनों पहले राज्य में बंट रहे गुणवत्ताहीन सरकारी दूध को इन्होंने गुणवत्ता वाला बताया था। उस वक्त हमारी छोटी सी खोपड़ी में एक छोटा सा सवाल आया कि पूछ लूं कि मोहतरमा.... अब मेरी समझ में आ गया कि राज्य का वो दूध जरूर उच्च गुणवत्ता वाला रहा होगा। अरे जब उस विभाग का मंत्री इतना स्वस्थ है तो फिर दूध की गुणवत्ता तो जरूर उत्तम रही होगी? वैसे भी आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि वो दूध ही पीकर बस्तर में आदिवासियों की दो बच्चियां मर गईं। तो महासमुंद में उसी दूध के पैकेट में कीड़े बिलबिलाते मिले थे। जब राज्य का कोई मंत्री अगर उसी दूध को गुणवत्ता वाला बताए तो जनता का कहना है कि एक दिन उसको विधान सभा में बांटा जाए और मुख्यमंत्री सहित वहां मौजूद सारे मंत्रियों विधायकों और अधिकारियों को पिलाया जाए। इसके बाद राज्य की 2.55 करोड़ जनता ये तय करेगी कि इसको पीना है या नहीं? वैसे भी जितनी तारीफ उस मंत्री ने विधान सभा में उस घटिया दूध की किया था। उससे तो एक बारगी यही लगा था कि जैसे माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग में मिल्कोज़ को मीडिया कर्मियों के लिए मुफ्त में शुरू किया था। उसी तरह छत्तीसगढ़ विधान सभा में सरकार द्वारा सुगंधित मीठा दूध मंत्रियों को दिया जाएगा। वैसे अपनी इन मंत्री जी के स्वास्थ्य को देखकर तो सरकार को चाहिए कि उनको इस उत्तम दूध के कुछ डिब्बे भेजवा दें ताकि वे अगली बार चौपर से उतरते वक्त न गिरें। इसी को संस्कृत भाषा में कहा जाएगा कि यथा दुग्धम तथा मंत्री...क्यों समझ गए न सर... तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय....जय।
निखट्टू
प्रदेश की एक मंत्री कल हेलीकॉप्टर से उतरते वक्त लडख़ड़ाकर गिर पड़ीं। कुछ दिनों पहले राज्य में बंट रहे गुणवत्ताहीन सरकारी दूध को इन्होंने गुणवत्ता वाला बताया था। उस वक्त हमारी छोटी सी खोपड़ी में एक छोटा सा सवाल आया कि पूछ लूं कि मोहतरमा.... अब मेरी समझ में आ गया कि राज्य का वो दूध जरूर उच्च गुणवत्ता वाला रहा होगा। अरे जब उस विभाग का मंत्री इतना स्वस्थ है तो फिर दूध की गुणवत्ता तो जरूर उत्तम रही होगी? वैसे भी आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि वो दूध ही पीकर बस्तर में आदिवासियों की दो बच्चियां मर गईं। तो महासमुंद में उसी दूध के पैकेट में कीड़े बिलबिलाते मिले थे। जब राज्य का कोई मंत्री अगर उसी दूध को गुणवत्ता वाला बताए तो जनता का कहना है कि एक दिन उसको विधान सभा में बांटा जाए और मुख्यमंत्री सहित वहां मौजूद सारे मंत्रियों विधायकों और अधिकारियों को पिलाया जाए। इसके बाद राज्य की 2.55 करोड़ जनता ये तय करेगी कि इसको पीना है या नहीं? वैसे भी जितनी तारीफ उस मंत्री ने विधान सभा में उस घटिया दूध की किया था। उससे तो एक बारगी यही लगा था कि जैसे माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग में मिल्कोज़ को मीडिया कर्मियों के लिए मुफ्त में शुरू किया था। उसी तरह छत्तीसगढ़ विधान सभा में सरकार द्वारा सुगंधित मीठा दूध मंत्रियों को दिया जाएगा। वैसे अपनी इन मंत्री जी के स्वास्थ्य को देखकर तो सरकार को चाहिए कि उनको इस उत्तम दूध के कुछ डिब्बे भेजवा दें ताकि वे अगली बार चौपर से उतरते वक्त न गिरें। इसी को संस्कृत भाषा में कहा जाएगा कि यथा दुग्धम तथा मंत्री...क्यों समझ गए न सर... तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय....जय।
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