मसेनार में ग्रामीणों ने खींचे बांस के खम्भे पर बिजली के तार




 दंतेवाड़ा जिले का गांव मसेनार जहां के ग्रामीणों ने दो किलोमीटर दूर से पेड़ों और बांस के खम्भे लगाकर खींचे बिजली के तार। तो वहीं इससे बेखबर बिजली विभाग के अधिकारी कर रहे हैं किसी बड़े हादसे का इंतजार। बारिश में हरे पेड़ो से गुजरता कटा-फटा वाइंडिंग का तार कर रहा है किसी न किसी की जान लेने का इंतजार। ऐसे में सवाल तो ये कि अगर इस हादसे में किसी की जान जाती है तो उसकी मौत का जिम्मेदार कौन होगा? ग्रामीण या फिर बिजली विभाग के अधिकारी?

विद्युत विभाग के अधिकारी कर रहे हैं किसी बड़े हादसे का इंतजार
 दंतेवाड़ा।

क्या है पूरा मामला-जिले के मसेनार ग्राम के ग्रामीण कई सालों से गांव में बिजली की मांग कर रहे थे, लेकिन इनकी फरियाद किसी भी अधिकारी ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद वाइंडिंग तार और बांस की लकडिय़ों के जुगाड़ से गांव में बिजली पहुंचाकर गांव को रोशन कर दिया। ग्रामीणों के जुगाड़ से इस गांव के हर एक घर में बिजली है। टीवी, पंखे और लाइट जल रही है। जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर मसेनार ग्राम में कई सालों से बिजली नहीं थी।
ग्रामीणों ने इस बात की शिकायत कई बार बड़े अधिकारियों से की लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी, तो ग्रामीणों ने खुद सूखे बांस को खम्बे बनाकर 10 फिट ऊपर लगा दिए फिर इसमें सेटिंग में काम आने वाले वाइंडिंग तारों को मेन और अर्थिंग बनाकर लगा दिया।
ग्रामीण हैं इसके खतरों से अनजान-
इन तारों को दो किलोमीटर पेड़ों, सड़कों और नदी को पार कर ले आए और गांव तक बिजली पहुंचा दी।  खुले वाइनडिंग तारों से खतरा ग्रामीण रोज उठाते हैं। इन तारों से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
इस खतरे से ग्रामीण तो अनजान हैं ही साथ ही अधिकारियों को भी इन गांववालों की जान की परवाह नहीं।
नदी के आरपार तक ले गए हैं ऐसे ही तार-
गांव में करंट 2 किलोमीटर दूर दूसरे गांव से लाया जा रहा है। वाइनडिंग तारों को कई पेड़ों में भी लगाया गया है नीचे नदी भी है। ग्रामीणों की जान कभी भी जोखिम में पड़ सकती है। बिजली विभाग के अधिकारियों को गांव में वाइनडिंग तारों के सहारे 2 किलोमीटर बिजली लाने की जानकारी नहीं है।
 बिजली चोरी की श्रेणी में आता है ये अपराध-
ग्रामीणों का ये अपराध बिजली की चोरी की श्रेणी में आता है।इसके ऊपर बिजली विभाग के अधिकारी अक्सर कार्रवाई करते रहते हैं। इन ग्रामीणों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई ये प्रश्र विचारणीय है।

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