न गोली और न ही बम पूरा पाक खत्म



-उरी हमले के बाद भारत के पलटवार के भय से भयभीत पाकिस्तान को बिना गोली बम के रेगिस्तान बनाने की तैयारी भारत ने कर ली है। हमारा राष्ट्र 56 साल पहले विश्व बैक की मध्यस्थता से हुए सिंधु जल समझौते को रद्द करने जा रहा है। ये जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने दी। उन्होंने कहा कि समझौते आपसी विश्वास पर चलते हैं। हमारी सरकार ने अपने अंक में देश के प्रधामंत्री से ये मांग रखी थी, जिस पर पीएमओं में हुई हाईलेबल मीटिंग में भी विचार किया गया। जानकारों का तो ये भी मानना है कि इसकी तबाही परमाणु बमों से कहीं ज्यादा होगी और पाकिस्तान रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा।

 अब पाकिस्तान को बनाएंगे रेगिस्तान,आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की भी तैयारी
नई दिल्ली। 

पाक की जनता पी रही हर साल  60 हजार करोड़ का पानी-
जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान हमारी छह नदियों से हर माह 5 हजार करोड़ यानि पूरे साल में 60 हजार करोड़ का पानी पी जाता है। वो ऐसा काम पिछले 56 सालों से करता आ रहा है। अब तक के आंकड़ों पर अगर गौर किया जाए तो ये एक बहुत बड़ी रकम होती है।
क्या  होगा फायदा-
हमारे देश का जितना पानी पाकिस्तान को जाता है उससे हम 20 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। इसके अलावा हमारे देश के एक बड़े भू-भाग को सिंचाई के लिए भी पानी मिलने लगेगा।
बॉक्स-
हमारी सरकार ने भेजा था प्रधानमंत्री को सुझाव-
हमारी सरकार सांध्य दैनिक ने बंद करो पानी खत्म कहानी शीर्षक के माध्यम से इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया था।  इसके अलावा उनके ट्विटर एकाउंट पर भी इसकी कॉपी पोस्ट की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रस्ताव पर भी विचार किया इसके लिए हमारी सरकार परिवार उनका आभार व्यक्त किया है।
पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की कवायद-
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यह भी संकेत दिए कि भारत अपने बूते पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की संभावना पर भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा, किसी भी दूसरे राष्ट्र को आतंकी देश घोषित करने के लिए एक नीति होनी चाहिए। हमारे पास अभी ऐसी कोई नीति नहीं है। विदेश मंत्रालय का उक्त बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि भारत लगातार दूसरे देशों से पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहा है।
56 साल पुराना है सिंधु समझौता-
विश्व बैंक की मध्यस्थता से 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इस पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत पाकिस्तान से पूर्वी क्षेत्र की तीन नदियों व्यास, रावी और सतलज का नियंत्रण भारत को दिया गया जबकि पश्चिम की तीन नदियों सिंधु, चेनाब व झेलम पर नियंत्रण की जिम्मेदारी पाकिस्तान को दी गई।

भारत के हिस्से केवल 19.48 फीसद पानी

इसके तहत भारत अपनी छह नदियों का 80 फीसद से ज्यादा पानी पाकिस्तान को देता है। भारत के हिस्से आता है केवल 19.48 फीसद पानी। ये छह नदियां हैं, सिंधु, रावी, व्यास, चिनाब, झेलम और सतलुज।
पाकिस्तान पूरी तरह से निर्भर-
पड़ोसी देश की 2.6 करोड़ एकड़ कृषि भूमि सिंचाई के लिए इन नदियों के जल पर निर्भर है। यदि भारत इनका पानी अवरुद्ध कर दे तो पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी।

दुनिया की सफलतम संधि-
अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति ने 2011 में इस संधि को दुनिया की सफलतम संधि करार दिया था। दरअसल यह संधि केवल भारत के चलते सफल हुई है। इसकी वजह से हालांकि भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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