खोटे इंसान की रोटी
कटाक्ष-
निखट्टू
संतो...एक सेठ के यहां उनके गुरुजी आए। सेठ अपने गुरूजी का बहुत आदर सम्मान करते थे। गुरुजी की सेवा में 56 भोग बनाए गए। तो उनका रसोइया ने कुछ बासी रोटियां लेकर फेंकने के लिए कूड़ेदान की ओर निकला। वहीं कई दिनों से भूखा एक बच्चा उसके आगे आकर खड़ा हो गया। हाथ जोड़कर बोला बाबा.....बहुत जोल छे भूख लगी है दो लोती दे दो बाबा। रसोइया आखिर सेठ का रसोइया था उसने आव देखा न ताव एक लात उस बच्चे के पेट पर मार दिया। इसके बाद बच्चे को लगा कि अब बिना संघर्ष किए उसको रोटी नहीं मिलने वाली। लिहाजा वो अपनी पूरी ताकत लगाकर रसाइए की टोकरी पर झपटा और तीन बासी रोटियां लेकर भागा। इतने में ही रसोइए ने वहां कुछ दूरी पर मौजूद सुरक्षा गार्डों को आवाज लगा दी। बस फिर क्या था सेठ के पालतू सुरक्षा गार्ड उसके ऊपर पिल पड़े ताबड़तोड़ पिटाई से वो बच्चा तो मर गया। इसके बाद भी उसको गार्ड पीटे ही जा रहे थे। ऊपर छत पर बैठे गुरूजी ये दृश्य देख रहे थे। इसके बाद वे दरवानों को जोर से डांटते हुए बोले- दुष्टों तुम अपनी रोटी के लिए उस गरीब की रोटी तो छीनी ठीक है, मगर जिंदगी छीनने का ह$क तुमको किसने दिया? जिसको तुम लगातार पीटे जा रहे हो वो तो कब का मर चुका है। उसके बाद बाबा तत्काल वहां से प्रस्थान करने लगे तो सेठ और सेठानी दौड़कर उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। उन्होंने कहा महाराज इसमें हमारा कोई कसूर नहीं है। वो बच्चा चोर था लिहाजा उसको हमारे गार्डों ने पीटा....सुनते ही बाबा का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। बोले सेठ पेड़ों से भी ये बात नहीं सीख सके क्या कि जिस पेड़ पर फल लगे होते हैं वो झुक जाता है। जिस पर कुछ नहीं रहता वो तन कर खड़ा होता है। जाओ मैं तुमको श्राप देता हूं कि तुम उसी की तरह दरिद्र हो जाओ। इसके बाद बाबा वहां से उस बुढिय़ा की झोपड़ी में गए जहां उसकी गरीब मां अपने बेटे के कफन के लिए भीख मांगने आसपास की झोपडिय़ों में गई थी। उसको पता चला कि कोई सम्पन्न बाबा जी आए हैं तो उम्मीद जगी कि कफन मिल जाएगा। बाबा ने उसके बच्चे के सिर पर हाथ फेरा और कहा उठ जा बेटा। बच्च उठ खड़ा हुआ इसके बाद उसको बाबा ने अत्यधिक धनी होने का आशीष दिया। इसके साथ ही ताकीद भी की कि गरीब और विपन्न की सेवा करना और बच्चे ने वैसा ही किया....तो समझ गए न सर....अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।
निखट्टू
संतो...एक सेठ के यहां उनके गुरुजी आए। सेठ अपने गुरूजी का बहुत आदर सम्मान करते थे। गुरुजी की सेवा में 56 भोग बनाए गए। तो उनका रसोइया ने कुछ बासी रोटियां लेकर फेंकने के लिए कूड़ेदान की ओर निकला। वहीं कई दिनों से भूखा एक बच्चा उसके आगे आकर खड़ा हो गया। हाथ जोड़कर बोला बाबा.....बहुत जोल छे भूख लगी है दो लोती दे दो बाबा। रसोइया आखिर सेठ का रसोइया था उसने आव देखा न ताव एक लात उस बच्चे के पेट पर मार दिया। इसके बाद बच्चे को लगा कि अब बिना संघर्ष किए उसको रोटी नहीं मिलने वाली। लिहाजा वो अपनी पूरी ताकत लगाकर रसाइए की टोकरी पर झपटा और तीन बासी रोटियां लेकर भागा। इतने में ही रसोइए ने वहां कुछ दूरी पर मौजूद सुरक्षा गार्डों को आवाज लगा दी। बस फिर क्या था सेठ के पालतू सुरक्षा गार्ड उसके ऊपर पिल पड़े ताबड़तोड़ पिटाई से वो बच्चा तो मर गया। इसके बाद भी उसको गार्ड पीटे ही जा रहे थे। ऊपर छत पर बैठे गुरूजी ये दृश्य देख रहे थे। इसके बाद वे दरवानों को जोर से डांटते हुए बोले- दुष्टों तुम अपनी रोटी के लिए उस गरीब की रोटी तो छीनी ठीक है, मगर जिंदगी छीनने का ह$क तुमको किसने दिया? जिसको तुम लगातार पीटे जा रहे हो वो तो कब का मर चुका है। उसके बाद बाबा तत्काल वहां से प्रस्थान करने लगे तो सेठ और सेठानी दौड़कर उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। उन्होंने कहा महाराज इसमें हमारा कोई कसूर नहीं है। वो बच्चा चोर था लिहाजा उसको हमारे गार्डों ने पीटा....सुनते ही बाबा का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। बोले सेठ पेड़ों से भी ये बात नहीं सीख सके क्या कि जिस पेड़ पर फल लगे होते हैं वो झुक जाता है। जिस पर कुछ नहीं रहता वो तन कर खड़ा होता है। जाओ मैं तुमको श्राप देता हूं कि तुम उसी की तरह दरिद्र हो जाओ। इसके बाद बाबा वहां से उस बुढिय़ा की झोपड़ी में गए जहां उसकी गरीब मां अपने बेटे के कफन के लिए भीख मांगने आसपास की झोपडिय़ों में गई थी। उसको पता चला कि कोई सम्पन्न बाबा जी आए हैं तो उम्मीद जगी कि कफन मिल जाएगा। बाबा ने उसके बच्चे के सिर पर हाथ फेरा और कहा उठ जा बेटा। बच्च उठ खड़ा हुआ इसके बाद उसको बाबा ने अत्यधिक धनी होने का आशीष दिया। इसके साथ ही ताकीद भी की कि गरीब और विपन्न की सेवा करना और बच्चे ने वैसा ही किया....तो समझ गए न सर....अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जय...जय।
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