ललकार के बाद हुआ तिरंगे का तिरस्कार






 बस्तर को नक्सलवादियों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए एक्शन ग्रुप फार नेशनल इंटीग्रिटी (अग्नि) संस्था ने शनिवार को एक बड़ी रैली निकाली। इसमें बड़ी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया। रैली के बाद वहां जमीन पर बिखरे हुए तिरंगे और प्लास्टिक की थैली मिली। ऐसे में सवाल तो ये कि ललकार की आड़ में तिरंगे का तिरस्कार करने वालों पर वैधानिक कार्रवाई क्यों नहीं? लोग नक्सलियों को जरूर ललकारें मगर कम से कम अपने तिरंगे का तो तिरस्कार न करें?
रायपुर/ जगदलपुर।
वक्ताओं ने भरी  हुंकार-
बस्तर के हजारों लोगों ने नक्सलियों को ललकारते हुए कहा कि नक्सलियों के दिन खत्म हो गए हैं, समय रहते वे बस्तर छोड़ दें तो बेहतर होगा, बस्तर के लोग अब अमन-चैन चाहते हैं न कि नक्सली हिंसा।
वक्ता बोले-नक्सलियों से जुड़े फैसले दिल्ली या रायपुर में न हों और कहा-गांव में नक्सली घुसें तो मिलकर पीटेंगे।
बोलने से बचते नज़र आए अधिकारी-
रैली और सभा में आईजी एसआरपी कल्लूरी, एसपी आरएन दास सहित कई अन्य जिलों के एसपी भी शामिल हुए पर पुलिस विभाग की ओर से किसी भी अफसर ने लोगों को संबोधित नहीं किया। लगातार विवादों में रहने के कारण अब पुलिस के अधिकारी कुछ भी कहने से बचना चाहते हैं।
तिरंगे की आचार संहिता के तहत है अपराध-
ये राष्ट्रीय ध्वज की आचार संहिता के तहत अपराध है। हम अपने राष्ट्रीय ध्वज को कहीं भी जमीन पर नहीं फेंक सकते। ऐसा करना राष्ट्रीय ध्वज की अवमानना की श्रेणी में आता है। इसके लिए बाकायदा दंड का प्रावधान भी है।
बॉक्स-
गैर जिम्मेदार पुलिस अधिकारी व्यवस्था पर भारी-
पुलिस अधीक्षक आर.एन. दास से जब इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने बेहद भद्दे लहजे में बात की।  किसी पुलिस अधीक्षक की इस तरह की बात को किसी भी दशा में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। जहां ऐसे  गैर जिम्मेदार अधिकारी होंगे वहां तिरंगे का अपमान तो होगा ही। जब वहां आम आदमी सुरक्षित नहीं है तो वहां तिरंगा कहां से सुरक्षित रहेगा।

 

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