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Showing posts from November, 2016
मज़ा मारैं गाज़ी मियां
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खटर-पटर निखट्टू- संतों... हमारे गांवों में एक कहावत कही जाती है कि - मजा मारैं गाज़ी मियां, धक्का सहैं मुज़ावर? यानि किसी और की कमाई पर ऐश करना। देश की संसद से लेकर विधान सभाओं तक यही एक चीज देखने को मिल रही है। जिस संसद को हमारे चुने हुए सांसद हंगामा करके रोके हुए हैं, उसके ऊपर होने वाले करोड़ों का खर्च जनता की जेब से जाता है। ऐसे में हमारी मोटी खोपड़ी में एक सवाल रह-रह कर आता है कि आखिर जब प्रधानमंत्री जी इतनी बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक कर ही रहे हैं, तो फिर लगे हाथ ये भी फैसला हो जाना चाहिए, कि आखिर मोटा वेतन और भत्ता लेने वाले सांसदों के संसद की कार्यवाही रोकने का $खामियाज़ा देश की जनता क्यों भुगते? उसने क्या बिगाड़ा है? मोटी तनख़्वाह और भत्ते लें ये और ऊपर से बिना काम के कार्यवाही रोक कर लालबत्ती वाली गाडिय़ों में घूमें। पैसे जनता की जेब से जाएं? अरे भाई हम अगर काम नहीं करेंगे तो हमें तनख्वाह कौन देगा? लेकिन इसी को कहते हैं लोकतंत्र की ल_ाशाही....यहां ऐसे भी लोग रहे हैं जिन्होंने बिना काम किए पूरी जिंदगी आराम से तनख़्वाह भी ली, रिटायर्ड हुए तो पेंशन भी उठाई और पूरी जिंदगी बिना टें...
नोट बंदी के फरमान से अंजान आदिवासी
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सौ किलोमीटर दूरी पर है बैंक,ज्यादातर लोगों ने तो आज तक नहीं देखा जगदलपुर। 8 नवम्बर की रात को जहां पूरा देश के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम सन्देश दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि कालेधन और भ्रष्टाचार को खत्म करने 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए जाएंगे। इस खबर के बाद पूरा देश में हड़कम्प मच गया। सभी ने बैंकों को ओर दौडऩा शुरू कर दिया, लेकिन देश के नक् शे में एक ऐसी भी जगह है जहां नोट बदली की खबर अभी तक नहीं पहुंची। इस खबर से अंजान लोग आराम से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। अबूझमाड़ में धड़ल्ले से चल रहे पुराने नोट- छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ के आदिवासी 500 और 1000 के पुराने नोटों से काम चला रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस इलाके में लगभग 7500 करोड़ रुपए छुपा कर रखे हैं। लोगों को नोटबंदी की जानकारी नहीं पर नक्सलियों को इसकी पूरी जानकारी है और नक्सली अपने नोट बदलने की जुगत में लग गए हैं। नोट बंदी के फरमान से अंजान है नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के लोग सरकार की नोटबंदी की घोषणा के बारे में कुछ नहीं जानते। जब अबूझमाड़ के लोगों ने बताया कि उन्ह...
14 डिब्बे डीरेल्ड 150 की मौत 300 घायल
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कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस हुई भीषण हादसे की शिकार- नई दिल्ली। कानपुर सेंट्रल से 70 किमी पहले पुखरायां रेलवे स्टेशन के पास आज सुबह 3.10 बजे 19321 अप इंदौर-राजेंद्र नगर पटना एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। आईजी कानपुर जकी अहमद के अनुसार, इस हादसे में अब तक 150 लोगों की मौत हो गई जबकि 300 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। राहत कार्य में एनडीआरएफ को भी लगाया गया है। बताया जा रहा है कि अभी भी कई लोग कोचों में फंसे हुए हैं। 12.5 लाख रु मुआवज़े का ऐलान- रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। कुल मिलाकर मृतकों के परिवार को अभी तक 12.5 लाख के मुआवज़े दिए जाने की बात कही गई है। रेल मंत्रालय ने मृतकों के परिजनों को 3.5 लाख रुपये का मुआवज़ा, वहीं गंभीर जख़्मी को 50-50 हज़ार व हल्की चोट वालों के लिए 25-25 हज़ार रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा। पीएम मोदी ने मृतक के परिवार को 2 लाख रु और गंभीर रूप से घायलों को 50 हज़ार रुपए के मुआवज़े का ऐलान किया। उधर, उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने भी ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों के परि...
हादसों की ह$कीकत
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इंदौर से पटना जा रही सवारी गाड़ी के 14 डिब्बे डीरेल्ड, सौ यात्रियों की मौत और 2 सौ से ज्यादा घायल होने की खबर ने अल सुबह ही पूरे देश को हिलाकर रख दिया। बुलेट ट्रेन चलाने का सपना संजोने वाले भारतीय रेल मंत्रालय के लिए यह बात बेहद शर्मनाक है। बिना किसी दूरगामी योजना के बस घोषणाएं करके अपनी पीठ थपथपाना भला कहां की मानवता है? हादसे से पहले क्यों नहीं टूटती रेलवे के अभियंताओं और पथ निरीक्षकों की तंद्रा? सरकार अब इस पर कितनी ही जांच बिठा ले, कितने ही लोगों पर कार्रवाई कर ले। मगर जिस बच्चे का पिता मरा है या फिर जिसकी मां मरी है वो लौटकर आएगी क्या? वे रेल मंत्री के ट्वीट की क्या आरती उतारें? जिनके हाथ पैर इनकी नक्कारापंथी की वजह से कट गए हैं उनकी बाकी की जिंदगी कैसे गुजरेगी? इसका कोई पुष्ट रोडमैप रेल मंत्रालय के पास है क्या? आइंदा ऐसे भयावह रेल हादसे न हों उसके लिए रेल मंत्रालय ने कोई इंतजाम क्यों नहीं किया? अब जब सैकड़ों लोगों की जान चली गई तब ये कार्रवाई की बात कर रहे हैं। जांच कमेटी बनाकर जनता के क्रोध पर पानी डालने की ये घृणित राजनीति आखिर और कब तक? देश के युवाओं का धैर्य अब समाप्ति क...
खुद को सरकार समझता है राशन दुकानदार
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-ग्रामीण कार्डधारकों को देता है गंदा कीड़ा लगा और पैरों से रौंदा चावल जांजगीर । जिले के ग्राम पंचायत खोकसा के ग्रामीण सरकारी राशन दुकान के संचालक से काफी परेशान हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि दुकान संचालक अच्छे चावल को खुले बाजार में बेच देता है और जरुरतमंदों को गन्दा कीड़ा लगा और पैरों से रौंदा गया चावल देता है। ये दुकानदार खुद को सरकार समझता है। तभी तो राशन कार्डधारकों को ये कह कर धमकी देता है कि उसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है। वो चाहे तो अभी शिकायतकर्ता का राशन कार्ड निरस्त कर उसका नाम सूची से काट सकता है। दुकानदार ग्रामीणों को देता है घटिया चावल - खोकसा की करकारी राशन की दुकान पर लोगों को गंन्दा चावल दिया जा रहा हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि दुकान संचालक अच्छे चावल को खुले बाजार में बेच देता है और उन्हें घटिया चावल देता है। ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि इस राशन की दुकान में पैरो से रौंदा हुआ चावल वितरित किया जाता है, जिसे खाने से बीमार होने की संभावना रहती है। शिकायत करने वालों को धमकाता है दुकानदार- कुछ लोगों का यह भी कहना है कि साफ चावल मांगने या शिकायत करने क...
गलियों में जमा घुटने तक पानी बना परेशानी
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जांजगीर। जिले के पोड़ी दल्हा गांव के ग्रामीण गंदे पानी की निकासी की समस्या से जूझ रहे हैं। गांव की सड़कों पर नाली नहीं होने से घरों से निकलते गंदे पानी के साथ तालाब और नहर का पानी गांव की गलियों में बह रहा है। हालात इतने बदतर हो गए है कि सड़कों पर घुटने से ऊपर पानी बह रहा है और लोग गंदे पानी में आवागमन करने को मजबूर हैं। खतरे में हैं मिट्टी के मकान- खास बात यह है कि इसी सड़क से गुजर कर बच्चे भी स्कूल जाते हैं। इस सड़क किनारे कई मिट्टी के घर भी बने हुए हैं, जिनके ढहने का खतरा मंडरा रहा है। वादे से मुकरा सरपंच नहीं आता झांकने- गांव की महिलाओं का कहना है कि गांव का सरपंच इस वादे पर चुनाव जीता था की वो चुनाव जितने के बाद सबसे पहले पानी निकासी की समस्या को हल करेगा। अब इन महिलाओं का आरोप है कि चुनाव जितने के बाद सरपंच अपने वादे से मुकर गया। और अब इन सड़कों की तरफ सरपंच झांकने भी नहीं आता। पोड़ी दल्हा इलाके के पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रदीप सोनी की माने तो पहले जिस रास्ते से पानी की निकासी होती थी वो निजी जमीन थी जिसे अब जमी...
कलेक्टर कटारिया ने की धान की कटाई
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-जगदलपुर। जिले के बकावण्ड ब्लॉक के पाहुरबेल गांव में धान काट रहे किसानों के बीच अचानक एक सूट-बूट पहने हुए शख्स ने एक मजदूर से हंसिया मांगा और लगा धान काटने। मजदूर उनको देखकर हंस रहे थे और वो आदमी लगातार धान काटने में पूरी तल्लीनता से जुटा रहा। बाद में जब पता किया गया तो मजदूरों के तो होश ही उड़ गए। ये कोई और नहीं 2004 बैच के आईएएस अफसर और बस्तर के कलेक्टर अमित कटारिया थे। जो जिला पंचायत सीईओ केएल चौहान के साथ एक चेकडेम को देखन के लिए दौरे पर थे। जगदलपुर। क्या है पूरा मामला - दरअलस बस्तर कलेक्टर अमित कटारिया और जिला पंचायत सीईओ केएल चौहान बकावण्ड ब्लॉक के पाहुंरबेल में एक चेकडेम को देखन के लिए दौरे पर थे। इसी दौरान वे अपनी कार से एक गांव के कुछ दूरी पर उतर गए और एक खेत में पहुंच गए। एक किसान से हंसिया ली और धान काटने में जुट गए। दोपहर के दो बजे थे सूरज सर पर था, मगर अपने कटारिया सर... भी कहां मानने वाले थे। लगभग ढाई घंटे जमकर हंसिया चलाई। हालांकि उनके धान काटने के अंदाज से किसान उन्हे देखकर हंसते भी रहे। तो वही जिला पंचायत सीईओ बेफिकरी से धान कटाने में व्...
Front and Last page of Hamari Sarkar of 19th November 16
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कुपोषण में भी शोषण
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खटर-पटर निखट्टू- संतों... दादा छविनाथ मिश्र जी कह गए कि- खाओ पियो उड़ाओ ऐश... राम भरोसे पूरा देश, भाषा-भूसी नारा-चारा अब दे मारा तब दे मारा। भजमन प्यारे टका-टकेश, राम भरोसे पूरा देश। ये बात पक्की है कि अपनी पूरी जिंदगी में दादा कभी छत्तीसगढ़ नहीं आए, मगर उनकी पकड़ देखिए-शासन -प्रशासन को लेकर उन्होंने जमकर तंज़ कसा है। यहां के अधिकारी कर्मचारी खा भी रहे हंै और पी भी रहे हैं। उद्योगपति ऐश उड़ा रहे हैं। तो अधिकारी योजनाओं का मजाक उड़ाने में लगे हैं। आदिवासियों के बच्चों के कुपोषण के नाम पर अधिकारियों के रिश्तेदारों की गायों का पोषण हो रहा है। गरीबों के हिस्से की दलिया और तमाम रेडी टू ईट गऊ मैया आराम से खाती हैं। बदले में सबेरे साहब को पौष्टिक दूध देती हैं। तो गरीबों के बच्चों को जो इनसे बच जाता है उसको कभी- कभार बांट कर कागजी खानापूरी कर लिया करते हैं। सरकारी अधिकारी जो जांच में आते हैं उनकी भी थोड़ी सेवा हो जाया करती है। अब कुपोषण से मरने वाले बच्चे उनके अपने थोड़े ही हैं...मर जाएं उनकी बला से? हां कभी अपना बच्चा बीमार होता है तब समझ में आता है। गरीबों के बच्चों को राज्य में पोषण क...
बैंक की कतार में बूढे
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केंद्र सरकार की नोटबंदी के बाद बैंकों की कतार में सिर्फ बूढ़े लोगों को लगा देखकर अचानक चौंकना पड़ा। सरकार ने एक दिन बुजुर्गों के नोट बदलने के लिए तय कर एक बेहतरीन कदम उठाया है। देश की तमाम बैंकें ऐसी भी रहीं, जहां नि:शक्तों और बुजुर्गों के लिए कोई लाइन नहीं हुआ करती थी। दोनों की शारीरिक क्षमता भी इतनी कम होती है कि वे भीड़ का सामना नहीं कर सकते। ऐसे में सरकार के इस ऐतिहासिक कदम की सराहना होनी चाहिए। हालांकि अन्ना ने इसकी सराहना भी की है। प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान पर एक ओर जहां अदालते तल्ख़्ा टिप्पणीं करने पर लगी हैं, तो वहीं बैंकों ने होम लोन सस्ते करने के संकेत देने शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा लगातार कालेधन की बरामदगी हो रही है। तो वहीं प्रधानमंत्री ने आईटी की 200 टीमों को हाइवे के आसपास की जमीनों की जानकारी लेने के लिए तैनात किया है। वित्त मंत्री पहले ही साफ कर चुके हैं कि हजार के नोट नए नहीं आएंगे। यानि कालेधन के मामले में ज्यादातर नोट हजार और पांच सौ के बताए जा रहे हैं। ऐसे में एक बात तो तय है कि इससे बड़ी तादाद में कालेधन की सफाई हो जाएगी। परेशानी ये है कि आम जनता को ज...
नर्सिंग की 35 छात्राएं बैंकों में पहुंची बदलवाने नोट
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सारे नोट एक ही सीरीज के, मीडिया को देखकर घबराकर भागीं, बैंक हुए अलर्ट महासमुंद। जिले में नर्सिंग (एएनएम) की ट्रेनिंग ले रही 60 छात्राओं में से 35 छात्राएं 10 से 15 के ग्रुप में अलग-अलग बैंकों में एक ही सीरीज के नोट बदलवाने पहुंचींं। इनके पास 4-4 हजार रुपए थे। मीडिया से सामना होते ही कुछ तो घबरा कर भाग गईं। तो कुछेक ने इसको अपना पैसा बताया है। ऐसे में सवाल तो ये उठ रहा है कि इनके पास इतना पैसा आया कहां से। जानकारों का कहना है कि जरूर ये पैसे किसी बड़े अधिकारी के हो सकते हैं। तो वहीं हॉस्टल की वार्डन इसको बच्चों की छात्रवृत्ति के पैसे बता रही हैं। विभाग के बड़े अधिकारी भी इस मामले पर कुछ बोलने से बच रहे हैं। क्या है पूरा मामला- इस मामले में होस्टल वार्डन का कहना था कि छात्राओं को 1500 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 3 माह की छात्रवृत्ति की राशि मिली है, जिसे वे उनकी अनुमति से बदलवाने के लिए गई हैं। उनका कहना था कि यह राशि छात्राओं के बैंक खाते में जमा हुई और उन्होंने नोटबंदी से पहले एटीएम से पैसे निकाले थे। एक ही सिरीज के नोट होने के सवाल पर वे...
तेल डिपो के पास लगी टैंकर में आग
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विश्रामपुर के इंडियन ऑयल डिपो के पास नर्सरी में खड़े एक टैंकर में आग लगने से हड़कंप मच गया। इस टैंकर में 10-10 हजार लीटर पेट्रोल और डीजल भरा बताया जा रहा है। आग की खबर फैलते ही लोग अपने -अपने घरों से निकल कर भागे। इससे वहां अफरा-तफरी मच गई। फायर ब्रिगेड की कड़ी मशक्कत के बाद इस पर काबू पाया जा सका। डिपो में था 80 हजार लीटर तेल, आसपास के लोगों में मची अफरातफरी विश्रामपुर। क्या है पूरा मामला- न्यू आरबी कंपनी के टैंकर क्रमांक सीजी 10 आर 0230 गुरुवार को दोपहर 3.25 बजे विश्रामपुर स्थित इंडियन आयल के डिपो से 10 हजार लीटर पेट्रोल एवं 10 हजार लीटर डीजल भरकर बाहर निकला। चालक ने टैंकर को डिपो से लगे नर्सरी में खड़ा कर दिया। थोड़ी देर में टैंकर के सामने हिस्से में भीषण आग लग गई और टैंकर के पास खड़ी बाइक एवं साइकिल भी जलने लगी। तेल डिपो में उस वक्त 80 हजार लीटर तेल होने की बात भी लोग बता रहे हैं। आसपास खड़े टैंकरों के चालकों ने अपनी गाडिय़ों को मौके से आनन-फानन में हटा दिया। आगजनी की सूचना पर अंबिकापुर एवं सूरजपुर से पहुंचे फायर ब्रिगेड ने टैंकर में लगी आग पर काबू पाने का काम शुरू किया। द...
लंगूरों के उत्पात से मजबूर किसान
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जानबूझकर सोया वन विभाग, फलों और सब्जियों को कर रहे नष्ट अम्बिकापुर। जिले के खलीबा गांव में इन दिनों लंगूरों का उत्पात जारी है। ये बंदर गांव के एक किसान के फार्म हाउस मे डेरा जमाए हुए हैं। लंगूरों ने किसान के फार्म हाउस में लगे फलों और सब्जियों को तहस- नहस कर दिया है। तो वन विभाग इस घटना से अंजान बनने का नाटक रच रहा है। क्या है पूरा मामला- गांव के एक किसान अमितेज सिंह गोलू के मुताबिक गांव मे पिछले एक महीने से आए 25-27 लंगूर दिन भर मे कुछ समय भले ही गांव के अन्य स्थान में चले जाते हों , लेकिन उन्होंने उनके फार्म हाउस के उस हिस्से को एक माह से अपना स्थाई निवास बना लिया है। श्री सिंह के मुताबिक ये लंगूर उनके फार्म के उस हिस्से मे आकर रुके हैं, जहां पर उन्होंने आंवला और अमरुद का बगीचा बनाया है। दरअसल ये लंगूर पिछले एक महीने से गांव के अन्य फलदार पेड़ों के साथ इन आंवला और अमरुद के पेड से अब तक लगभग पूरे फल खाकर नष्ट कर चुके हंै । इससे किसान को काफी नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं इन लंगूरों ने गांव के पोल्ट्री फार्म की सीमेंट सीट को भी निशान बनाने से गुरेज नही किया है, बल्कि लंगूरो...
चांद के बहाने
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खटर-पटर निखट्टू- संतों...कल रात को देश में सबसे बड़ा चांद निकला। वैसे उर्दू शाइरी में चांद को लेकर तमाम बातें कही गई हैं। कुछ लोग अपनी महबूबा को ही चांद कहने लगे। इसकी एक बानगी यूं देखिए कि- पूछा जो उनसे चांद निकलता है किस तरह, जुल्$फों को रुख पे डाल के झटका दिया कि यूं। अब रात को दफ्तर से थका हारा जब घर पहुंचा तो देखा कि लोग छतों पर कुछ निहारने में लगे हैं। मैं अभी -अभी छत पर खड़ा ही हुआ था कि पीछे से घरवाली की आवाज आई क्या देख रहे हो जी? मैंने सहजता से उत्तर दिया कि चांद। मेरा इतना कहना था कि वो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जहाज की तरह दनदनाती कमरे में चली गईं। अब मुझे पता चल गया कि मेरे जवाब ने मेरे चांद को ज्वालामुखी बना दिया था। विस्फोट तो होना ही था। मैं कमरे के अंदर गया और बोला क्या हुआ जी... आप अचानक अंदर क्यों चली आईं। तो और क्या करती वहां? आप तो चांद देख रहे थे न...? तो जाकर और देख लीजिए? मैंने कहा आज सबसे बड़ा चांद निकला है। उनका पारा और चढ़ गया वो बोलीं हां...भई हां...आसपास की छतों पर जितनी भी चांद टहल रही हैं सब बड़ी-बड़ी ही हैं। लंबाई तो हमारी कम है। ये सुनकर मैं त...
Front and Last page of Hamari Sarkar of 18th November 16
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नोटबंदी पर सुलगते सवाल
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आज से बेटियों के पालकों के माथे पर खिंची चिंता की लकीरे थोड़ी हल्की हो जाएंगी। सरकार ने बैंकों से उनको ढाई लाख रुपए तक निकालने की छूट दे दी है। ऐसे में गरीबों के चेहरे पर थोड़ी राहत देखी जा सकती है। उनकी असल चिंता यही थी कि कैसे उनकी लाड़ो के फेरे होंगे? इन फेरों के फेर में फंसे जिस-तिस से इमदाद की फरियाद करते फिर रहे थे। हालांकि सरकार के इतने कड़े आदेश के बाद भी देश के लोग कहां मानने वाले? वे दिखावा करने के आदी हैं। ये उनकी आदत में शुमार है लिहाजा वो तो अपने रुपयों का प्रदर्शन तो करेंगे ही। बेंगलुरु में कुख्यात खनन माफिया जनार्दन रेड्डी की बेटी ब्राम्हणी की शादी का 'राजसीÓ प्रदर्शन इसी विशिष्टता-बोध की कड़ी है। रेड्डी के घर की यह शादी अब तक के सारे प्रदर्शनों को पीछे छोड़ देने को उद्धत दिख रही है। यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है, जब पूरा देश अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नोटों की लाइन में खड़ा है। दक्षिण से पूर्व तक किसान अपनी फसल काटने के लिए मजदूरों का इंतजार कर रहे हैं। देश में लाखों शादियां सिर्फ इसलिए फीकी पडऩे जा रही हैं कि वहां न्यूनतम जरूरत पूरी करने के लिए भी पर्याप्त धनर...
बन्ने मियां को हमारी सलाह
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खटर-पटर निखट्टू- संतों.... हमारे मोहल्ले में राम लाल नामक भद्र व्यक्ति रहते हैं। उनकी पीड़ा ये है कि उनको मुहल्ले में जो कोई भी पाता है पीट देता है। कोई अपने दरवाजे से गली तक घसीट देता है। कोई गाली देता है मगर राम लाल कभी किसी को कुछ भी नहीं कहते। लोग उनकी उदारता का नाजायज़ फायदा उठा लेते हैं। पूरे मोहल्ले में ऐसे कई दर्जन घर होंगे जिन्होंने राम लाल से कुछ न कुछ जरूर लिया है, मगर वापस नहीं दिया। अच्छा राम लाल देकर भी खुश रहते हैं। ये देखकर राम लाल के पड़ोसी बन्ने मियां जलते हैं। बन्ने मियां काम गांव से काफी दूर कुछ जमींदारों की ज$कात से चलता है। हराम की खाता है और राम लाल को जमकर गालियां बकता है। कभी- कभार बगल बैठ कर चिकोट लेता है। तो कभी नाखून मार कर खून निकाल लेता है। एक रात तो हद हो गई उसके नाजायज़ बच्चों ने राम लाल के बच्चों को सोते में मार डाला। लाल खोने के $गम में झल्ला गए राम लाल मूंछों पर दिया ताव और ठोंकी ताल। तोड़कर उसके घर के बाहर की बाड़ जाकर मारी जोरदार दहाड़.... बन्ने मियां के नाज़ायज नन्हें-नन्हें पचासों बच्चों को सुर्ती की तरह फुर्ती से मसल दिया। उनको ...
स्कूल वैन में लगी आग, बची 13 बच्चों की जान
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शहर से लगे ग्राम कतकालो में स्थित ग्रीन लैंड पब्लिक स्कूल की चलती हुई वैन मे आग लग गई। यह स्कूल वैन नवाबांध से बच्चों को लेकर कतकालो में स्थित स्कूल जा रही थी। वैन में सवार 13 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकला गया। इस घटना में आठ बच्चों के स्कूल बैग जल कर खा$क हो गए। .............................................. 8 छात्रों के बैग जलकर खा$क, मामले की जांच में लगी पुलिस अम्बिकापुर । क्या है पूरा मामला - गौरतलब है की सरगुजा जिले के दरिमा थाना क्षेत्र में यह स्कूल स्थित है। और थाना क्षेत्र मे ही यह बड़ी घटना हो गई। हालाकी सभी बच्चे बाल बाल बच गए। वैन चालक की सूझ बूझ से बड़ी घटना टल गई और सभी बच्चे सुरक्षित है। वही आग लगने के कारण का पता अब तक नहीं लग सका है लेकिन पुलिस मौके पर पंहुच गई है और मामले की जांच की जा रही है। जानकारी के अनुसार चलाती हुई वैन में जिस वक्त आग लगी तो वैन के चालक ने से सूझ बूझ दिखाते हुए पहले तो वैन को किनारे में रोका और सबसे पहले आग में फंसे बच्चो को वैन से बाहर निकला। हलाकी वैन में रखे बच्चो के बस्तों में आग पकड़ चुकी थी जिससे बस्तों को जलने स...
संकट में डाल गए लोकपाल
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-सरगुजा के सीतापुर ब्लॉक की गांव पंचायत बंशीपुर के नोनिया टांगर में डब्ल्यूबीएम सड़क और ढ़ोंडा गांव में तटबंध निर्माण में हुए फर्जीवाड़े पर लोकपाल ने आरईएस के ईई और एसडीओ पर एफआईआर और जुर्माने के साथ - साथ 41.34 लाख की वसूली के आदेश दिए हैं। जांच में ही लोकपाल को समझ में आ गई थी इनकी चाल इसीलिए इनके ऊपर एक-एक हजार का जुर्माना और एफआईआर का आदेश देकर इनको दिया संकट में डाल। आरईएस के ईई व एसडीओ पर लोक पाल ने की एफआईआर की अनुशंसा सरगुजा । क्या है पूरा मामला- दरअसल अधिवक्ता डीके सोनी ने शिकायत की थी कि सीतापुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बंशीपुर अंतर्गत नोनिया टांगर में डब्ल्यू बीएम सड़क निर्माण के लिये 15 लाख 71 हजार रुपए की स्वीकृति थी। उक्त कार्य को आदेश से छ: माह के अंदर पूर्ण करना था। निर्माण एजेंसी के रूप में कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्र. 1 अम्बिकापुर के देख-रेख में कार्य प्रारंभ किया गया। समय सीमा पर कार्य पूर्ण नहीं किया गया। इसके साथ ही स्वीकृत राशि का आहरण कर गबन करने व मस्टर रोल में फर्जीवाड़ा करने के साथ-साथ रोजगार गारंटी योजना के किसी भी ...
आईजी बस्तर और मुख्य सचिव को समन
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मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए की कार्रवाई रायपुर। सुकमा के आदिवासी युवक सामनाथ बघेल की हत्या के मामले में जेएनयू की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफसर अर्चना प्रसाद समेत 11 लोगों पर स्नढ्ढक्र करने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और बस्तर आईजी को समन जारी कर दिया है। आयोग ने दोनों को 30 नवंबर से पहले निजी रूप से आयोग के सामने हाजिर होकर मीडिया रिपोर्ट्स और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के आरोपों पर सफाई देने को कहा है। क्या है पूरा मामला- मानवाधिकार आयोग के मुताबिक खुद मृतक सामनाथ की पत्नी ने एफआईआर में नंदिनी सुंदर या किसी का भी नाम नहीं लिया। ऐसे में पुलिस की कार्यवाई संदिग्ध लगती है क्योंकि पूरे मामले में बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी पर आरोप लग रहे हैं, लिहाजा मुख्य सचिव और उनसे ही पूछा जाएगा कि क्यों ना हत्या के मामले में दर्ज स्नढ्ढक्र की जांच सीआईडी या सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए। ----------------------------------------------------------...
नोटबंदी पर संसद ठप, और सख्त हुई सरकार
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नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार और भी सख्त हो चली है। तो वहीं विपक्षी इसको लेकर दूसरे दिन भी संसद के दोनों सदनों में हंगामा होता रहा जिसके चलते कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल पाई। लोक सभा को पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा। वित्तमंत्री ने दोटूक लहज़े में कह दिया कि नोट बंदी अब वापस नहीं होगी। तो वहीं सरकार ने ये व्यवस्था भी कर दी है कि अब आम आदमी पेट्रोल पंप पर भी स्वाइप मशीन से दो हजार रुपए तक निकला सकेगा। बेनामी संपत्तियों पर कसा सरकार का शिकंजा, जांच करने उतरी आईटी की 2 सौ टीमें, कैशलेस होने की ओर है देश की अर्थ व्यवस्था नई दिल्ली। गुलाम नबी आजाद से की माफी की मांग- राज्यसभा में बीजेपी के सांसद गुलाम नबी आजाद से माफी की मांग कर रहे हैं। दरअसल, गुरुवार को गुलाम नबी आजाद ने कथित तौर पर नोटबंदी से हुई मौतों को उड़ी हमले से जोड़ा था, जिसे लेकर बीजेपी के सांसद लगातार विरोध कर रहे हैं। लोकसभा में बीजेपी ने जारी किया व्हिप- वहीं लोकसभा में नोटबंदी पर विपक्ष चर्चा के बाद वोटिंग चाहता है, जिसे लेकर बीजेपी ने व्हिप जारी कर सांसदों को सदन में मौजूद रहने को क...
Front and Last page of 17th November of Hamari Sarkar of 16
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मेहसाणा के महारथी
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खटर-पटर निखट्टू- संतों....प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सौ और हजार रुपए के नोट क्या बंद किए। आतंकवादियों के आ$काओं, नक्सलियों के नम्बरदारों और हवाला के हलवाईयों तथा देश के विपक्षी नेताओं के चेहरे से हवाइयां उडऩे लगी हैं। सत्ता संभालते ही उन्होंने सर्व प्रथम स्वच्छता अभियान चलाया था। खुद झाडू़ लगाई, तो देश भी जहां कचरा दिखा दो हाथ मारने के मूड में आ गया। झाड़ू लगाते-लगाते प्रधानमंत्री के ज्ञान चक्षु वहां जा पहुंचे जहां कालाधन दिखा। अब सफाई करने निकले थे, तो उसकी भी सफाई कर डाली। अचानक लगा कि आतंकियों के आ$काओं और नक्सलियों के नम्बरदारों पास तो इससे भी ज्यादा कचरा होगा? तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से नोट बंद कर ऐसी चोट मारी कि बिना गोली और बम....70 फीसदी आतंकवाद खत्म। हमारे बचपन में हम लोग महात्मा गांधी के लिए एक कविता पढ़ा करते थे कि.. दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। आज उसी को देश का युवा वर्ग थोड़ा बदल कर गा रहा है। कि दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, मेहसाणा वाले संत तूने कर दिया कमाल। आतंकवाद से लड़ी क्या गजब की लड़ाई दागी न ज...
भाई मुझे क्यों मार दिया, मैं अभी जिंदा हूं
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छपरा के एक जिंदा डॉ क्टर को मीडिया ने बना दिया मुर्दा,चिकित्सक ने भेजा सभी को नोटिस-फ्लैग छपरा। अरे..भाई मुझे क्यों मार दिया, मैं तो अभी जिंदा हूं। पत्रकारवार्ता में ये बातें कहते -कहते डॉ. आर.बी. सिन्हा की आंखें बरबस ही बरस पड़ीं। मीडिया की मूर्खता का शिकार बनें डॉ. सिन्हा ने बताया कि स्थानीय मीडिया ने उनके बारे में अफवाहें फैल गई थी कि देश में काले धन के खिलाफ जारी सरकारी अभियान के दौरान उनके घर पर छापा पड़ा और इसके परिणामस्वरूप उनकी मौत हो गई। डॉक्टर आर. बी. सिन्हा ने बताया कि मेरी इज्जत की धज्जियां उड़ा दी गईं और अफवाहें फैलाई गईं कि टैक्स अधिकारियों के छापे के दौरान दिल का दौरा पडऩे से मेरी जान चली गई। स्थानीय मीडिया ने कहा था कि बिहार के छपरा जिले में 65 वर्षीय डॉक्टर सिन्हा के मकान पर आयकर अधिकारियों ने छापा मारा क्योंकि वहाँ छह करोड़ रुपये अवैध रूप से रखे गए थे। मीडिया को भेजा कानूनी नोटिस डॉक्टर सिन्हा के अनुसार यह जानकारी बिल्कुल निराधार है और यहां तक कि एक स्थानीय टीवी चैनल के संवाददाता और कैमरामैन घर के बाहर पहुंच गया और वहां की फुटेज रिकॉर्ड करने...
अब खुली सरकार की आंख शादी के लिए मिलेंगे ढाई लाख
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- -नोट बंदी पर लोगों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अपने फैसले में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। गुरुवार को ये जानकारी वित्त सचिव शक्तिकांत दास ने एक पत्रकारवार्ता में दी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार से बैंकों और डाकघरों में 4500 की बजाए हर आदमी को सिर्फ 2 हजार रुपए के नोट ही बदले जा सकेंगे। तो वहीं जिनकी बेटियों की शादी है उनको ढाई लाख रुपए तक बैंक से निकालने की छूट होगी। तो वहीं किसानों को भी 50 हजार रुपए निकालने की छूट दी गई है। ये पैसे किसान के्रडिट कार्ड से निकाले जा सकेंगे। किसान निकाल सकेंगे 50 हजार तो आम आदमी का बंटाधार...सिर्फ 2 हजार से करना होगा संतोष नई दिल्ली। नोटबंदी पर मोदी सरकार के नए ऐलान सरकार ने किसानों और जिनके घर में शादिया हैं उन्हें बड़ी राहत दी है, अब किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए हफ्ते में 25 हजार रुपये निकाले जा सकेंगे। जबकि जिनके घर में शादी है वो ढाई लाख रुपये तक निकाल पाएंगे, लेकिन इस रकम की निकासी एक ही खाते से होगी और कैश निकालने के लिए केवाईसी जरूरी होगा। शक्तिकांत दास ने बताया कि यह बढ़ी हुई निका...
दंतेवाड़ा में धांय-धांय 8 नक्सली ढेर
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जवानों का हौसला बढ़ाने पहुंचे गृह विभाग के आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के.विजय कुमार दंतेवाड़ा। जिले के बुरगुम और पेरमा के जंगलों में पुलिस के साथ मुठभेड़ में बुधवार को सुबह एसटीएफ और डीआरजी के जवानों के साथ हुई मुठभेड़ में 8 नक्सली मारे गए। इनमें से छह के शव बरामद किए जा चुके हैं। जब कि दो लाशों को वे लोग लेकर फरार होने में कामयाब हो गए। पुलिस अधीक्षक कमलोचन कश्यप ने इसकी अधिकारिक पुष्टि की है। क्या है पूरा मामला- उन्होंने हमारी सरकार को बताया कि बुधवार की सुबह एसटीएफ व डीआरजी की संयुक्त पुलिस पार्टी गश्त सर्चिंग अभियान के लिए बस्तर जिले के बुरगुम व दंतेवाड़ा जिले के पेरमा के जंगलों में निकली थी। इसी दौरान देर शाम गश्त के दौरान पुलिस वालों का नक्सलियों से सामना हुआ। जहां नक्सलियों ने जवानों पर हमला कर दिया। जवाबी कार्रवाई में जवानों ने 8 नक्सलियों को मार गिराया। इनमें से 6 वर्दीधारी नक्सली जिनमें 3 पुरुष व 3 महिला नक्सली शामिल हैं। इनके शव के साथ ही बंदूक और अन्य सामान बरामद कर लिए गए हैं। अबतक मृत नक्सलियों की शिनाख्त नहीं हो सकी ...
छापे की खबर से गुढियारी में सन्नाटा
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दुकान बंद कर भागे व्यापारी, बाजार में फैली अफरातफरी रायपुर। गुरुवार को दोपहर में अचानक किसी ने गुढियारी बाजार में आयकर के छापे की अफवाह फैला दी। इसके चलते वहां की अधिकांश दुकानें बंद कर दुकानदार फरार हो गए। बाद में जब इसकी वजह तलाशी गई तो ये महज एक अफवाह निकली। क्या है पूरा मामला- नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर गुढिय़ारी के कुछ दुकानदारों ने दबी जुबान से बताया कि उनको अचानक ही किसी ने खबर दी कि बाजार में छापा पडऩे वाला है। बस फिर क्या देखते ही देखते पूरे बाजार में सन्नाटा पसर गया। 40 से ज्यादा दुकानों पर लटके ताले- नोट बंदी के बाद से सख्त हुई सरकार के रुख को देखते हुए तमाम व्यापारी सकते में हैं। कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता। इसका नजारा भी आज बाजार में देखने को मिला। दुकानदारों का कहना है कि कोई भी अब खतरा मोल लेने को तैयार नहीं है। वैसे भी यहां की अधिकांश दुकानें डूमरतराई जा चुकी हैं। जो बची हंै उनसे लगभग 40 से ज्यादा दुकानों पर भी इस अफवाह के चलते ताला लटक गया।
जनसरोकारों पर चौकस सरकार
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नोटबंदी से लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार ने अपने नियमों में फिर से परिवर्तन किया है। इसके चलते जहां आम आदमी की जेब काटी गई, तो वहीं किसानों के क्रेडिट कार्ड से निकासी की सीमा को 50 हजार तक किया गया है। इसके अलावा शादी करने वालों को भी ढाई लाख रुपए तक निकालने की छूट दी गई है। सरकार के फैसले के बाद से बजारों में जहां सन्नाटा पसरा हुआ है, तो वहीं बेटियों के परिजनों और किसानों के मुरझाए चेहरे पर रौनक लौट रही है। इसके साथ ही साथ सरकार ने तमाम लोगों पर लगातार शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बैंको के मालामाल होने का फायदा भी देखने को मिलने लगा है। ऐसे में आयकर विभाग भी चौकस हो गया है। उसने भी ताबड़तोड़ छापे डालना शुरू कर दिए हैं। रायपुर के गुढिय़ारी में अचानक पता नहीं किसने अफवाह फैलाई कि आयकर वाले छापा डालने आ रहे हैं। बस क्या था...व्यापारियों ने अपनी-अपनी दुकाने बढ़ाईं और निकल भागे। ग्यारह बजे दिन को ही वहां अफरातफरी मच गई और देखते-ही देखते पूरे बाजार में सन्नाटा पसर गया। इसको कहते हैं कानून का डर। ये बात लोगों को अब महसूस हो रही है। प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभिय...
Front and Last page of Hamari Sarkar of 16th November 16
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हांफते अस्पताल का हाल
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खटर-पटर निखट्टू- संतों..... जरा सी सर्दी क्या बढ़ी लोगों ने खांसना छींकना शुरू कर दिया। इसका सबसे अहम कारण है बढ़ता प्रदूषण। राजधानी की हवा-पानी मिट्टी-गिट्टी सब में प्रदूषण ही प्रदूषण है। वैसे भी जब मौसम बदलने लगता है तो लोगों का ऐसा ही हाल होता है। अब लोगों को बुखार-सर्दी होती देखकर राजधानी के अस्पताल हांफने लग गए। डॉक्टर साहब का बीपी हाई हो गया। सिस्टर जी मिनिस्टर हो गईं। वार्ड ब्वाय भी अन्य-आय करने में लग गया। तो वहीं तमाम और ऐब लैब तकनीशियन की देखरेख में पनपने लगे। क्या छोटा क्या बड़ा सारे के सारे अस्पताल निढाल हो गए। स्वास्थ्य विभाग के दावे पता नहीं किस ओर सरक गए किसी को पता तक नहीं चला। मेरी छोटी से बुध्दि में एक मोटा सा सवाल आ रहा है कि आखिर करोड़ों की दवाई किसने खाई? स्टॉक में दवाएं, सैलाइन, बैंडेज, ग्लब्स, सिरिंज, इंजेक् शन और तमाम तरह के दूसरे सामान ऐसे गायब हुए जैसे हिंदुस्तान से दाउद इब्रहिम। बुरा हो इस पत्रकारिता का हमारी ड्यूटी लगा दी गई कि पता करो कि कहां गई सारी दवाई? उधर मंत्री जी बातें कर रहे हवाहवाई। अब इनको कौन समझाए कि भैया हमने थोड़े खाई इतनी सारी दवाई? अरे ऊ......
नोट बंदी पर गंदी सियासत
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देश में नोट बंदी को लेकर संसद से लेकर विधान सभा तक पूरे दिन हंगामा होता रहा। दिल्ली से लेकर रायपुर तक कांग्रेस के नेताओं ने सरकार को कठघरे में खड़ा करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी। तो वहीं सत्ता पक्ष ने भी इसका पूरी मजबूती से जवाब दिया। इसी मुद्दे को लेकर छजकां जोगी के कार्यकर्ताओं ने विधान सभा घेराव की कोशिश की। तो संसद में दो हजार के नोट लहराए गए। प्रधानमंत्री ने देश की जनता से 50 दिनों का वक्त मांगा और देश के युवाओं ने उनको वो समय दे भी दिया। अधिकांश लोगों का यही मानना है कि प्रधानमंत्री के इस कदम के दूरगामी परिणाम होंगे। सरकार के इस फैसले से जहां आतंकवाद, नक्सलवाद, और शिमला में पत्थरबाजी करने वालों की कमर टूट गई है। वहीं दाउद इब्राहिम और अजहर मसूद जैसे आतंक के सरगनाओं की भी समझ में नहीं आ रहा कि वो क्या करें? ऐसे में विपक्ष का इस तरह का व्यवहार कहीं न कहीं ये संदेश देने की कोशिश है, कि वो अब लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल कर रहे हैं। संसद और विधान सभाओं की कार्रवाई रोककर ये लोग देश की अर्थव्यवस्था को लहूलुहान कर रहे हैं। देश का शिक्षित युवा भविष्य का एक जागरूक नागरिक है। उसको इतनी आसानी...
मनरेगा के नाम पर लूट और मनमानी
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नवागढ़ जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत गोपालभैना में मनरेगा में मजदूरों का काम मशीनों से कराया गया। इसमें करोड़ों की मजदूरी का फर्जीवाड़ा तथा एक ही काम के कई बार दाम लेने की शिकायतें सामने आती रहीं। मामले में कलेक्टर बेमेतरा ने मंत्री के आदेश को भी दरकिनार करते हुए आरोपी सीईओ को ही जांच अधिकारी बना दिया है। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या राज्य की अफसरशाही इतनी निरंकुश हो चली है कि वो मनमानी पर उतर आई है? करोड़ों की जांच के नाम पर नाच, आरोपी सीईओ पर नहीं आई आज तक कोई आंच क्या है पूरा मामला- दरअसल ग्राम पंचायत गोपालभैना में मनरेगा के तहत करोड़ों के कार्य मजदूरों की बजाए मशीनों से कराए गए। इसमें मस्टररोल में फर्जीवाड़ा करके तथा एक ही काम को कई बार पूर्ण हुआ दिखाकर करोड़ों का भुगतान करवा लिया गया। मामले की शिकायत तीन माह पूर्व कलेक्टर से की गई थी। उसके बाद दोबारा 15 अक्टूबर को जितेंद्र सिंह ठाकुर ने जनसमस्या निवारण शिविर में किया था। वहां मंत्री दयालदास बघेल भी मौजूद थे। उन्होंने भी कलेक्टर बेमेतरा को आदेशित किया था कि इसकी प्राथमिकता से जांच कराई जाए। तो वहीं कलेक...
शिक्षक एक और दो-दो क्लॉस...
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नवागढ। विकासखंड के गाड़ामोर पंचायत के आश्रित गांव खपरी जी की प्राथमिक शाला में न तो शौचालय है, और न पर्याप्त कक्षाएं। यहां 84 बच्चों को पढ़ाने के लिए महज दो ही कमरे हैं। इसमें भेड़ बकरियों की तरह ठूंस-ठूंसकर बच्चों को पढाया जाता है। तो वहीं ओडीएफ घोषित हो चुके इस गांव की सच्चाई ये है कि यहां की इस शाला में भी कोई शौचालय नहीं बना है। इसके पीछे पूर्व और वर्तमान सरपंचों की आपसी दुश्मनी बताई जा रही है। इसमें महज दो ही अध्यापकों की नियुक्ति हुई है। व्यवस्था में सुधार नहीं होने के कारण गरीब अपने बच्चों का दाख़्िाला दूसरे स्कूलों में करवा रहे हैं। ऐसे में सवाल तो यही है कि क्या गरीबों के बच्चे- बच्चे नहीं हैं? अगर हैं तो फिर उनके साथ ऐसा बर्ताव क्यों? दो सरपंचों की रस्साकशी के चलते चौपट हो रहा बच्चों का भविष्य क्या है पूरा मामला- सहायक शिक्षक विद्या कुमार टंडन ने बताया कि वर्तमान में शाला में केवल दो ही शिक्षक हैं। आलोक सिंह ठाकुर प्रधान पाठक हैं। शाला में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 84 है,जिसमें बालक 38 एवं 46 बालिकाएं शामिल हैं। इस स्कूल में केवल दो ही कक्षाएं ...
समय-समय की बात है। कभी इन्हीं मलखान सिंह को लोग दद्दा जी कहते थे, मलखान सिंह कहने पर ही चंबल में एक डकैत ने पत्रकार पर एसएलआर तान दी थी। आज वही चंबल के दद्दा समाज की मुख्यधारा से जुड़कर सामान्य जीवन जी रहे हैं। इसी का नाम लोकतंत्र है।
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ये हैं डाकू मलखान सिंह, जिस पर 185 हत्या 1 हजार 112 डकैती के केस दर्ज थे। 1983 में भिंड मध्यप्रदेश में आत्म समर्पण के बाद सामान्य जीवन जी रहे हैं समर्पण से पूर्व भरतपुर संभाग में भी इसके आतंक का खौफ होता था। आज रुपए बदलवाने हेतु ग्वालियर की SBI बैंक में लाईन में खड़े हो कर अपनी बारी का इंतजार किया। "और कितना बदलेगा इंडिया"
15th November complete edition of Hamari Sarkar specially for you
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चांद के बहाने
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खटर-पटर निखट्टू- संतों...कल रात को देश में सबसे बड़ा चांद निकला। वैसे उर्दू शाइरी में चांद को लेकर तमाम बातें कही गई हैं। कुछ लोग अपनी महबूबा को ही चांद कहने लगे। इसकी एक बानगी यूं देखिए कि- पूछा जो उनसे चांद निकलता है किस तरह, जुल्$फों को रुख पे डाल के झटका दिया कि यूं। अब रात को दफ्तर से थका हारा जब घर पहुंचा तो देखा कि लोग छतों पर कुछ निहारने में लगे हैं। मैं अभी -अभी छत पर खड़ा ही हुआ था कि पीछे से घरवाली की आवाज आई क्या देख रहे हो जी? मैंने सहजता से उत्तर दिया कि चांद। मेरा इतना कहना था कि वो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जहाज की तरह दनदनाती कमरे में चली गईं। अब मुझे पता चल गया कि मेरे जवाब ने मेरे चांद को ज्वालामुखी बना दिया था। विस्फोट तो होना ही था। मैं कमरे के अंदर गया और बोला क्या हुआ जी... आप अचानक अंदर क्यों चली आईं। तो और क्या करती वहां? आप तो चांद देख रहे थे न...? तो जाकर और देख लीजिए? मैंने कहा आज सबसे बड़ा चांद निकला है। उनका पारा और चढ़ गया वो बोलीं हां...भई हां...आसपास की छतों पर जितनी भी चांद टहल रही हैं सब बड़ी-बड़ी ही हैं। लंबाई तो हमारी कम है। ये सुनकर मैं त...