पहली बारिश में उखड़ी 36 करोड़ की रोड


ठेकेदार नेता और लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं के खिलवाड़ के चलते 36 करोड़ की रोड जो जगदलपुर से मारेगां जाती है,पहली ही बारिश में बह गई। सरकार और ठेकेदार के बीच होने वाले भ्रष्टाचार के मजबूत जोड़ की सारी कहानी कह गई।धूल और धुएं से घुट रहा है आने -जाने वालों का दम। तो एक सियासी पार्टी के कार्यकर्ताओं के जबरदस्त विरोध के बाद टूटी लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की नींद। अब उन्होंने शुरू करवाया है उस सड़क का निर्माण। ऐसे में सवाल तो यही है कि इस प्रदूषण और इसके गड्ढों में वाहनों के उलटने से जिन लोगों की जान जाएगी उनकी मौत का जिम्मेदार कौन होगा? ठेकेदार, नेता, सरकारी अधिकारी या फिर कोई और?



 जगदलपुर।
क्या है पूरा मामला-
 ठेकेदार से साठगांठ करके पीडब्लूडी के अफसरों ने सड़क को इतना घटिया बना दिया है कि लगभग साल भर पहले बनी जगदलपुर से मारेगां तक बाईपास सड़क का हाल बेहाल हो गया है। अपने चुनावी वादों में भाजपा ने इस सड़क को अपनी महत्वपूर्ण योजना बताकर सड़क का निर्माण करवाया था और एक बारिश में 36 करोड़ रुपए की सड़क उखड़ गई। 
सियासी पार्टी की मांग पर शुरू हुआ दोबारा काम-
एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पीडब्लूडी दफ्तर में जाकर तत्काल दोषी ठेकेदार और अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की। इसके साथ ही साथ दोबारा सड़क का निर्माण नहीं करने पर आंदोलन करने की चेतावनी दे डाली। फिर क्या था आनन-फानन में पीडब्लूडी विभाग के अफसरों ने काम शुरु दिया,लेकिन उस पार्टी के कार्यकर्ताओ ने भाजपा पर जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है और उक्त ठेकेदार और अधिकारियों को जेल भेजने की मांग कर रहे हैं।
किसी पर भी नहीं हुई कार्रवाई-
इधर इस पूरे मामले में पीडब्लूडी विभाग के अफसर भी यह मान रहे हैं कि 36 करोड़ की जो सड़क बनी है वह घटिया स्तर की बनी है और सड़क बनने पर किसी भी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया था जिसके कारण एक बारिश में सड़क पूरी तरह से उखड़ गई।  इस मामले पर पीडब्ल्यूडी विभाग के अफसर अपने अधीनस्थ को बचाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।  यही वजह है कि इस मामले में दोषी ठेकेदार सहित 17 लोगों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सरकारी व्यवस्था की अवस्था-
चीफ इंजीनियर ने नहीं उठाया फोन-
इस पूरे प्रकरण पर जब चीफ इंजीनियर जगदलपुर आर. बी. मेंग्रुलकर से उनके दूरभाष - 07782 2221214 पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे में इनकी कार्य प्रणाली ये बताने के लिए काफी है कि जब ये मीडिया के फोन नहीं उठाते, तो फिर भला आम आदमी  के फोन का क्या करते होंगे। जानकार तो ये भी दावा करते हैं कि उनको जब ठेकेदारों की तीमारदारी से फुर्सत मिलेगी तब आम आदमी को जवाब देंगे।
प्रिंसिपल सेक्रेटरी का भी वही हाल-
इस संदर्भ में जब सरकार का पक्ष जानने के लिए विभाग के प्रिंसिपल सेक्रटरी अमिताभ जैन से उनके मोबाइल नंबर 9826146416 पर संपर्क किया गया तो उनका भी वही हाल रहा जो चीफ इंजीनियर का। यानि इन्होंने भी कोई उत्तर नहीं दिया। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या ऐसे अधिकारियों को ही सरकार सातवां वेतनमान  दे रही है? जो अधिकारी फोन नहीं उठाते सरकार उनके फोन पर अनावश्यक पैसे क्यों जाया कर रही है?
लोक निर्माण मंत्री ने बंद किया फोन-
प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत से जब उनके मोबाइल नंबर 9425202555 पर संपर्क किया गया तो उनका भी फोन बंद बताता रहा। ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि प्रदेश के नेता और उनकी सरकारी अफसरशाही किसी मामले को लेकर कितनी संजीदा है?
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