गांधी की आधी सच्चाई
खटर-पटर
निखट्टू-
संतों.....हर दफा कहकहे हमराज नहीं हो सकते, खुशनुमा गीत के अंदाज़ नहीं हो सकते। कामयाबी तो हमें ढूंढ ही लेगी इक दिन, रोज तो देवता नाराज नहीं हो सकते। जी हां ये पंक्तियां कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर पूरी तरह फिट बैठती हैं। विपक्षी उनको पप्पू कहते हैं। तो वे भी कम नहीं हैं जैसे वे लोग कहते हैं ये वैसे ही बने रहते हैं। सियासी गलियारों के जानकारों का मानना है कि अगर उनको कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालना है तो उनको सबसे पहले अपने इसी मुखौटे को उतार कर दूर फेंकना होगा। विपक्षियों को अपने सवालों के ताप से सेंकना होगा। अपनी उस पुरानी छवि को बदलना होगा। हालांकि वे काफी हद तक इसमें कामयाब भी हुए हैं, पर कहीं-कहीं कुतर्कदार भाषण देकर ये अपने लिए मुश्किलें पैदा कर ही लेते हैं। अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया। सारी दुनिया में इस बात की खूब तारीफ हुई। पहले तो इन्होंने भी तारीफ किया, मगर दूसरे ही दिन इन्होंने देश के प्रधानमंत्री को खून का दलाल तक कह डाला। इसको लेकर खूब हो हल्ला मचा। किसी तरह मामला शांत हुआ, मगर इनके इसी बयान ने इनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब खबर है कि इनके चुनाव प्रभारी इन दिनों भारी परेशानी में हैं। उन्होंने अखिलेश यादव से मुलाकात तो की, मगर उनका कहना है कि हम गठबंधन हमारी शर्तों पर होगा। प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए 172 सीटें पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए मांग रहे थे। इस पर भी बात नहीं बनी। 14 साल वनवास के बाद कांग्रेस फिर से उत्तर प्रदेश में लौटी है। तो उसके पास कोई ऐसा जोरदार नेता नहीं है जो पार्टी का चेहरा बन सके। पहले लोग प्रियंका वाड्रा से उम्मीद लगाए थे मगर उन्होंने भी किनारा कर लिया। अब ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या राहुल गांधी सोए पड़े उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कोई जोरदार आंधी ला सकते हैं? जिसे देखकर सकपका जाए सपा, उसे लगे कि उसका तो वोट बैंक नपा। और टेंशन में पड़ जाए बसपा उनका भी बंद हो जाए नफा। वैसे भी अब जातिवाद के नाम पर वोट तो मांग नहीं पाएंगे। ऐसे में अब इनको अगर कायदे से जवाब दिया गया तो नि:संदेश दोनों ही पार्टियों के तमाम उम्मीदवार इस चुनाव में खुद ही दरकिनार हो जाएंगे।
कांग्रेसियों को उम्मीद है कि उनके राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में बहाएंगे ऐसी आंधी कि वोटों का लग जाएगा उनके समर्थन में अंबार। बाकी की पार्टियों का हो जाएगा बंटाधार। तो वहीं उनके इन्हीं कुतर्कों से लगातार परेशान हो रहे हैं उनके प्रशांत किशोर सर..... तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर.... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जै...जै।
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निखट्टू-
संतों.....हर दफा कहकहे हमराज नहीं हो सकते, खुशनुमा गीत के अंदाज़ नहीं हो सकते। कामयाबी तो हमें ढूंढ ही लेगी इक दिन, रोज तो देवता नाराज नहीं हो सकते। जी हां ये पंक्तियां कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर पूरी तरह फिट बैठती हैं। विपक्षी उनको पप्पू कहते हैं। तो वे भी कम नहीं हैं जैसे वे लोग कहते हैं ये वैसे ही बने रहते हैं। सियासी गलियारों के जानकारों का मानना है कि अगर उनको कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालना है तो उनको सबसे पहले अपने इसी मुखौटे को उतार कर दूर फेंकना होगा। विपक्षियों को अपने सवालों के ताप से सेंकना होगा। अपनी उस पुरानी छवि को बदलना होगा। हालांकि वे काफी हद तक इसमें कामयाब भी हुए हैं, पर कहीं-कहीं कुतर्कदार भाषण देकर ये अपने लिए मुश्किलें पैदा कर ही लेते हैं। अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया। सारी दुनिया में इस बात की खूब तारीफ हुई। पहले तो इन्होंने भी तारीफ किया, मगर दूसरे ही दिन इन्होंने देश के प्रधानमंत्री को खून का दलाल तक कह डाला। इसको लेकर खूब हो हल्ला मचा। किसी तरह मामला शांत हुआ, मगर इनके इसी बयान ने इनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब खबर है कि इनके चुनाव प्रभारी इन दिनों भारी परेशानी में हैं। उन्होंने अखिलेश यादव से मुलाकात तो की, मगर उनका कहना है कि हम गठबंधन हमारी शर्तों पर होगा। प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए 172 सीटें पूरे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए मांग रहे थे। इस पर भी बात नहीं बनी। 14 साल वनवास के बाद कांग्रेस फिर से उत्तर प्रदेश में लौटी है। तो उसके पास कोई ऐसा जोरदार नेता नहीं है जो पार्टी का चेहरा बन सके। पहले लोग प्रियंका वाड्रा से उम्मीद लगाए थे मगर उन्होंने भी किनारा कर लिया। अब ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या राहुल गांधी सोए पड़े उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कोई जोरदार आंधी ला सकते हैं? जिसे देखकर सकपका जाए सपा, उसे लगे कि उसका तो वोट बैंक नपा। और टेंशन में पड़ जाए बसपा उनका भी बंद हो जाए नफा। वैसे भी अब जातिवाद के नाम पर वोट तो मांग नहीं पाएंगे। ऐसे में अब इनको अगर कायदे से जवाब दिया गया तो नि:संदेश दोनों ही पार्टियों के तमाम उम्मीदवार इस चुनाव में खुद ही दरकिनार हो जाएंगे।
कांग्रेसियों को उम्मीद है कि उनके राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में बहाएंगे ऐसी आंधी कि वोटों का लग जाएगा उनके समर्थन में अंबार। बाकी की पार्टियों का हो जाएगा बंटाधार। तो वहीं उनके इन्हीं कुतर्कों से लगातार परेशान हो रहे हैं उनके प्रशांत किशोर सर..... तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर.... तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए जै...जै।
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