सूरजपुर में टंकी के नाम पर नौटंकी



-राज्य के गृह जेल और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री के विधान सभा क्षेत्र में पानी के नाम पर रोज-रोज नई-नई कहानी सामने आ रही है। आलम ये है कि यहां बड़ी तादाद में लगाए गए हैंडपंपों की हलक सूख चुकी है। तो वहीं टंकी के नाम पर नौटंकी जारी है। इन गुणवत्ताहीन टंकियों में बूंदभर भी पानी नहीं है। ऐसे में लोगों की प्यास और आस दोनों पर ये ठेकेदार और अधिकारी डाका डाल रहे हैं। यहां के लोग मजबूरी में अब निस्तारी के काम में लाए जाने वाले पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं। ऐसे में सवाल तो यही है कि जब मंत्री के इलाके का ये हाल है तो फिर बाकी राज्य में क्या हो रहा होगा?
अधिकारी और ठेकेदार पार्टनरशिप की लेकर आड़ कर रहे हैं गुणवत्ताहीन निर्माण, सरकारी बजट के पैसों की  ठाट से हो रही बंदरबांट
सूरजपुर।
 क्या है पूरा मामला-
सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकास खण्ड में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा नल जल योजना के तहत पानी टंकी बनवा नल जल योजना के तहत पाईप लाईन विस्तार कराया गया ।  इनमें कई पानी टंकियों को निर्माण के बाद से आज तक पानी नसीब नहीं हुआ। कहीं पम्प खराब, कहीं टंकी से पानी का रिसाव, कहीं- कहीं का निर्माण कार्य कई वर्षों बाद भी अधूरा पड़ा होने से, उपयोगहीन हो गया है ।
क्यों हो रहा है ऐसा-
 ग्रमीणों को जल उपलब्ध कराने के लिए बिछाई गई स्तरहीन पाइप या तो टूट गई है या खराब हो चुकी है। जल उपलब्ध कराने के लिए विधायक, सांसद के मद से एवं शासन की अन्य योजनाओं से हजारों हैण्डपम्प के बोर खुदवाए गये। पर सुदुर ग्रामीण क्षेत्रों में लगे अधिकांश हैण्डपम्प खराब पड़े हैं। इन्हें सुधारने के लिए कई बार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यालय में सब इंजीनियर से लेकर कार्यपालन यंत्री तक ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा लिखित एवं मौखिक निवेदन किया गया पर खराब हैण्डपम्प सुधारे नहीं गये।   इस मामले में इन पर विभागीय मंत्री का निर्देश भी बेअसर रहा। ग्राम स्वच्छता अभियान के तहत जिले में कराये गये अधिकांश कार्य अधूरे एवं अनुपयोगी हैं। इसमें तो विभाग के कई तकनीकी अधिकारी कर्मचारी संबंधित ठेकेदारों के साथ पार्टनरशिप कर लाखों रुपए का वारा न्यारा कर चुके हैं।
हैंडपंपों की सूखी हलक-
विकास खण्ड प्रतापपुर के ग्राम केरता, पम्पापुर, खडगवां, जगन्नाथपुर में वर्षों पूर्व पानी टंकी का निर्माण कर पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन विस्तार कराया गया। निर्माण काल से ही कार्य की गुणवत्ता पर ग्रामीणों ने विभाग के पास कई बार शिकायत की। जैसे -तैसे कार्य तो पूरा हुआ पर लगभग बारह वर्ष बाद भी आज तक ग्रामीणों को पानी उपलब्ध नहीं हो पाया। जनपद के कई ग्राम पंचायतों में हैण्डपम्पों की हलक सूखी पड़ी है। जिसे कई सूचनाओं के बाद भी विभाग के द्वारा सुधार के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही हैं।
 जमीन के नीचे से भी होती है कमाई-
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा खुदवाये जाने वाले हैण्डपम्प, लगाये जाने वाले पम्प एवं अन्य सामाग्री के सप्लायरएवं ठेकेदारों से सांठगांठ कर की जाने वाली कमाई तो आम बात हो गई है। पर इनकी कमाई जमीन के नीचे से भी होती हैं। जब भी इनके मैकेनिक हैण्डपम्प सुधारने जाते हैं खराब हैण्डपम्प में लगी पाइप की संख्या कम करते जाते हैं। क्षेत्र के अधिकांश हैण्डपम्पों की न तो इनके मानक के अनुरूप खुदाई हुई है न तो इनके द्वारा अंकित पाइप हैण्डपम्पों में लगी है। विभाग के पास न तो रिपेयरिंग के बाद निकाले गये खराब सामाग्री के भंण्डारण का समुचित लेखाजोखा है। नहीं नवीन सामाग्री खरीदी के और उसके उपयोग का विश्वसनीय ब्यौरा।  ऐसे में कैसे साकार होगा प्रदेश सरकार की सभी नागरिकों को पेयजल उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना।

कहां जाता हैं मेंटिनेंस का पैसा -
जल उपलब्धता सेवा की व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने शासन से प्रति वर्ष सुधार कार्य के लिए राशि आबंटित की जाती हैं।  पर ये राशि जाती कहां हैं। इसका विभाग के अधिकारियों के पास बस एक ही जवाब है आवश्यकता के अनुरूप पैसा मिलता ही नहीं है। पर सूत्रों की मानें तो जो पैसा इन्हें शासन से मेंटिनेंस के लिए मिलता है उसका इनके द्वारा मनमाने तरीके से दुरुपयोग किया जाता हैं।

वर्जन-
 मंै यहां अभी अभी पदभार लिया हंू। पहले हुए कार्यों की पूरी जानकारी मुझे नहीं है, लेकिन जो कार्य नलजल योजना के तहत ग्राम पंचायतों में हुए हैं वो लगभग सभी ग्राम पंचायतों को हैंन्डओवर कर दिए गये हैं।
के.पी. देवांगन,
एसडीओ
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग प्रतापपुर
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