बहंगी लचकत जाय...डूबते सूर्य को अघ्र्य आज




घाटों पर उमड़ेगी भयंकर भीड़, सुरक्षा के चाक-चौबंद होंगे इंतजाम

रायपुर। भगवान भुवनभास्कर के आराधना का महापर्व छठ शुरू हो चुका है। आज डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। घर से शाम को निकली महिलाएं और उनके साथ बच्चे तथा घर के बड़े बूढ़े सिर पर दौरा में  सामान लेकर छठ घाट की ओर जाएंगे। उस समय महिलाएं गीत गाती हुई जाती हैं कि- काचहि बांस के बहंगिया... बहंगी लचकत जाए। इसमें सबसे बड़ी बात जो होती है वह है स्वच्छता की। हमारे वैदिक विधानों में सूर्योपासना में स्वच्छता का विशेष महत्व है।
डूबते सूर्य को देंगे अघ्र्य-
तमाम नदियों और तालाबों के जल में खड़े होकर छठ व्रती आज की शाम को डूबते हुए सूर्य को अघ्र्य देंगे। इसके बाद फिर कल सुबह उगते सूर्य के अघ्र्य के साथ ही यह महापर्व सम्पन्न हो जाएगा। आज की शाम को गांवों की गलियों में जमकर सजावट की जाती है। इसके बाद घर-घर छठ के पारंपरिक गीतों की गूंज सुनाई पड़ती है।
केरवा जे फरे ला घउद में ओह पर सुगा मंडराय-
ये गीत अक्सर घरों में गाया जाता है कि -केरवा जे फरे ला घउद में ओह पर सुगा मंडराय, सुगवा के मरबो धनुष से सुगा गिरे मुरझा। रोवे ली सुगनि विरह से आदित होउ न सहाय। अर्थात तोते की मादा भगवान सूर्य से प्रार्थना करती है। कि उसके घायल पति की वे रक्षा करें। भगवान भुवन भास्कर की कृपा होती है और उस तोते की जान बच जाती है। ऐसे तमाम गीतों की एक लंबी श्रृंखला है। जिनका गायन इन तीन दिनों के अंदर छठ व्रती करते हैं।
नदियों के घाटों पर उमड़ेगी भीड़-
गंगा नदी के अलावा बिहार में बहने वाली तमाम नदियों के किनारे आज भीड़ उमड़ेगी। पटना, नई दिल्ली, वाराणसी, और इलाहाबाद जैसे शहरों के गंगा घाटों पर तो आज तिल रखने की जगह नहीं रहेगी। इसके साथ ही साथ सोमवार को सुबह भी यही हाल रहेगा। सोमवार को सुबह के सूर्योपासना के बाद व्रतियों का व्रत पूर्ण हो जाएगा।

Comments

Popular posts from this blog

पुनर्मूषको भव

कलियुगी कपूत का असली रंग

बातन हाथी पाइए बातन हाथी पांव