एटीएम में सुबह की लाइन

खटर-पटर

निखट्टू-
संतो...देश में काफी लोग तो अब सबेरे उठ कर राम-राम की बजाय नोट-नोट रट रहे हैं। तो कुछ नहा धोकर शिवालयों की बजाय डाकघर और बैंकों की ओर भागे जा रहे हैं। थोड़ा और आगे गया तो देखा की मुहल्ले की एटीएम पर भी तमाम लोग लाइन में लगे हैं। अलसुबह ही पंडित जी भी धोती की लांग बांधते छलांग मारते दौड़े चले आ रहे हैं। फिर उनके पीछे-पीछे सीधे पल्ले में साड़ी ठीक करती पंडिताइन भी सरसराती चली आ रही हैं। मैंने सम्मानवश पंडित जी को अपने आगे खड़ा कर दिया और पंडिताइन मेरे पीछे खड़ी हो गईं। पंडित जी का  नंबर जैसे ही आया वे तेजी से अंदर घुसे मगर फिर बाहर की ओर आकर पंडिताइन से बोले कि अरे पंडिताइन मैं लगता है अपना एटीएम कार्ड भूल गया। और जल्दी में ये शंख लेकर चला आया अब क्या होगा? पंडिताइन ने मुस्कराते हुए मुझे उनका एटीएम कार्ड थमाया और बोली आपके भाई साहब किसी की सुनते कहां हैं। पूजा में एटीएम लेकर बैठे थे और एटीएम में शंख लेकर आ गए। अब कहीं पासवर्ड गलत किया तो समझो बंटाधार हो जाएगा। खैर हमलोग बातें कर ही रहे थे कि पंडित जी हर्षित मन से दो हजार का नया नोट लेकर निकले और बड़े जोर से बोले - बोलो बजरंगबली की....वहां मौजूद जनता बोल पड़ी जय। अभी संभल पाते कि तब तक बगल खड़े चैनल वालों ने उनको ऐसे लपका जैसे कोई क्रिकेट का खिलाड़ी कैच लपकता है? पंडित जी आपको पहला दो हजार का नोट मिला है कैसा लग रहा है। पंडित जी बोले अच्छा लग रहा है।  मैं जब तक बाहर आता तब तक चैनल वाले जा चुके थे। और थोड़ी दूरी पर निगाह गई तो देखा चच्चा असगर भोपाली मस्जिद से नमाज के बाद सीधे इधर ही आ रहे हैं। आतेइ मुझे देखा और फट पड़े......जेब्बात.....खान क्या धोबिया पछाड़ मारा है अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने....मेंतो पैलेइ केरिया था....कि जे दांव बड़े तगड़े लगाता है? अब खामखां कोई मेरी सुने तब न......कालेधन के बंडलों पे जो शहर के सूरमा डंड पेल रहे थे और जो कानून व्यस्था से खेल रहे थे। उनकी तो पसली भी अब असली नइं रहेगी। हजार-पांच सो के नोट तो अब रद्दीवाला भी नी पूंछता अमां.....ऐसी पटकनी मारी कि कम्बख़्त हड्डियों का मैदा बन गया? मानो...या न मानो खां.....पैले लोग बोलते थे कि इसका सीना 56 इंच का है....पर मुझे तो लगता है डर के वो दर्जी उसकी नाप फर्जी बता दिया। ऐसी पटकनी तो कम्बख्त 156 इंच वालाइ मारता हे। तब तक नंबर आ गया और वे कार्ड लेकर अंदर गए और रुपए लेकर बाहर आए। अब चच्चा के चेहरे पर चमक दिखाई दे रही थी। मैंने पूछा क्या चच्चा....आज पहली बार कार्ड से पैसा निकाला क्या....सुनते ही चच्चा बिदक गए... बोले लो...कर लो बात...अमां मियां हम भला कार्ड से क्यों पेसे निकालें क्या हमारा रेकार्ड खराब है। चलो किनारे हटो सर....अब मुझे जाना है अपने घर....मगर जेब्बात तो पक्की हैगी कि जे मोदी....मोदी है खान... दुनिया का सबसे तगड़ा पहलवान....अमां आज तो गब्बर सिंह भी अगर होता तो सर पीट-पीट के रोता...समझ गए न सर... तो अब हम भी निकल लेते हैं अपने घर... कल फिर आपसे मुलाकात होगी, तब तक के लिए जै....जै।
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