लेट होती बुलेट
खटर-पटर
निखट्टू-
संतों.....हमारे खबरी लाल के खैऱख़्वाहों ने खबर दी है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान में बुलेट ट्रेन की सवारी की। उनके साथ जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी थे। जापान के साथ तमाम समझौते भी हुए, जिस एनएसजी ग्रुप की सदस्यता को लेकर चीन लगातार विरोध कर रहा था। मोदी ने उसकी भी छाती पर मूंग दल दिया। जापान ने भारत के साथ परमाणु से संबंधित समझौता कर लिया। तो वहीं ख़ैरख़्वाहों का तो ये भी मानना है कि अब जल्दी ही बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद की बीच फर्राटा भरेगी। किसी तरह रेल को ठेल रहे भारतीय रेल मंत्रालय में इतना परिवर्तन? रेल के अधिकारियों का तो ये भी कहना है कि जब हम राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी गाडिय़ां लेट कर देते हैं तो ये बुलेट किस खेत की मूली है? एक ने तो ताल ठोंकते हुए मूछों पर ताव दिया और बोला कि आने दो बुलेट अगर उसे भी लेट नहीं करके दिखाया तो रेल का सिग्रलमैन नहीं। ये बात हो ही रही थी कि बगल बरगद की छांव में बैठे जोगी बाबा की सारंगी बज उठी और उन्होंने गाना शुरू किया कि तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जागो रे......। मुझे तो एक बारगी ऐसा लगा जैसे उस जोगी ने प्रधानमंत्री मोदी को आवाज दी हो। अब अगर बुलेट के आने के पहले ही अधिकारियों की ये नीयत बन चुकी है तो देश को विकास के रास्ते पर ले जाना कितना कठिन काम होगा इसको आसानी से समझा जा सकता है। कौन कहे आगे बढऩे की ये कर्मचारी देश की टांग पकड़ कर पीछे की ओर खींचने में लगे हैं। यह किसी एक विभाग का नहीं सरकार के तमाम विभागों का हाल है। इनकी सोच का क्या किया जाए समझ में नहीं आता। ऐसे लोगों से भला देश की जनता उम्मीद भी करे तो क्या करे? जो लगातार देश को गर्त में ले जाने की सोचते हैं। अब इन लाइनमैन को शायद इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि उनका भी नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी है। पूरे देश के कालेधन के धुरंधरों को एक झटके में धूल चटा दी। तो ऐसे टुच्चे की भला क्या औ$कात? हां ये बात जरूर है कि उसके आने में भले लेट हो रहा है, मगर आने के बाद वो लेट नहीं होगी। इससे देश के विकास को मिलेगी नई रफ्तार। मैं उनकी पटर-पटर से ऊब चुका था...जी में आया कि कह दूं कि अरे जाओ कहीं और पालो अपना पेट....बड़े आए हैं लेट करने बुलेट? तो समझ गए न सर..... तो अब हम भी चलते हैं अपने घर ...तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी, तब तक के लिए जै.....जै।
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निखट्टू-
संतों.....हमारे खबरी लाल के खैऱख़्वाहों ने खबर दी है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान में बुलेट ट्रेन की सवारी की। उनके साथ जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी थे। जापान के साथ तमाम समझौते भी हुए, जिस एनएसजी ग्रुप की सदस्यता को लेकर चीन लगातार विरोध कर रहा था। मोदी ने उसकी भी छाती पर मूंग दल दिया। जापान ने भारत के साथ परमाणु से संबंधित समझौता कर लिया। तो वहीं ख़ैरख़्वाहों का तो ये भी मानना है कि अब जल्दी ही बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद की बीच फर्राटा भरेगी। किसी तरह रेल को ठेल रहे भारतीय रेल मंत्रालय में इतना परिवर्तन? रेल के अधिकारियों का तो ये भी कहना है कि जब हम राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी गाडिय़ां लेट कर देते हैं तो ये बुलेट किस खेत की मूली है? एक ने तो ताल ठोंकते हुए मूछों पर ताव दिया और बोला कि आने दो बुलेट अगर उसे भी लेट नहीं करके दिखाया तो रेल का सिग्रलमैन नहीं। ये बात हो ही रही थी कि बगल बरगद की छांव में बैठे जोगी बाबा की सारंगी बज उठी और उन्होंने गाना शुरू किया कि तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जागो रे......। मुझे तो एक बारगी ऐसा लगा जैसे उस जोगी ने प्रधानमंत्री मोदी को आवाज दी हो। अब अगर बुलेट के आने के पहले ही अधिकारियों की ये नीयत बन चुकी है तो देश को विकास के रास्ते पर ले जाना कितना कठिन काम होगा इसको आसानी से समझा जा सकता है। कौन कहे आगे बढऩे की ये कर्मचारी देश की टांग पकड़ कर पीछे की ओर खींचने में लगे हैं। यह किसी एक विभाग का नहीं सरकार के तमाम विभागों का हाल है। इनकी सोच का क्या किया जाए समझ में नहीं आता। ऐसे लोगों से भला देश की जनता उम्मीद भी करे तो क्या करे? जो लगातार देश को गर्त में ले जाने की सोचते हैं। अब इन लाइनमैन को शायद इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि उनका भी नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी है। पूरे देश के कालेधन के धुरंधरों को एक झटके में धूल चटा दी। तो ऐसे टुच्चे की भला क्या औ$कात? हां ये बात जरूर है कि उसके आने में भले लेट हो रहा है, मगर आने के बाद वो लेट नहीं होगी। इससे देश के विकास को मिलेगी नई रफ्तार। मैं उनकी पटर-पटर से ऊब चुका था...जी में आया कि कह दूं कि अरे जाओ कहीं और पालो अपना पेट....बड़े आए हैं लेट करने बुलेट? तो समझ गए न सर..... तो अब हम भी चलते हैं अपने घर ...तो कल फिर आपसे मुलाकात होगी, तब तक के लिए जै.....जै।
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