नोट पर चोट





कालेधन और आतंकवादियों को पैसों की आपूर्ति की मेन लाइन काटने में कामयाब हुई भाजपा की सरकार, अब सवालों के घेरे में घिरती दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद से ही देश के तमाम बाजारों में अफरातफरी मची हुई है। लोग अपनी तत्काल की जरूरतों को पूरा करने के लिए चिंतित दिखाई दे रहे हैं। तो वहीं तमाम लोग सरकार के इस दूरगामी फैसले की प्रशंसा भी कर रहे हैं। ऐसे समय में लोगों के सामने  समस्या ये है कि जो बड़े लोग हैं उनके सामने करेंसी की समस्या पैदा हो गई है। तो वहीं आम जनता की भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इसके अलावा देश के जानकार तो ये भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या कालेधन के लिए ये जरूरी था कि देश में खरबों रुपए खर्च कर जो नोट छपाए गए थे उनको ऐसे ही नष्ट कर दिया जाए? देश के खजाने को ये जो नुकसान हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? प्रधानमंत्री या फिर भारतीय रिजर्व बैंक? तो वहीं यूपी और बिहार में 42 हजार शादियां इन दो महीनों में होने वाली हैं। इनमें भी कई हजार करोड़ रुपए का वारा-न्यारा होने वाला है। अब उन परिजनों के माथे पर बल दिखाई दे रहे हैं। उनके सामने समस्या ये है कि आखिर वे अपनी बेटियों के हाथ कैसे पीले करें? उधर दैनिक बाजार करने वाली महिलाओं की समस्या ये है कि अब उनकी गृहस्थी कैसे चलेगी? कारखाने वाले इस चक्कर में परेशान हैं कि उनके मजदूरों और स्टॉफ को वेतन कैसे दिया जाए?
इधर सरकार लगातार इस  कोशिश में है कि अब वो कालाधन रखने वालों को किसी भी कीमत में नहीं बख्शने वाली। जानकार इस बात से भी इंकार नहीं करते कि कालाधन रखने वाले तमाम लोग अपने पैसों को उजागर करने वाले नहीं हैं। भले ही वो पैसे उनकी तिजोरियों में पड़े-पड़े सड़ क्यों न जाएं।  अलबत्ता इससे दो फायदे देश को होंगे। पहला ये कि इससे आतंकवादियों की आपूर्ति लाइन काट दी गई। तो वहीं  दूसरा ये कि कोई भी व्यापारी या कोई दूसरा आदमी कालाधन इक_ा नहीं कर पाएगा। सरकार जल्द ही पांच सौ और दो हजार रुपए के उच्च सुरक्षा वाली नोट जारी करने जा रही है। ऐसे में देखना ये होगा कि क्या इनके आने से नकली नोटों का कारोबार बंद हो पाएगा? अगर ऐसा होता है तो फिर ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल का बेमिसाल उदाहरण होगा। ऐसे में सरकार और देश की जनता दोनों का ये नैतिक दायित्व बनता है कि दोनों मिलकर एक दूसरे का सहयोग करें, ताकि देश को इस कालेधन के दलदल से उबारा जा सके। तो वहीं आतंकवाद के आ$काओं की काली कमाई को रोका जा सके।सरकार के इस कदम की व्यापक स्तर पर प्रशंसा हो रही है।

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