अवैध उत्खनन पर मनन






प्रदेश एक ओर जहां विकास की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है। तो वहीं रेत माफिया यहां की नदियों का पेट तेजी से खोखला करते जा रहे हैं। इसका नज़ारा राज्य की लगभग हर छोटी बड़ी नदी में देखने को मिल जाएगा। जहां पोकलेन मशीन की मदद से लगातार अवैध उत्खनन किया जा रहा है। तो वहीं ऐसा करने वाले लोग कुछ ज्यादा रसूखदार बताए जाते हैं। अभी साल भर पहले की ही बात है मध्य प्रदेश में पत्थर माफियाओं ने खनिज विभाग के अधिकारियों को बहती नदी में दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था। जानकारों का मानना है कि छत्तीसगढ़ के रेत माफिया भी कम रसूखदार नहीं हैं। इनके संबंध भी  तमाम मंत्रियों और नेताओं से बताए जाते हैं। जिसके दम पर ये बाहर और इनका पोकलेन नदियों में गरजता है। खनिज अधिकारी और उनके मातहत तमाम लोग भी इधर का रुख करने से पहले कई बार सोचते हैं। बड़े अधिकारियों को तो फुर्सत ही नहीं है कि वो उधर जाकर झांक भी लें। ऐसे में इनका धंधा बेरोकटोक चल रहा है। अलबत्ता इससे सरकार को एकन्नी की भी आय नहीं हो रही है। अब अगर यही काम कोई गरीब अगर अपनी जीविका चलाने के लिए करता तो खनिज विभाग और अधिकारी उसका जीना मुहाल कर देते। उससे दफ्तरों के इतने चक्कर लगवाते कि वो बाकी का काम भूल जाता। पर यहां मामला रसूखदारों का जो ठहरा। आखिर वो रसूखदार है, उसके संबंध बड़े लोगों से हैं लिहाजा वो सरकारी खजाने को चूना लगाएगा ही, क्या कर लेंगे अधिकारी और क्या कर लेगी सरकार? कुछ नहीं होने वाला?
सरकार अगर असल में चाहती है कि ऐसे लोगों पर शिकंजा कसे, तो उसको सबसे पहले तो इस अवैध उत्खनन पर मनन करना होगा कि सरकारी खजाने का नुकसान करने वाला कोई भी हो वो बख्शा नहीं जाएगा। उससे खजाने को मिलने वाली रकम की वसूली जरूर की जाएगी। अगर वो नहीं देता तो उसके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई भी की जाएगी। इससे जनता में ये संदेश भी जाएगा कि कानून की निगाह में सभी समान हैं।
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