नोट बंदी पर गंदी सियासत





देश में नोट बंदी को लेकर संसद से लेकर विधान सभा तक पूरे दिन हंगामा होता रहा। दिल्ली से लेकर रायपुर तक कांग्रेस के नेताओं ने सरकार को कठघरे में खड़ा करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी। तो वहीं सत्ता पक्ष ने भी इसका पूरी मजबूती से जवाब दिया। इसी मुद्दे को लेकर छजकां जोगी के कार्यकर्ताओं ने विधान सभा घेराव की कोशिश की। तो संसद में दो हजार के नोट लहराए गए। प्रधानमंत्री ने देश की जनता से 50 दिनों का वक्त मांगा और देश के युवाओं ने उनको वो समय दे भी दिया। अधिकांश लोगों का यही मानना है कि प्रधानमंत्री के इस कदम के दूरगामी परिणाम होंगे। सरकार के इस फैसले से जहां आतंकवाद, नक्सलवाद, और शिमला में पत्थरबाजी करने वालों की कमर टूट गई है। वहीं दाउद इब्राहिम और अजहर मसूद जैसे आतंक के सरगनाओं की भी समझ में नहीं आ रहा कि वो क्या करें? ऐसे में विपक्ष का इस तरह का व्यवहार कहीं न कहीं ये संदेश देने की कोशिश है, कि वो अब लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल कर रहे हैं। संसद और विधान सभाओं की कार्रवाई रोककर ये लोग देश की अर्थव्यवस्था को लहूलुहान कर रहे हैं। देश का शिक्षित युवा भविष्य का एक जागरूक नागरिक है। उसको इतनी आसानी से बरगलाया नहीं जा सकता। वो दिन लद गए कि जब कांग्रेसी लोगों की अशिक्षा का जमकर फायदा उठाते रहे। जानकारों का तो ये भी कहना है कि संसद की कार्यवाही रोक कर कांग्रेस अब लोगों के मन से अपनी रही सही आस्था को भी खत्म करने पर तुली है। उसके सांसदों और विधायकों की इस कार्यवाही से जनता में कमोबेश यही संदेश जाएगा कि कांग्रेस देश की जनता और प्रधानमंत्री के देश हित में लिए गए फैसले के हित में नहीं है। हालांकि राहुल गांधी पहले ही इसकी तारीफ कर चुके हैं। देश के राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि भारत बदल रहा है। कालेधन के कुबेरों को इससे कुछ ज्यादा ही परेशानी होती दिखाई दे रही है। अब जिनके रुपए बेकार हुए हैं वो कुछ न कुछ तो  बोलेगा ही? तो वहीं लगातार जनता को ठग कर कमाई करने वाले सुनारों के भी सीने पर सांप लोटना शुरू हो गया। आयकर विभाग ने जैसे ही उनसे उनके व्यवसाय का हिसाब मांगा, चले गए हड़ताल पर। कड़वा सच तो ये है कि दागी, टांका, और बर्निंग लॉस बताकर लोगों को बेवकूफ बनाने वाले सराफा व्यवसाइयों को अब उनकी अनैतिक कमाई खतरे में लग रही है। लिहाजा वे सरकार को भी अपनी धमक दिखाने के चक्कर में है।
जब तक देश की अर्थव्यवस्था कैशलेस नहीं होगी,ऐसी समस्याएं समय-समय पर सिर उठाती रहेंगी। इसलिए सरकार को चाहिए कि वो सारे लेनदेन को बैंकों के खातों से जोडकर उनको मोबाइल एप से जोड़कर ऑनलाइन कर दे। इससे बाजार में करेंसी का फ्लो बेहद कम हो जाएगा। तो वहीं इससे कालेधन को भी बढ़ावा नहीं मिलेगा।

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