मोदी का फंडा





कालेधन को लेकर हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर एक ओर जहां सरकार अपनी पीठ ठोंक रही है। तो वहीं दूसरी ओर बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। बड़ी संख्या में लोग इस अभियान में सहयोग कर रहे हैं। तो कुछ लोग अपने निहित स्वास्र्थों के चलते निंदा करने में लग गए हैं। प्रधानमंत्री के इस कदम की जहां चतुर्दिक प्रशंसा हो रही है। तो वहीं आतंक के आ$काओं की कमर टूट गई है। उनका नकली नोटों का सारा कारोबार चौपट हो गया है। तो वहीं आईएसआई और अज़हर मसूद जैसे बड़बोले आतंकवाद के सरगनाओं की तो समझ में नहीं आ रहा कि वो अब करें तो क्या करें? भारतीय प्रधानमंत्री के इस ब्रम्हास्त्र से आतंकवाद और नक्सलवाद दोनों की रीढ़ की हड्डी टूट गई है। तो वहीं दाउद इब्राहिम को भी करारा झटका लगा है। पाकिस्तान में नकली नोटों का उसका सारा कारोबार चौपट हो गया है। जानकार तो ये भी बताते हैं उसको तकरीबन कई लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। तो वहीं इससे उत्साहित प्रधानमंत्री ने कालाधन रखने वालों को ताकीद किया है कि अब अगर किसी के पास कालाधन निकला तो उसकी आय के स्रोतों का आंकलन आजादी के बाद से ही करवाया जाएगा। इधर इंकमटैक्स के अधिकारियों के छापों में भी तेजी आ गई है। छत्तीसगढ़ नक्सलवाद प्रभावित राज्य है जहां आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उड़ीसा के अलावा झारखंड  से नक्सलियों का आना जाना लगा रहता है। सुरक्षा बलों के एक उच्च पदस्थ अधिकारी की अगर मानें तो इनके पास भी कालेधन के रुप में तमाम पैसा पड़ा हुआ है। जिसको या तो दीमक चाट रहे हैं। नहीं तो वह जंगल की जमीन में दबा-दबा मिट्टी में मिल रहा है। ये सारा पैसा लेवी का बताया जाता है। इसी लेवी को लेकर नक्सलियों के कई गुटों में संघर्ष की नौबत तक आ चुकी है।
सरकार का ये कदम देश से भ्रष्टाचार मिटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यदि समय-समय पर इसी तरह का शुध्दिकरण किया जाता रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब भ्रष्टाचार का भूत भारत से भाग जाएगा।

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