कुछ बोल रहा है देश









नोट बंदी को लेकर एक ओर बाजारों में सन्नाटा है, तो दूसरी ओर राज्य की विधान सभा में हंगामा। पक्ष और देश प्रधानमंत्री के तारीफों के पुल बांध रहा है, तो विपक्ष शोर मचा रहा है। जनता बैंकों और डाकघरों में कतार में लगी है। इन दिनों अपराधों में भी काफी कमी आई है। वाराणसी के एक बच्चे को तो अपहरणकर्ताओं ने महज इस लिए छोड़ दिया क्योंकि उसके परिजन जो रुपए उनको देते वो चलाने के लिए उनके पास कोई कारगर तरीका नहीं है। अब बच्चे की मां प्रधानमंत्री को आशीर्वाद दे रही है। देश के एटीएम में दो लोगों के बीच भयंकर द्वंद देखने को मिल रहा है। बैंक वाले उसके पेट में नोट ठूंस रहे हैं और जनता उसको खाली किए जा रही है। बैंकों में अधिकारी कर्मचारी सुबह से रात तक काम कर रहे हैं। लोग लाइन में लगे हैं मगर युवाओं के मन में कहीं कोई दुर्भावना प्रधानमंत्री के प्रति नहीं दिखाई दे रही है। राष्ट्रपति ने भी अपने अभिभाषण में कहा कि भारत तेजी से बदल रहा है। ये एक बहुत बड़ा संकेत है। कालेधन को लेकर प्रधानमंत्री ने 50 दिनों का वक्त देश की जनता से  मांगा है। मजेदार बात कि देश के हर वर्ग ने उनको खुशी-खुशी ये टाइम दिया भी। दो प्रतिशत लोगों को छोड़कर 98 प्रतिशत लोगों का यही कहना है कि वे अपने प्रधानमंत्री के साथ हैं। लाल बहादुर शास्त्री के बाद पहली बार ऐसा मौका भी आया जब खुद प्रधानमंत्री की बुजुर्ग मां हीराबेन मोदी भी कतार में रुपए बदलवाने पहुंची। ये दीगर बात है कि बैंक अधिकारियों ने उनके रुपए जल्दी बदल दिए मगर इससे जनता के बीच एक संदेश ये भी गया कि हमारे प्रधानमंत्री हर मां का सम्मान करते हैं। देश की जनता अगर धैर्य से इंतजार कर रही है तो वहीं कुछ नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है। इससे उनकी सियासत खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है। लिहाजा पूरा विपक्ष इस बात को लेकर एकजुट हो रहा है।  तरह-तरह के बयान जारी किए जा रहे हैं। तो वहीं देश की जनता का सीधा सा जवाब है कि वो अपने प्रधानमंत्री के साथ हैं। होना भी यही चाहिए कि हम आपस में चाहे कुछ भी मतभेद या मनभेद रखते हों, मगर जैसे ही देश की बात आए पूरे देश तो चाहिए कि वो एक सुर में वैसे बोले जैसे आज बोल रहा है।

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