व्यवस्थात्मक शुचिता की जरूरत


पूरे देश की अफसरशाही अब खुद को तानाशाह समझने लगी है। उसके जेहन में एक ही बात भरी हुई है कि हमारी तो नौकरी पक्की है। कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता हमारा। इसी के चलते ये लोग कानून की गर्दन पर कुर्सियां रखकर बैठ गए हैं। इनकी यही ऐंठ देश में अकर्मण्यता की घुसपैठ करवा रही है। इसके चलते ही गरीबों और जरूरतमंदों को कोई मदद नहीं मिल पाती है। ये लोग काम को निपटाने से ज्यादा फाइलों को आलमारियों में $कैद रखने में य$कीन करते हैं। तो वहीं सरकार है कि बजाए जिम्मेदारियां बढ़ाने के दनादन इनका वेतनमान बढ़ाती जा रही है। इसका शिकार प्रदेश में भी आम आदमी हो रहा है। यहां सरकार ने  तमाम मंत्रियों और अधिकारियों को मोबाइल बांट रखे हैं। कितने अधिकारी आम आदमी की समस्या इस मोबाइल पर सुनते हैं? तो वहीं मंत्रियों के फोन तो उनके पीए संभालते हैं। ऐसे मंत्रियों को फोन देने से क्या फायदा? जो खुद का फोन तक नहीं उठा सकते, वो राज्य की इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे उठाएंगे?
इनकी इसी लापरवाही का नाजायज़ फायदा उठाकर कुछ लोग जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। अस्पतालों में गरीबों को दवाओं से ज्यादा डांट मिलती है। तो वहीं कुछेक अस्पतालों में तो प्रसव पीड़ा से कराहती महिलाओं की मौत तक हो जाती है मगर डॉक्टर्स का दिल तक नहीं पसीजता। राशन की दुकानों में चावल की बोरियों में अच्छी तादाद में कंकड़ मिलाकर गरीबों के पेट काटने का काम किया जा रहा है। कुपोषण से लड़ रहे बच्चों के खाने में भी लोग डंडी मारने से नहीं चूक रहे हैं। संक्षेप में अगर कहा जाए तो सरकार का ऐसा कोई विभाग नहीं बचा जहां भ्रष्टाचार न व्याप्त हो। अब ऐसे देश को एक झटके में सुधारने का सपना देखने वाले प्रधानमंत्री मोदी को अथक परिश्रम करना होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वो ऐसा कर भी रहे हैं, मगर कुछ लोग उनकी इस मेहनत पर मिट्टी डालते आ रहे हैं। ऐसे अधिकारियों को भी सावधान होने की जरूरत है। खाली नोट बंद करने से ये सड़ चुकी व्यवस्था नहीं सुधरने वाली।
सरकार को चाहिए कि अब वो नोटों के बाद ऐसे अधिकारियों-अफसरशाहों और  मंत्रियों पर नजर रखे, जो काम से ज्यादा आराम पसंद हैं। इनको अगर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, तभी समझिए ..इस देश में स्वच्छ शासन-प्रशासन की कल्पना की जा सकती है। इसलिए अब तत्काल व्यवस्थात्मक शुचिता की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है। प्रधानमंत्री को इस पर भी प्राथमिकता से ध्यान देना होगा। ताकि उनका मेक इन इंडिया और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का सपना मूर्तरूप ले सके।

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