नोटबंदी पर सुलगते सवाल





आज से बेटियों के पालकों के माथे पर खिंची चिंता की लकीरे थोड़ी हल्की हो जाएंगी। सरकार ने बैंकों से उनको ढाई लाख रुपए तक निकालने की छूट दे दी है। ऐसे में गरीबों के चेहरे पर थोड़ी राहत देखी जा सकती है। उनकी असल चिंता यही थी कि कैसे उनकी लाड़ो के फेरे होंगे? इन फेरों के फेर में फंसे जिस-तिस से इमदाद की फरियाद करते फिर रहे थे। हालांकि सरकार के इतने कड़े आदेश के बाद भी देश के लोग कहां मानने वाले? वे दिखावा करने के आदी हैं। ये उनकी आदत में शुमार है लिहाजा वो तो अपने रुपयों का प्रदर्शन तो करेंगे ही।
बेंगलुरु में कुख्यात खनन माफिया जनार्दन रेड्डी की बेटी ब्राम्हणी की शादी का 'राजसीÓ प्रदर्शन इसी विशिष्टता-बोध की कड़ी है। रेड्डी के घर की यह शादी अब तक के सारे प्रदर्शनों को पीछे छोड़ देने को उद्धत दिख रही है। यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है, जब पूरा देश अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नोटों की लाइन में खड़ा है। दक्षिण से पूर्व तक किसान अपनी फसल काटने के लिए मजदूरों का इंतजार कर रहे हैं। देश में लाखों शादियां सिर्फ इसलिए फीकी पडऩे जा रही हैं कि वहां न्यूनतम जरूरत पूरी करने के लिए भी पर्याप्त धनराशि उपलब्ध नहीं है। अस्सी प्रतिशत से ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन पर निर्भर रहने वाले देश में जब आम जनता पैसे-पैसे के लिए मुश्किलों से जूझ रही हो, तब बेंगलुरु का यह मेगा शो हमारे उस समकालीन कुलीन समाज का आईना है, जो जनता को अपने ही तरीके से संदेश देने का अभ्यस्त है।
नोटबंदी की घोषणा के एक सप्ताह बाद हो रही इस शादी पर कोई बंदिश नहीं दिखती। बेंगलुरु पैलेस ग्राउंड कुछ यूं सजा है कि वर या वधू पक्ष को अपने गांव से दूर होने का एहसास न हो। गांव को ही पूरा का पूरा उतार दिया गया है। शादी का कार्ड चौंकाने वाला था, जिसे खोलते ही एलसीडी स्क्रीन पर चलने वाले वीडियो ने समारोह की भव्यता का एहसास करा दिया। अनुमान है कि सिर्फ निमंत्रण कार्ड (बॉक्स) पर ही पांच करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए हैं। कई सौ करोड़ के गहनों और डिजाइनर कपड़ों के साथ कई सौ करोड़ के व्यंजन व अन्य आकर्षण भी कदमताल करते दिखे।
इस शादी ने यह तर्क देकर एक नई राह भी दिखाई कि यह सब छह माह पहले इवेंट मैनेजमेंट टीम को सौंपा जा चुका था, इसलिए वर्तमान हालात से इसे नहीं जोड़ा जाना चाहिए। दुर्भाग्य है कि यह सब उस नेता के घर में हो रहा है, जो कुछ दिनों पहले तक नोटबंदी की पैरोकार पार्टी में ही रहकर मंत्री पद सुशोभित कर रहा था। जो अवैध खनन के मामले में जेल गया और अभी जमानत पर बाहर है। कानून की नजरें जब बैंक और एटीएम की लाइन में खड़े हर व्यक्ति को संदेह की नजर से देख रही हों, हर उस व्यक्ति पर नजर हो, जिसके खाते में ढाई लाख से ज्यादा जमा होने की आशंका भरी संभावना हो, तब इस शादी के लेन-देन के किसी बही-खाते पर भी उसकी नजर होगी, यह मुश्किल ही लगता है।
सौ से लेकर पांच सौ करोड़ के खर्च से खबरों में रहने वाली शादियों के देश में दक्षिण भारत ने हमेशा नए रिकॉर्ड बनाए हैं। अब से 21 साल पहले तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के दत्तक पुत्र की शादी ने तो न सिर्फ ध्यान खींचा था, बल्कि गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स में भी जगह बनाई थी। वह शादी अपने आप में कितनी अनूठी रही होगी कि इसे 'मदर ऑफ आल वेडिंग्सÓ कहा गया। खैर, दिखावे की यह परंपरा दक्षिण से निकलकर अब उत्तर तक पहुंच चुकी है। गोरखपुर से लेकर दिल्ली तक हेलीकॉप्टर से दूल्हों का उडऩा बीती बात, अब तो हेलीकॉप्टर तक उपहार में मिलने लगे हैं। जब आम से लेकर खास तक नोटबंदी के समय और तरीके को लेकर आलोचना कर रहा हो, सड़क से लेकर संसद तक जनता की मुश्किलों की चर्चा हो रही हो, और यह बताया जा रहा हो कि काले धन पर यह पहल कितनी गहरी चोट है, तब ब्राम्हणी की राजसी शादी इन सारे सवाल उठाने वालों की मंशा पर बड़ा सवाल है।
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