समय-समय की बात है। कभी इन्हीं मलखान सिंह को लोग दद्दा जी कहते थे, मलखान सिंह कहने पर ही चंबल में एक डकैत ने पत्रकार पर एसएलआर तान दी थी। आज वही चंबल के दद्दा समाज की मुख्यधारा से जुड़कर सामान्य जीवन जी रहे हैं। इसी का नाम लोकतंत्र है।

ये हैं डाकू मलखान सिंह, जिस पर 185 हत्या 1 हजार 112 डकैती के केस दर्ज थे। 1983 में भिंड मध्यप्रदेश में आत्म समर्पण के बाद सामान्य जीवन जी रहे हैं समर्पण से पूर्व भरतपुर संभाग में भी इसके आतंक का खौफ होता था। आज रुपए बदलवाने हेतु ग्वालियर की SBI बैंक में लाईन में खड़े हो कर अपनी बारी का इंतजार किया।
"और कितना बदलेगा इंडिया"

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